जब सेंट स्टीफंस कॉलेज के प्रिंसिपल वाल्सन थंपू उन मूल्यों पर बात शुरू करते हैं जिन्हें उनका इंस्टीट्यूट अपने छात्रों में रोपने का उद्देश्य रखता है, तो उन्हें रोकना मुश्किल होता है. वे विनम्रता के साथ लेकिन पूरे आत्मविश्वास से बोलते हैं. देवांश मेहता वाला हालिया विवाद उनके दिमाग में अभी ताजा है. वे कहते हैं, “मैं इसे अपने फायदे में बदल सकता हूं और इसे बेहतर प्रदर्शन करने के एक न्योते के रूप में देख सकता हूं.” थंपू मानते हैं कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो देश में गतिशील संस्कृति को पैदा कर सके और सेंट स्टीफंस बिल्कुल यही काम कर रहा है.
वे कहते हैं कि इस कॉलेज को किसी विज्ञापन की जरूरत नहीं है. सेंट स्टीफंस को आर्ट्स और साइंस दोनों ही धाराओं में अव्वल कॉलेज घोषित किया गया है. अपनी फैकल्टी के सदस्यों को यह खबर सुनाते हुए थंपू कहते हैं, “मुझे यकीन है कि आपको इस बात पर अचरज नहीं होगा कि हम पहले स्थान पर हैं.”
दिल्ली का सबसे पुराना कॉलेज सेंट स्टीफंस 1881 में स्थापित किया गया था और यह 1922 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के संघटक तीन शुरुआती कॉलेजों में से एक था. इससे पहले यह कलकत्ता यूनिवर्सिटी से संबद्ध था और बाद में पंजाब यूनिवर्सिटी से संबद्ध रहा.
तब से लेकर अब तक कॉलेज काफी लंबा सफर तय कर चुका है, लेकिन थंपू इस कॉलेज के समक्ष मौजूद चुनौतियों से भी वाकिफ हैं. वे कहते हैं, “सेंट स्टीफंस ने अपनी 75 फीसदी क्षमता का भी उपयोग नहीं किया है. हम बहुत बेहतर कर सकते हैं.” वे कुछेक चुनौतियां गिनाते हैं, “मैं पिछले तीन साल से कोशिश कर रहा हूं कि इकोनॉमिक्स विभाग में छात्रों की संख्या 50 से 100 करने और अंग्रेजी में 30 से 60 करने की अनुमति दिल्ली यूनिवर्सिटी से मिल जाए. इस कॉलेज में सबसे ज्यादा इन्हीं दो विषयों की मांग है.”
अकादमिक उत्कृष्टता, बेजोड़ इन्फ्रास्ट्रक्चर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षक और छात्र मिलकर सेंट स्टीफंस को आर्ट्स का सर्वश्रेष्ठ कॉलेज बनाते हैं. थंपू गर्व के साथ बताते हैं कि आज उनके छात्रों की पहुंच सर्वश्रेष्ठ शोध पत्रों तक हो गई है और वे उसका पूरा लाभ ले रहे हैं. वे कहते हैं, “अब हमारे छात्र अपनी पाठ्यपुस्तकों और तय पाठ्यक्रम के पार जाकर पढ़ रहे हैं.” इन शोध पत्रों में ज्यादा से ज्यादा छात्र छप भी रहे हैं.
इकोनॉमिक्स विभाग के प्रमुख प्रोफेसर संजीव ग्रेवाल कहते हैं, “दस साल पहले चीजें जैसी थी, उसकी तुलना में बदलाव है.”
साइंस और आर्ट्स के बीच अंतर्संवाद को बढ़ाने के लिए थंपू ने कुछेक अतिरिक्त पाठ्यक्रम भी जोड़े हैं जिन्हें छात्र चुन सकते हैं. इनमें कुछेक हैः भारत की कलाओं और संस्कृतियों, अवधारणाओं और विचारों से परिचय. वे कहते हैं, “मौजूदा स्कूली प्रणाली से निकलने वाले बच्चों की विचार प्रक्रिया बहुत ही खराब होती है. इसीलिए ऐसे कोर्सेज की जरूरत है.”
कॉलेज ने एक और कोर्स शुरू किया है&नागरिकता और सांस्कृतिक संवृद्धि (सिटीजनशिप ऐंड कल्चरल एनरिचमेंट). यह कोर्स सभी के लिए है और 18-28 वर्ष की आयु वर्ग के बीच के कम से कम 320 छात्र इस कोर्स में साप्ताहिक कक्षाओं के लिए पंजीकृत हैं. यह निःशुल्क कोर्स है. उनके मुताबिक, देश की बौद्धिक संपदा को समृद्ध करने की दिशा में सेंट स्टीफंस का यह एक योगदान है.
इंडिया टुडे-नीलसन सर्वेक्षण में आर्ट्स में बेस्ट है स्टीफंस कॉलेज
अकादमिक उत्कृष्टता, बेजोड़ इन्फ्रास्ट्रक्चर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षक और छात्र मिलकर सेंट स्टीफंस को आर्ट्स विषयों का सर्वश्रेष्ठ कॉलेज बनाते हैं.

अपडेटेड 22 जून , 2015
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