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जानें कैसे शादी के लिए बेची जा रही हैं नाबालिग लड़कियां

हरियाणा, यूपी और राजस्थान के कई इलाकों में शादी के नाम पर नाबालिग लड़कियों की खरीद-फरोक्त और यौन शोषण का धंधा जोरों पर, मेवात क्षेत्र में ऐसी 2 लाख लड़कियां होने का सर्वे.

अपडेटेड 6 अप्रैल , 2015
अलवर जिले के टहला थाना क्षेत्र से 23 जनवरी को पुलिस ने एक ऐसी महिला को खोज निकाला जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में दर्ज थी. इस महिला ने अपने पति को फोन कर बताया था कि उसे राजस्थान में कहीं रखा गया है. पुलिस ने इसी फोन की लोकेशन ट्रेस कर महिला और उसकी बेटी को रमेश पुत्र रामसहाय के घर से खोज निकाला. महिला ने बताया कि उसे खंडवा, मध्य प्रदेश की सपना ने जयपुर में रहने वाली अपनी बहन संगीता के जरिए 50,000 रु. में बेच दिया था. 

घर बसाने के लिए खरीदी जा रही इन लड़कियों और महिलाओं को अब स्थानीय लोग 'पारो' कहने लगे हैं. अकेले अलवर जिले में ही इनकी संख्या 15,000 से 20,000 के बीच है, पूरे मेवात और राजस्थान का आकलन किया जाए तो यह संख्या बढ़कर दो लाख से भी अधिक हो सकती है. इनमें से 80 फीसदी से अधिक लड़कियां नाबालिग होती हैं. अलवर जिले के अलावा राजस्थान के भरतपुर, धौलपुर, सीकर झुंझुनूं, हरियाणा के मेवात सहित करीब एक दर्जन जिलों में पारो लड़कियां बड़ी संख्या में मौजूद हैं, यही नहीं, राजधानी दिल्ली भी इससे अछूती नहीं बची है.

अलवर जिले में एक एनजीओ 'मत्स मेवात शिक्षा एवं विकास संस्थान' ने दो दर्जन गांवों में किए सर्वे में पाया कि अलवर में 'पारो' लाने की मजबूरी उन परिवारों की है, जिनके बेटे की शादी नहीं हो पाती तब मजबूरी में पैसे देकर वे अपने बेटे की शादी बिहार, बंगाल, ओडिसा, असम, झारखंड, यूपी की लड़कियों के साथ करके लाते है. सर्वे में यह हकीकत भी सामने आई कि कई गांवों में 40 से 80 पारो शादी करके लाई गई हैं. जिन लड़कियों को शादी करके लाया गया है उनमें 95 फीसदी मामलों में लड़की के मां-बाप ने लड़कों से शादी के एवज में पांच हजार से लेकर ढाई लाख रु. तक लिए हैं. इनमें से 70 से 80 फीसदी लड़कियां जो पारो बनकर शादी करके यहां आई हैं, वे मजबूरी और दुख-दर्द झेलने के बाद भी अपना वैवाहिक जीवन जी रही हैं, जबकि 15 से 20 फीसदी लड़कियों को दलाल और एजेंट एक से दूसरी, और दूसरी से तीसरी जगह बेच देते हैं. धौलपुर के पुलिस अधीक्षक हरेंद्र महावर ने बताया कि जिले में एक गिरोह काम कर रहा है जो यूपी और एमपी से लड़कियों को लाकर यहां बेचता है. इस तरह के अब तक 15-20 मामले सामने आ चुके हैं. ये लोग पहले खुद लड़की को अपने पास रखते हैं और उसका देह शोषण करते हैं, बाद में किसी और को बेच देते हैं और उसकी शादी करवा देते हैं. एनजीओ के सचिव वीरेंद्र विद्रोही ने बताया कि उनके सर्वे के मुताबिक मेव, गुर्जर और हरियाणा के ब्राह्मणों में सबसे ज्यादा पारो लाई जा रही हैं. एक अनुमान के मुताबिक अलवर में 10,000 मेव समाज से, 4,000 गुर्जरों, ब्राह्मणों में 2,000 और अन्य जातियों राजपूत, कुम्हार, बनिया (वैश्य) में भी 4,000 से अधिक पारो लाई जा चुकी हैं. 

अलवर पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने बताया कि दूसरे राज्यों से महिला खरीद के मामले में परिजन महिला के मिलने पर मुकदमे से दूर भागते हैं, जिससे आरोपियों को सजा नहीं मिल पाती. टहला थाने के हालिया मामले में भी यही हुआ. वहीं धौलपुर जिले में मानव तस्कर निरोधक ब्यूरो की टीम का गठन होने के बाद से इस टीम ने 49 मामले दर्ज कर 60 महिलाओं को मुक्त करवाया है. पुलिस ने इस साल 7 मामले उजागर कर खरीद-फरोख्त और लड़कियों के अपहरण का मामला दर्ज किया.

शादी करने का मामला ज्यादातर एजेंटों के जरिए तय होता है इस कड़ी में कुछ दलाल भी सक्रिय हो गए हैं जो इतने मजबूत हैं कि फोन पर ही लड़कियों का सौदा करके शादी तय करवा देते है. कुछ लोगों ने इसका फायदा उठाना शुरू कर दिया है. वे लड़कियों को शादी करके यहां लाते है और बाद में उन्हें बेच देते हैं. राजस्थान में बिगड़ता लिंगानुपात महिलाओं की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा देने का एक बड़ा कारण है. अलवर जिले में प्रति पुरुष 894 महिलाएं हैं, जबकि भरतपुर में 877 और धौलपुर में हालात और भी ज्यादा खराब है. वहां प्रति एक हजार पुरुषों के मुकाबले 845 महिलाएं हैं. सबसे ज्यादा बुरे हालत धौलपुर में है जहां पचास फीसदी लड़कों की शादी बदले में किसी लड़की की शादी करवाने पर होती है या फिर पैसे का लेन-देन होने के बाद तय होती है! जबकि भरतपुर और अलवर में दूसरे राज्यों से लड़कियों को खरीदकर और उनसे शादी करके लाया जाता है.
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