scorecardresearch

सेक्स सर्वे 2015: चीन में बदल गई है सेक्स को लेकर सोच

चीन में सेक्स करने की उम्र पहले से घट गई है लेकिन पुरानी मान्यताएं और गर्भपात की बढ़ती संख्या तस्वीर को बदरंग बनाने का काम कर रही है.

अपडेटेड 20 जनवरी , 2015

अगर आप शर्मीले हैं तो आप यहां नहीं आएं.’’ ‘‘-यह वाक्य उस साइनबोर्ड पर लिखा है जो मा जियाजिया की दुकान के बाहर टंगा हुआ है. बीजिंग के संपन्न इलाके सानलितुन डिस्ट्रिक्ट मंय डिजाइनर आउटलेट और लग्जरी रेस्तरां से चमचमाते बाजार के बीच यह छोटी-सी दुकान लगभग बेमेल दिखती है लेकिन यहां जो चीजें मिलती हैं, वे आपको आसपास कहीं नहीं मिलेंगी. इसकी दीवारों पर उत्तेजक तस्वीरें और पोस्टर लगे हुए हैं और इसकी शेल्फों पर अलग-अलग किस्म, रंग और आकार के सेक्स टॉय और गर्भनिरोधक मौजूद हैं.

चीन के एक प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थान से ग्रेजुएशन करने के बाद मा के करियर की राह बिल्कुल सीधा-सपाट नजर आ रही थीः वह किसी सरकारी मीडिया संस्थान में घुस जाती और वहां सरकारी नौकरी कर के डेस्क पर जिंदगी काट देती. मा ने इंडिया टुडे को बताया, ‘‘वह रास्ता काफी आसान होता.’’ पर मा को आसान राहों पर चलना पसंद नहीं था.

फिर उसने एक दुकान खोल ली और नाम रखा पावरफुल. सेक्स से जुड़ी सामग्री वाली यह दुकान खोले उसे चार साल हो चुके हैं और 25 साल की इस युवती ने इस दौरान एक नया कारोबार स्थापित करने से कहीं आगे बढ़कर एक ज्यादा बड़ा काम किया है-उसने वर्जित विषय पर एक राष्ट्रीय संवाद कायम करने की पहल को अंजाम दिया है जिसकी यहां लंबे समय से जरूरत थी.

चीन में कन्फ्यूशियसवाद से ओत-प्रोत कठोर रीति-रिवाजों ने ऐसी विरासत छोड़ी है जिसकी वजह से यहां सेक्स पर विमर्श में एक अजीब किस्म का भौंडापन झलकता है-जिससे यहां के हर बड़े शहर में कोई भी सैलानी बड़ी आसानी से दो-चार हो सकता है जब उसकी नजर नियॉन बल्ब में चमकते उन ‘‘मसाज पार्लरों’’ पर पड़ती है जहां कुछ भी छिपाने की कोशिश नहीं की जाती.

मा के मुताबिक इस विरोधाभास और तनाव ने नब्बे के दशक में जन्मी उनकी पीढ़ी को ‘‘एक संक्रमण के बीच फंसाकर छोड़ दिया है.’’ चीन में आर्थिक सुधारों और बाजार खुलने के दो दशक के दौरान सेक्स को लेकर यहां के रवैए में ‘‘एक इंकलाब’’ आया है.

अस्सी के दशक में चीन के अधिकतर ग्रामीण इलाकों में शादी से पहले सेक्स की बात सुना जाना ही दुर्लभ था. सरकारी सर्वे के मुताबिक यह चलन बमुश्किल 15 प्रतिशत था. 1994 में शादी से पहले सेक्स की दर 40 प्रतिशत पर पहुंच गई और आज यह 70 प्रतिशत पर है. सर्वेक्षणों में इस बदलाव को लोगों के बदले रवैए में भी दर्ज किया गया हैः और हर अगली पीढ़ी के साथ यह बदलाव और तेज ही हुआ है. सत्तर के दशक में जन्मी पीढ़ी के लिए सेक्स का पहला अनुभव औसतन 22.4 साल में होता था जबकि नब्बे के दशक में जन्मे लोगों के मामले में यह उम्र चार साल घट गई है.

चीन में हो रहा बदलाव भारत के लिए एक उपयोगी केस स्टडी है जो युवा पीढ़ी की बदलती प्रवृत्तियों और इस बदलाव से तालमेल न बैठा पाने वाले असहिष्णु समाज के बीच के तनावों का अक्स दिखाता है. चीन में चूंकि यह बदलाव तकरीबन दशक भर पहले शुरू हो चुका था लिहाजा उससे पैदा हुआ तनाव आज कहीं ज्यादा सतह पर है.

मा कहती है, ‘‘सेक्स कोई ऐसी चीज नहीं जिसके बारे में हम अब भी फुसफुसा कर बात करें.’’ उनका ब्रांड ‘‘पावरफुल’’ इससे मिलते-जुलते उच्चारण वाले चीनी शब्द पाओ-फो से आता है जिसका मतलब है, ‘‘हमें प्यार करना चाहिए या नहीं?’’

नब्बे के बाद वाली पीढ़ी के लिए मा आदर्श बनकर उभरी हैं. वे बताती हैं कि खतरा दरअसल यह है कि समाज इस बदलाव को स्वीकार करने के मामले में बहुत सुस्त है. इसे आप अपर्याप्त सेक्स शिक्षा, गर्भनिरोधक के बारे में कम जागरूकता और गर्भपात की भारी दर में देख सकते हैं-चीन में गर्भपात की दर सबसे ज्यादा है.

चीन में सेक्स को लेकर बदली सोचसरकार के मुताबिक, यहां सालाना 1.3 करोड़ गर्भपात करवाए जाते हैं. यह भारत में अनुमानित आंकड़े का दोगुना है. ऐतिहासिक रूप से इसके पीछे चीन में ‘‘एक संतान की नीति को गिनाया जाता था पर आज गर्भपात के आंकड़ों में इजाफा युवा आबादी की ओर से हो रहा है. चीन में 2014 में जितने भी गर्भपात हुए, उसमें 62 प्रतिशत उन लड़कियों ने कराए जिनकी उम्र 20 से 29 साल के बीच है, जो अधिकतर अविवाहित हैं और जिनके ऊपर परिवार नियोजन की बंदिश लागू नहीं होती.

सरकारी अध्ययनों के मुताबिक इसकी एक वजह सेक्स और गर्भनिरोधक के बारे में स्कूलों और विश्वविद्यालयों में जागरूकता का कम होना है (देखें बॉक्स). चीन के शिक्षाविद् लंबे समय से इस धारणा के पैरोकार रहे हैं कि सेक्स शिक्षा की वजह से बच्चे सेक्स करने के लिए प्रेरित होते हैं. पिछले साल सेंट्रल हेनान प्रांत के प्राथमिक स्कूलों में सिलसिलेवार सामने आए यौन प्रताडऩा के मामलों ने लोगों को यहां इस धारणा पर दोबारा नए सिरे से सोचने को बाध्य किया और नई बहस को जन्म दे दिया.

उसके बाद से कुछ स्कूलों में सेक्स शिक्षा की क्लासेज चलाई जाने लगी हैं. रिश्तों पर साप्ताहिक कार्यक्रम का प्रसारण करने वाले लोकप्रिय रेडियो होस्ट क्विंग यिन कहते हैं, ‘‘चीन में अधिकतर युवाओं को अब तक नहीं सिखाया गया है कि वे सेक्स से जुड़े मसलों का सामना कैसे करें.’’ हर हफ्ते इस कार्यक्रम में सलाह के लिए हजारों युवाओं के फोन आते हैं.

प्रशिक्षित साइकोलॉजिस्ट और हताश युवाओं के लिए एनजीओ चलाने वाले क्विंग कहते हैं, ‘‘बीते पांच या दस साल के मुकाबले युवा अब ज्यादा खुल गए हैं लेकिन उनके दिमाग पर अब भी रूढिय़ों का कब्जा है और वे शादी से पहले सेक्स पर बात नहीं कर सकते. यह बहुत बड़ी समस्या है.’’

मा ने इसी विषय को अपना सरोकार बनाया है (और जाहिर है, यह अच्छा कारोबार भी है). ट्विटर के चीनी संस्करण वाइबो माइक्रोब्लॉग पर मा के तीन लाख फॉलोअर हैं और वे उन्हें इसी माध्यम से संदेश भेजती हैं. उनकी पोस्ट में गर्भनिरोधकों के बारे में और एलजीबीटी समुदाय के लिए जागरूकता संदेश तो होते ही हैं, इसी बहाने उनके उत्पादों की भी मार्केटिंग हो जाती है.

अब उनकी आवाज सुनी जाने लगी है (मा के आधे से ज्यादा कर्मचारी समलैंगिक हैं). उनके इस सफर में हालांकि कई बाधाएं आई हैं. उन्होंने पहली दुकान अपने शिक्षण संस्थान कम्युनिकेशन युनिवर्सिटी ऑफ चाइना के बाहर खोली थी. इसके लिए उनके दोस्तों ने 20 लाख रु. जुटाए थे और विश्वविद्यालय कम्युनिटी से इसे सहयोग मिला था, पर इसे लेकर बुजुर्गों में संदेह था. इस तरह दुकान को लेकर लोग दो-फाड़ हो गए.

कुछ भ्रम भी फैल रहे हैं जिनकी वजह से अटपटी घटनाएं सामने आ जाती हैं. मसलन, एक बार एक 75 वर्षीय बुजुर्ग दुकान में खिड़की पर टंगी उस शर्ट को देखकर खिंचे चले आए जिस पर लिखा था, ‘‘आइ एम अ गुड कॉमरेड.’’ चीनी युवाओं में कॉमरेड का संबोधन समलैंगिक व्यक्तियों के लिए है. उस बुजुर्ग कम्युनिस्ट को इसका पता नहीं था, तो उसने कहा, ‘‘मुझे इस बात की खुशी है कि नौजवान लोग इतने बढिय़ा संदेश फैला रहे हैं.’’ उन्होंने अपने मित्रों के लिए कुछ दर्जन शर्ट का ऑर्डर दे डाला.

Advertisement
Advertisement