उन्होंने अब तक सिर्फ दो हिंदी फिल्में देखी हैं लेकिन चीन के सहायक विदेश मंत्री और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत मामलों में सहयोगी लिऊ जियानचाओ एक को भी नहीं भूले हैं. पहली फिल्म की उन्हें हल्की-सी याद है, जिसकी धुन वे गुनगुनाते हैं, आवारा हूं... दूसरी फिल्म याद रखना उनके लिए आसान है, क्योंकि वह कुछेक साल पहले की फिल्म है थ्री इडियट्स, जिसके बारे में उनका कहना है कि इस फिल्म में आधुनिक भारत की तस्वीर है.
इन दिनों उनके लिए भारत सिर्फ बॉलीवुड भर नहीं है. शी के पहले भारत दौरे की तैयारी कर रहे लिऊ बेहद व्यस्त हैं—बीजिंग में परामर्श का दौर चल रहा है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष दूत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ बैठक हो रही हैं. लिऊ कहते हैं, “हमें इस दौरे के सफल होने की उम्मीद है. रणनीतिक सहयोगी के रूप में हमारे संबंध और मजबूत होंगे. भारत-चीन संबंधों में यह महत्वपूर्ण युग की शुरुआत होगी.”
बीजिंग मोदी-शी बैठक के लिए पुरजोर तैयारी में जुटा है. दौरे की तारीख-भले ही यह संयोग भर हो पर दिलचस्प है. शी 17 सितंबर, जो कि मोदी का जन्मदिन है, को अहमदाबाद में होंगे, उसके बाद दिल्ली की उड़ान भरेंगे. यह व्यवस्था आखिरी घड़ी में की गई है क्योंकि बीजिंग शी के पूर्व राजनैतिक पद—फूजिआन प्रांत के गवर्नर—को मोदी के मुख्यमंत्री पद से जोडऩा चाहता है.
इससे गुजरात-गुआंगदोंग संबंधों की शुरुआत भी हो सकती है. एक समझौता संभव है जिसके तहत चीन के तेजी से विकसित होते प्रांत की राजधानी गुआंगझओ और अहमदाबाद की—‘भाई शहर’ के रूप में घोषणा की जा सकती है. बीजिंग गुजरात मॉडल पर जोर देगा—राज्य में इंडस्ट्रियल पार्क की योजना बनाई जा रही है, दूसरा पार्क महाराष्ट्र में बनेगा.
बेशक, ये कूटनीतिक खुशगवार पहल कही जा सकती हैं. मोदी-शी बैठक का मूल आधार तो संस्कृति, शिक्षा, पर्यटन, जलवायु परिवर्तन, यहां तक कि खाद्य सुरक्षा में द्विपक्षीय समझौते होंगे. ऊर्जा संसाधनों के क्षेत्र में सहयोग के लिए भी रूपरेखा तैयार की जा रही है.
भारत जहां इन्फ्रास्ट्रक्चर और टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों को लेकर संवेदनशील है, चीन भारतीय रेल के आधुनिकीकरण में निवेश करने का इच्छुक है. चीन का तेज गति वाला रेल नेटवर्क दुनिया में सबसे बड़ा है. हालांकि जापान ने अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में सहयोग करने का करार कर बढ़त हासिल कर ली है लेकिन बीजिंग ने भी पहली बार भारत को तेज गति का रेल नेटवर्क स्थापित करने में आर्थिक मदद देने की पेशकश की है. चीन का मानना है कि यह भारत के लिए उपयोगी साबित होगी, क्योंकि चीन की तरह भारत में भी भौगोलिक विविधता है. इसमें खर्च भी कम होगा. चीनी अधिकारियों का कहना है कि फ्रांस, जर्मनी या जापान की पेशकश की तुलना में चीन की रेल परियोजना आधे खर्च में ही पूरी हो जाएगी.
चीन भारतीय ट्रेनों की गति को 200 किमी प्रति घंटा तक लाना चाहता है. अभी भारत में ट्रेनों की अधिकतम गति 160 किमी प्रति घंटा है. इसके अलावा वह स्टेशनों के आधुनिकीकरण में भी सहयोग करना चाहता है. चीन रेलवे कॉर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर ही हुआवू कहते हैं, “हाइ स्पीड रेल नेटवर्क विकसित करने का अनुभव हम बांटना चाहते हैं.” निवेश के लिए मुंबई से कोलकाता हाइ-स्पीड रेल लाइन चुनी गई है.
वैसे लिऊ और हिंदी फिल्में देख सकते हैं. एक “ऑडियो विजुअल्य समझौता हो सकता है, जिससे भारतीय फिल्म निर्माताओं की पहुंच दुनिया के दूसरे सबसे बड़े फिल्म बाजार में आसान हो जाएगी. बीजिंग संयुक्त फिल्म निर्माण की भी संभावना तलाश रहा है, जो दोनों देशों में प्रदर्शित की जा सकें. भारतीय फिल्म निर्माताओं को बाजार लुभा सकता है. फिल्म ब्यूरो ऑफ चीन के महानिदेशक झांग होंगसेन कहते हैं कि पिछले दशक से चीन में बॉक्स ऑफिस कलेक्शन हर साल 30 प्रतिशत की दर से बढ़ा है. पिछले साल यह 3.6 अरब डॉलर को छू रहा था.
लेकिन सहयोग की दौड़ में अब तक जापान आगे नजर आ रहा है. बीजिंग ने मोदी के जापान दौरे पर बारीकी से नजर रखी थी. लेकिन जब मोदी ने ‘समुद्र में अतिक्रमण करने वाले’ शब्द का प्रयोग किया तो बीजिंग में कोई आक्रोश नहीं फैला. लिऊ का कहना था कि भारत में निवेश के मामले में चीन जापान का प्रतिद्वंद्वी नहीं है. उनका यही कहना था, “आर्थिक सहयोग के मामले में हम यही करने की कोशिश कर रहे हैं कि एक बेहद बड़ा केक तैयार किया जाए ताकि हर किसी को बड़ा टुकड़ा मिल सके.”
डोभाल का अप्रत्याशित बीजिंग दौरा सीमा मुद्दे पर बात करने का पूर्व संकेत हो सकता है. शी से मिलने के बाद वे सीमा विवाद को लेकर और अधिक आशान्वित लग रहे थे. लिऊ कहते हैं, “हम दोनों ही सीमा मुद्दे से हट नहीं रहे हैं. इसके समाधान के लिए उपयोगी हल हम तलाशते रहेंगे.”
अभी यह देखना बाकी है कि क्या मोदी और शी सीमा वार्ता को गति दे पाएंगे. चीन भारत से संबंधों को नई दृष्टि से देखना चाहता है. भारत की प्रतिक्रिया द्विपक्षीय संबंधों का एजेंडा तय करेगी. जापान में मछलियों को चारा फेंकने के फोटो शूट से परे, मोदी की रणनीतिक चुनौतियां यहीं होंगी.
इन दिनों उनके लिए भारत सिर्फ बॉलीवुड भर नहीं है. शी के पहले भारत दौरे की तैयारी कर रहे लिऊ बेहद व्यस्त हैं—बीजिंग में परामर्श का दौर चल रहा है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष दूत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ बैठक हो रही हैं. लिऊ कहते हैं, “हमें इस दौरे के सफल होने की उम्मीद है. रणनीतिक सहयोगी के रूप में हमारे संबंध और मजबूत होंगे. भारत-चीन संबंधों में यह महत्वपूर्ण युग की शुरुआत होगी.”
बीजिंग मोदी-शी बैठक के लिए पुरजोर तैयारी में जुटा है. दौरे की तारीख-भले ही यह संयोग भर हो पर दिलचस्प है. शी 17 सितंबर, जो कि मोदी का जन्मदिन है, को अहमदाबाद में होंगे, उसके बाद दिल्ली की उड़ान भरेंगे. यह व्यवस्था आखिरी घड़ी में की गई है क्योंकि बीजिंग शी के पूर्व राजनैतिक पद—फूजिआन प्रांत के गवर्नर—को मोदी के मुख्यमंत्री पद से जोडऩा चाहता है.
इससे गुजरात-गुआंगदोंग संबंधों की शुरुआत भी हो सकती है. एक समझौता संभव है जिसके तहत चीन के तेजी से विकसित होते प्रांत की राजधानी गुआंगझओ और अहमदाबाद की—‘भाई शहर’ के रूप में घोषणा की जा सकती है. बीजिंग गुजरात मॉडल पर जोर देगा—राज्य में इंडस्ट्रियल पार्क की योजना बनाई जा रही है, दूसरा पार्क महाराष्ट्र में बनेगा.
बेशक, ये कूटनीतिक खुशगवार पहल कही जा सकती हैं. मोदी-शी बैठक का मूल आधार तो संस्कृति, शिक्षा, पर्यटन, जलवायु परिवर्तन, यहां तक कि खाद्य सुरक्षा में द्विपक्षीय समझौते होंगे. ऊर्जा संसाधनों के क्षेत्र में सहयोग के लिए भी रूपरेखा तैयार की जा रही है.
भारत जहां इन्फ्रास्ट्रक्चर और टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों को लेकर संवेदनशील है, चीन भारतीय रेल के आधुनिकीकरण में निवेश करने का इच्छुक है. चीन का तेज गति वाला रेल नेटवर्क दुनिया में सबसे बड़ा है. हालांकि जापान ने अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में सहयोग करने का करार कर बढ़त हासिल कर ली है लेकिन बीजिंग ने भी पहली बार भारत को तेज गति का रेल नेटवर्क स्थापित करने में आर्थिक मदद देने की पेशकश की है. चीन का मानना है कि यह भारत के लिए उपयोगी साबित होगी, क्योंकि चीन की तरह भारत में भी भौगोलिक विविधता है. इसमें खर्च भी कम होगा. चीनी अधिकारियों का कहना है कि फ्रांस, जर्मनी या जापान की पेशकश की तुलना में चीन की रेल परियोजना आधे खर्च में ही पूरी हो जाएगी.
चीन भारतीय ट्रेनों की गति को 200 किमी प्रति घंटा तक लाना चाहता है. अभी भारत में ट्रेनों की अधिकतम गति 160 किमी प्रति घंटा है. इसके अलावा वह स्टेशनों के आधुनिकीकरण में भी सहयोग करना चाहता है. चीन रेलवे कॉर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर ही हुआवू कहते हैं, “हाइ स्पीड रेल नेटवर्क विकसित करने का अनुभव हम बांटना चाहते हैं.” निवेश के लिए मुंबई से कोलकाता हाइ-स्पीड रेल लाइन चुनी गई है.
वैसे लिऊ और हिंदी फिल्में देख सकते हैं. एक “ऑडियो विजुअल्य समझौता हो सकता है, जिससे भारतीय फिल्म निर्माताओं की पहुंच दुनिया के दूसरे सबसे बड़े फिल्म बाजार में आसान हो जाएगी. बीजिंग संयुक्त फिल्म निर्माण की भी संभावना तलाश रहा है, जो दोनों देशों में प्रदर्शित की जा सकें. भारतीय फिल्म निर्माताओं को बाजार लुभा सकता है. फिल्म ब्यूरो ऑफ चीन के महानिदेशक झांग होंगसेन कहते हैं कि पिछले दशक से चीन में बॉक्स ऑफिस कलेक्शन हर साल 30 प्रतिशत की दर से बढ़ा है. पिछले साल यह 3.6 अरब डॉलर को छू रहा था.
लेकिन सहयोग की दौड़ में अब तक जापान आगे नजर आ रहा है. बीजिंग ने मोदी के जापान दौरे पर बारीकी से नजर रखी थी. लेकिन जब मोदी ने ‘समुद्र में अतिक्रमण करने वाले’ शब्द का प्रयोग किया तो बीजिंग में कोई आक्रोश नहीं फैला. लिऊ का कहना था कि भारत में निवेश के मामले में चीन जापान का प्रतिद्वंद्वी नहीं है. उनका यही कहना था, “आर्थिक सहयोग के मामले में हम यही करने की कोशिश कर रहे हैं कि एक बेहद बड़ा केक तैयार किया जाए ताकि हर किसी को बड़ा टुकड़ा मिल सके.”
डोभाल का अप्रत्याशित बीजिंग दौरा सीमा मुद्दे पर बात करने का पूर्व संकेत हो सकता है. शी से मिलने के बाद वे सीमा विवाद को लेकर और अधिक आशान्वित लग रहे थे. लिऊ कहते हैं, “हम दोनों ही सीमा मुद्दे से हट नहीं रहे हैं. इसके समाधान के लिए उपयोगी हल हम तलाशते रहेंगे.”
अभी यह देखना बाकी है कि क्या मोदी और शी सीमा वार्ता को गति दे पाएंगे. चीन भारत से संबंधों को नई दृष्टि से देखना चाहता है. भारत की प्रतिक्रिया द्विपक्षीय संबंधों का एजेंडा तय करेगी. जापान में मछलियों को चारा फेंकने के फोटो शूट से परे, मोदी की रणनीतिक चुनौतियां यहीं होंगी.