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शास्त्रीय संगीत के नए उस्ताद, नए सुर

टेक्नॉलोजी आदि के शौकीन नए समय के युवा शास्त्रीय संगीतकार अनूठा संगीत रचने के लिए परंपराओं से ऊपर उठकर काम कर रहे हैं.

अपडेटेड 25 अगस्त , 2014
अपना पारंपरिक कुर्ता-पाजामा पहने जयतीर्थ मेवुंडी ने हैदराबाद के निजाम कॉलेज में एक सालाना संगीत समारोह में राग पूरिया की अनूठी प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. मशहूर मेवाती घराने से ताल्लुक रखने वाले दिग्गज गायक पंडित जसराज श्रोताओं की भीड़ में बैठे थे. इस प्रस्तुति से वे इतने भाव विह्वल हुए कि मंच पर जा पहुंचे और कहा, ‘‘तुमने मुझे युवा भीमसेन जोशी की याद दिला दी!’’

बयालीस वर्षीय मेवुंडी संगीत के आकाश में उदित हुए एकमात्र नए सितारे नहीं हैं. हालांकि भारतीय शास्त्रीय संगीत के भविष्य पर छाने वाले काले बादलों की भविष्यवाणी लगातार की जाती रही है लेकिन इन सितारों का उत्सव अभी शुरू ही हुआ है. ये भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में पिछले पांच दशक से राज कर रहे पुराने उस्तादों की जगह लेने के लिए तैयार हैं.

रियाज के कभी न खत्म होने वाले घंटों के अलावा इस नई पीढ़ी के पास पंडित रविशंकर से लेकर उस्ताद विलायत खां और उस्ताद बिस्मिल्ला खां तक सबसे उम्दा संगीत को परखने और उससे सीखने का मौका है. जयपुर और आगरा घराने की शास्त्रीय परंपरा से जुड़े 44 वर्षीय गायक शौनक अभिषेकी कहते हैं, ‘‘मैं उस पीढ़ी की संतान हूं, जहां पुराने दिग्गज और आने वाले गायक साथ-साथ मौजूद हैं.’’
मेवुंडी और अभिषेकी जहां एक ओर परंपरा को खोज रहे हैं, वहीं वाद्य यंत्र बजाने वाले युवा संगीतकार अभूतपूर्व प्रयोगों, नवीनता और मेल के साथ संगीत के क्षितिज का विस्तार कर रहे हैं.

चालीस वर्षीय नीलाद्रि कुमार का जिटार के साथ जादुई रिश्ता है. जिटार सितार और गिटार के अद्भुत मेल से पैदा हुआ है. वहीं 38 वर्षीय मुराद अली संगीत का जादुई संगम पैदा करने के लिए फ्रांस के संगीतकारों के साथ जुगलबंदी करते हैं.

ये संगीतकार तकनीक के जानकार भी हैं. उनका संगीत सीमाओं को लांघकर नए दर्शकों की तलाश कर रहा है क्योंकि उनमें घराने की परंपरा से ऊपर उठने का साहस है. परंपरा के साथ ताजगी की जुगलबंदी करने वाले ये संगीतकार संगीत का नया, अनूठा व्याकरण रच रहे हैं. यह नए उस्तादों का युग है.
मुराद अली
मुराद अली, 38 वर्ष, सारंगी वादक
मंच पर गायकों के साथ संगत से अपनी यात्रा की शुरूआत की. मुरादाबाद की छठी पीढ़ी के सांरगी वादक अब बतौर एकल कलाकार देश और विदेशों में होने वाले विभिन्न कंसर्ट में प्रस्तुति देते हैं.
खोई कला को दे रहे नया जीवन
"सारंगी को मृतप्राय वाद्य यंत्र कह दिया जाता है, पर मुराद के हाथों में आकार वह खिल उठती है."- शुभेंदु राव, मशहूर सितार वादक

नीलाद्रि कुमार
नीलाद्रि कुमार, 40 वर्ष, सितारवादक
उनकी कला का खजाना विशुद्घ शास्त्रीय जुगलबंदी से लेकर फ्यूजन तक फैला हुआ है. जिटार के जादुई कंसर्ट ने पूरी दुनिया में श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया है.
तरोताजा नजरिया
"नीलाद्रि की प्रस्तुति और उनका काव्यात्मक अंदाज जादुई है. उन्होंने सितार के सुरों में क्रांति ला दी है. "- तरुण भट्टाचार्य, संतूर वादक

जयतीर्थ मेवुंडी
जयतीर्थ मेवुंडी, 42वर्ष, शास्त्रीय गायक
किराना घराने की मशाल को जिंदा रखने वाले कुछ चुनिंदा गायकों में से एक. मूलत: कर्नाटक के हुबली के रहने वाले इस गायक की गायकी भीमसेन जोशी की याद दिलाती है.
उभरता हुआ सितारा

टी.एम. कृष्णा
टी.एम. कृष्णा, 33 वर्ष, कर्नाटक शास्त्रीय गायक
गायक, कंपोजर और लेखक कृष्णा नवाचारी कलाकार हैं. किसी भी मोर्चे पर कर्नाटक संगीत को आगे बढ़ाने का वे कोई अवसर नहीं छोड़ते.
क्रांतिकारी संगीत
"कृष्णा उन संगीतकारों की पौध से ताल्लुक रखते हैं, जो क्रांतिकारी है. कर्नाटक संगीत की उनकी समझ् बहुत मौलिक है."- मधुप मुदगल, शास्त्रीय गायक

संजीव शंकर और अश्विनी शंकर
संजीव शंकर, 34 वर्ष
अश्विनी शंकर, 30 वर्ष

शहनाई वादक
शंकर बंधु बिस्मिल्ला खां के अवसान के बाद बनारस घराने की परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. शास्त्रीय संगीत के अलावा वे विदेशी बैंडों के साथ फ्यूजन भी कर चुके हैं.
भविष्य का चेहरा
''संजीव और अश्विनी बेहतरीन संगीतकार और भविष्य का चेहरा हैं." -शुभा मुदगल, गायिका

राकेश चौरसिया
राकेश चौरसिया, 41वर्ष, बांसुरी वादक
उस्ताद हरिप्रसाद चौरसिया के भतीजे राकेश पिछले 35 साल से उनसे शिक्षा ले रहे हैं. उन्होंने अपने दम पर अपना स्थान बनाया है.
सक्षम कंधों पर
"राकेश बहुत प्रतिभाशाली है और उसमें मेरी विरासत को आगे बढ़ाने की पूरी क्षमता है."- पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, बांसुरी वादक

शौनक अभिषेकी
शौनक अभिषेकी, 44 वर्ष, गायक
शास्त्रीय गायक और कंपोजर जितेंद्र अभिषेकी के बेटे और शिष्य शौनक ने अपनी गायिकी में आगरा और जयपुर घराने की शैलियों का मेल कराया है.
सुंदर और साहसी
"शौनक बहुत साहसी हैं और संगीत को लेकर नए प्रयोग करते रहते हैं. लेकिन इसके बावजूद अपनी परंपराओं में उनकी जड़ें गहरी हैं." -पंडित विश्वजीत रॉयचौधरी, प्रसिद्ध सरोदवादक

संजीव अभयंकर
संजीव अभयंकर, 45 वर्ष, हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक
संजीव ने आठ साल की उम्र में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया. वे मेवाती घराने से ताल्लुक रखते हैं. 1999 में फिल्म गॉडमदर में उनके गीत सुनो रे भाइला के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड से सम्मानित किया गया.
सही संतुलन
"संजीव के संगीत में साफगोई और सादगी है. उनकी आवाज में शमनकारी प्रभाव है." - अश्विनी भिड़े देशपांडे, गायक

कौशिकी चक्रवर्ती
कौशिकी  चक्रवर्ती, 34 वर्ष, गायिका
प्रसिद्घ भारतीय शास्त्रीय गायक अजय चक्रवर्ती की बेटी कौशिकी की आवाज में पटियाला घराने की सारी खूबियां हैं. उनकी शैली सहज और जीवंत है.संगीत का चेहरा
''वे प्रतिभा की खान हैं और  बिल्कुल किशोरी अमोणकर की तरह भारतीय शास्त्रीय संगीत का चेहरा बनेंगी.'' - सतीश व्यास, संतूर के उस्ताद
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