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नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में कौन है एम्स का दुश्मन?

नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में कौन है एम्स का दुश्मन? इंडिया टुडे संवाददाता पीयूष बबेले की पड़ताल में खुलासा. इंडिया पढ़िए टुडे के 18 जून के अंक में विशेष रिपोर्ट.

अपडेटेड 16 जून , 2014

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में लंबे समय से एम्स बनाने की मांग उठती रही है. बनारस की मांग है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचय) के मेडिकल कॉलेज और सर सुंदरलाल हॉस्पिटल को मिलाकर एम्स बना दिया जाए. इस साल मार्च में तो डॉक्टर इस मांग को लेकर हड़ताल पर भी चले गए थे. लेकिन असल में एम्स न बन पाना एक गहरी साजिश का हिस्सा है.

इंडिया टुडे ने फरवरी, 2013 से जनवरी 2014 के बीच बीएचयू के वाइसचांसलर कार्यालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय योजना आयोग के बीच हुए पत्रव्यवहार के ऐसे पत्र हासिल किए हैं जो बताते हैं कि स्वास्थ्य मंत्रालय, मानव संसाधन मंत्रालय और योजना आयोग वाराणसी में एम्स को मंजूरी देने को तैयार थे, लेकिन वाइसचांसल प्रोफेसर लालजी सिंह ने योजना आयोग को पत्र लिखकर एम्स बनवाने से इनकार कर दिया.

प्रो. लालजी सिंहदरअसल वाइसचांसलर को डर था कि एम्स बनने से अस्पताल का प्रशासनिक और अकादमिक नियंत्रण उनके हाथ से निकल जाएगा. योजना आयोग को मना करने बाद के वाइसचांसलर आराम से बैठ गए और सैकड़ों डॉक्टर इस उम्मीद में हड़ताल करते रहे कि उनका एम्स दिल्ली ने रोका है. क्या नई सरकार पुरानी फाइलें उठाकर मोदी के लोकसभा क्षेत्र को एम्स का तोहफा देगी और वाइसचांसलर बताएंगे कि उन्होंने एम्स का विरोध क्यों किया?
( पढ़िए इंडिया टुडे के 18 जून के अंक में विशेष रिपोर्ट)
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