अभी क्या करें
विश्वसनीय और ऊर्जावान ऐसे मंत्रियों की टीम का गठन किया जाए जिनके पास विजन है, कुछ करने का इरादा रखते हैं और जो सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह और जहाजरानी मंत्रालयों के लिए महत्वाकांक्षी एजेंडे को आगे बढ़ा सकें.
इन्वेस्टर्स का भरोसा बहाल करने के लिए इनमें से हरेक क्षेत्र मंऔ एक क्रियान्वयन खाका बनाकर प्रोजेक्ट शुरू किए जाएं, जिस पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की सतत निगरानी रहे.
बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विकास में रोड़े बन रहे मुद्दों (कोल लिंकेज, नियामक संबंधी अड़चनें, प्रोजेक्ट की रूपरेखा में खामियां) को सुलझाने से जुड़े कदम उठाने की घोषणा की जाए, ताकि भारत के इस क्षेत्र से इन्वेस्टर्स के घटते भरोसे को रोका जा सके.
भूमि अधिग्रहण नियम में संशोधन कर सरकार के अधिकार को सर्वोपरि माना जाए और सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट चैप्टर को खत्म कर दिया जाए.
देश-समाज हित में फैसले लेने वाले ईमानदार अधिकारियों को सीबीआइ, केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी), महालेखा नियंत्रक (सीएजी) और देश की ऐसी ही दूसरी जांच एजेंसियों से सुरक्षा मिलनी चाहिए क्योंकि पर्याप्त सुरक्षा कवच के बिना अधिकारी दूरदर्शी फैसले नहीं ले पाते.
सड़कें
अभी क्या करें
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को निर्देश दिया जाए कि जहां रियायती मूल्य पर ठेके लेने वाला समय पर काम न कर पाए, तो उससे काम वापस ले लिया जाए.
अधूरे, टोल आधारित प्रोजेक्ट्स को फिर शुरू करने के लिए वित्तीय जरूरतों की भरपाई के लिए प्रीमियम नए ढंग से तैयार किया जाए.
किसी भी दिशा में आगे न बढ़ पाने वाली योजनाओं को रद्द कर देना चाहिए और नए सिरे से निविदाएं आमंत्रित की जाएं.
100 दिन में करें
ई-टोलिंग को एनएचएआइ और राज्य सरकार के अधीन लाने का काम किया जाए.
सड़कों के लिए नियामक प्राधिकरण गठित किया जाए और एनएचएआइ को इसके विकास और नियमन की दोहरी भूमिका से मुक्त किया जाए.
वित्तीय मदद देने वालों को आकर्षित किया जाए और एक ही क्षेत्र के लिए पैसा लेने की शर्त हटाई जाए.
पारदर्शी रूपरेखा तैयार की जाए ताकि दबाव में दिए गए ठेकों पर नए सिरे से बात हो सके.
राजमार्ग क्षेत्र के लिए जमीन अधिग्रहण की विशेष नीति तैयार की जाए, ताकि कम समय में जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी हो सके.
एक साल में करें
ठेके देने की प्रक्रिया का पुनर्गठन किया जाए ताकि माइक्रोइकोनॉमिक माहौल के आधार पर समुचित बदलाव के लिए लचीलापन आ सके.
नए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) स्ट्रक्चर (टोल+सालाना भत्ता+मिश्रित सालाना भत्ता) शुरू हों.
''वैल्यू फॉर मनी (वीएफएम)” यानी खर्च किए गए पैसे का पूरा फायदा लेने के लिए ठोस ढांचा बने.
राजमार्ग प्रोजेक्ट्स के लिए 40 फीसदी वित्तीय सहयोग की समीक्षा की जाए. पीपीपी के तहत तीन साल में ऐसे प्रोजेक्ट्स को पूरा करना आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद नहीं होता.
तीन साल में करें
संस्थागत क्षमता को मजबूत करना ताकि पीपीपी के तहत प्रोजेक्ट्स का सही ढंग से प्रबंधन किया जा सके.
प्रोजेक्ट्स के विकास और गति पर निगरानी के लिए संस्थागत क्षमता को मजबूत करना.
पांच साल में करें
कॉर्पोरेट कर्ज बाजार विकसित कर उसे मजबूत करें और ऐसी व्यवस्था बनाएं कि वित्तीय सहायता बीमा और पेंशन फंड से मिल सके.
दुनिया भर के देशों में अपनाई जाने वाली व्यवस्था को नियमित रूप से देखने-परखने की व्यवस्था बनाई जाए.
रेलवे
अभी क्या करें
'पिंक बुक’ में चिन्हित प्राथमिकता के आधार पर प्रोजेक्ट्स को लागू करने के लिए पांच साल का कार्यक्रम तैयार किया जाए.
अहम रेल प्रोजेक्ट्स में सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की इजाजत मिले.
ईंधन की कीमतों में बदलाव का भार यात्रियों और माल भाड़े को वहन करने देना चाहिए.
माल ढुलाई कॉरिडोर और पोर्ट कनेक्टिविटी जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स पर फोकस करें.
माल भाड़ा और यात्री आय के बीच वर्तमान क्रॉस-सब्सिडी को खत्म करें. माल भाड़ा कम करें.
100 दिन में कर
बजट व्यवस्था से परे किराए के बारे में पारदर्शी और टिकाऊ व्यवस्था के लिए बजट
के अनुसार स्वतंत्र रेल भाड़ा प्राधिकरण का गठन किया जाए.
एक साल में करें
रेलवे बोर्ड के संगठनात्मक ढांचे को पुनर्गठित किया जाए. लागत और राजस्व को 'प्रोजेक्ट अथवा डिविजन आधारित अकाउंटिंग’ व्यवस्था के दायरे में लाने के लिए बाधा को दूर किया जाना चाहिए.
अतिरिक्त रेल भूमि के प्रयोग के जरिए किराए से इतर आय रणनीति तैयार की जाए.
भारतीय रेल निर्माण इकाइयों और वर्कशॉप्स की समीक्षा की जाए और व्यावसायिक हितों के अनुकूल उनका पुनर्गठन/सुधार किया जाए.
तीन साल में करें
भारतीय रेलवे को कॉर्पोरेट बनाया जाए और माल भाड़ा तथा यात्री गतिविधियों को इससे अलग रखा जाए.
लक्ष्य निर्धारित कर संचालन खर्च में कटौती की जाए. इसके लिए ऊर्जा और मानव श्रम का अधिकतम उपयोग कर स्थापित मानकों के अनुकूल स्तर रखा जाना चाहिए.
मांग प्रबंधन और किराए में वृद्धि कर रेल यात्रा मुनाफे वाली बनाई जाए.
दक्षता लाने के लिए स्वतंत्र घटकों (रेल नेटवर्क, ऑपरेशंस, कॉमर्शियल्स, इंजीनियरिंग और मेंटेनेंस) को खत्म किया जाए.
प्रीटिंग प्रेस, मिनरल वाटर, टाउनशिप जैसी गतिविधियों को फोकस्ड बिजनेस ऑर्गेनाइजेशंस (एफबीओ) के दायरे में लाएं.
पांच साल में करें
रेल ऑपरेशंस, कॉमर्शियल्स आदि में निजी भागीदारी को आमंत्रित करने के लिए जरूरत के अनुसार रियायत फ्रेमवर्क अपनाएं.
एफबीओ को दूरकर निजी क्षेत्र के लिए विनिवेश करें.
उत्पादन इकाइयों और वर्कशॉप के प्रबंधन और संचालन के लिए विनिवेश करें या निजी क्षेत्र को शामिल करें.
हवाई अड्डे
अभी क्या करें
नवी मुंबई और गोवा एयरपोर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स और छह हवाई अड्डों के संचालन, रख-रखाव और ट्रांसफर (ओएमटी) के लिए ठेका देने की राह में आई बाधाओं को दूर किया जाए.
भारतीय नागरिक उड्डयन प्राधिकरण विधेयक-2013 पारित किया जाए.
छोटे, क्षेत्रीय हवाई अड्डों से एयरपोर्ट शुल्क खत्म किया जाए. छोटे हवाई अड्डों पर उड़ान भरने की खातिर प्रोत्साहित करने के लिए अनिवार्य वायु सेवा फंड का इस्तेमाल करें.
एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) पर टैक्स और एयरपोर्ट टैक्स व्यवस्था में संशोधन करें.
एयर कार्गो यातायात बढ़ाने के लिए ऑफ-डॉक एअर फ्रेट स्टेशनों के विकास के मामले में उदारता अपनाएं.
100 दिन में करें
पीपीपी के लिए द्वितीय और तृतीय श्रेणी के हवाई अड्डों की मजबूत व्यवस्था बने.
द्वितीय और तृतीय श्रेणी के हवाई अड्डों के लिए प्रोजेक्ट जोखिम खत्म करें. नई रियायती कार्य संरचना अपनाएं ताकि कम लागत में एयरपोर्ट को अपग्रेड करने (ऊपर की श्रेणी में ले जाने) के लिए कई वर्गों के इन्वेस्टर्स को आकर्षित किया जा सके.
क्षेत्रीय ऑपरेशंस की खातिर हब विकसित करने के लिए विभिन्न एयरलाइनों को प्रोत्साहित करें.
एक साल में करें
एयर नेविगेशन सर्विसेज (एएनएस) को कॉर्पोरेट की शक्ल देने की दिशा में तेज गति से काम करें, यह काम निश्चित समय सीमा में पूरा हो जाना चाहिए.
एईआरए अधिनियम में संशोधन कर नियामक के काम के बोझ को कम करें.
लगभग 350 प्रयोग में न आ रही हवाई पट्टियों के विकास और संचालन शुरू करने के लिए नीति तैयार हो.
तीन साल में करें
भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण के विनिवेश से इक्विटी बाजार में संभावनाएं तलाशें.
चुनिंदा अच्छे हवाई अड्डों पर मेंटेनेंस ऐंड रिपेयर ऑर्गेनाइजेशंस (एमआरओ) और एरोस्पेस तथा एरोट्रोपोलाइज का विकास हो.
पांच साल में करें
ऐसी व्यवस्था करें कि देश के 100 बड़े शहरों की अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी (हर तरह की यात्रा से) 120 मिनट से कम हो.
अंतरराष्ट्रीय ईस्ट-वेस्ट ट्रैफिक के लिए भारत में महत्वपूर्ण जगहें विकसित की जाएं.
उचित संतुलन के लिए हवाई अड्डा और रेल, दोनों के बुनियादी ढांचे का समन्वयात्मक विकास किया जाना चाहिए.
बिजली
अभी क्या करें
बिडिंग प्रक्रिया समय पर पूरी करें. दो बड़े बिजली प्रोजेक्ट्स (अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट्स, यूएमपीपी) का ठेका दें और नई आइपीटीसी के लिए बोली प्रक्रिया शुरू करें. इस प्रोजेक्ट की टैरिफ आधारित प्रतियोगी बिडिंग के रूप में पहचान की गई है.
यह सुनिश्चित कर लें कि सरकारी नियामक हरित ऊर्जा निर्माताओं को विश्वसनीय बाजार उपलब्ध करवाने के लिए नवीकरणीय वसूली नियम लागू कर रहे हैं. इससे ऊर्जा सुरह्ना में इजाफा किया जा सकेगा और कार्बन उत्सर्जन घटेगा.
कोयला ठेका और ब्लॉक के आवंटन में पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने के लिए स्पष्ट नीति की दिशा में नियम तैयार करें.
100 दिन में करें
वृहत्तर टैरिफ संशोधनों और क्लियर फ्यूल पास-थ्रू प्रावधानों के जरिए डिस्कॉम्स की उपयोगिता में सुधार लाएं.
फ्रेंचाइजी या पीपीपी के जरिए निजी भागीदारी बढ़ाएं.
एक साल में करें
बिजली क्षेत्र में एफडीआइ बढ़ाने की व्यवस्था की रूपरेखा तैयार करें. बैंक फाइनेंस और एनपीए के स्तर की सीमा जरूर देख लें.
बिजली अधिनियम-2003 में संशोधन कर सप्लायर के चयन को उन लोगों के लिए उदार बनाएं जो एक मेगावाट से ज्यादा खर्च करते हैं. सरकारी नियामकों की प्रतियोगिता पर लगी रोक हटे.
बांग्लादेश के जरिए एक पावर ट्रांसमिशन कॉरिडोर और पूर्वोत्तर में पनबिजली विकसित करें.
तीन साल में करें
प्रगति की समीक्षा करें. सभी गांवों में तुरंत बिजली पहुंचाने और हर शहरी घर में बिजली की सुविधा के लिए वित्तीय मदद की आक्रामक नीति तैयार करें.
घरेलू और आयातित रिएक्टरों से परमाणु ऊर्जा विकसित करें. ऑस्ट्रेलिया, कजाकस्तान आदि से यूरेनियम की आपूर्ति के लिए द्विपक्षीय समझौता करें.
पांच साल में करें
ऊर्जा और केंद्रीय तथा राज्य ऊर्जा नीतियों की समीक्षा कर ऊर्जा सुरक्षा मजबूत करें.
रिटेल टैरिफ में मौजूदा क्रॉस सब्सिडी व्यवस्था को खत्म करें.
बंदरगाह और जहाजरानी
अभी क्या करें
बड़े बंदरगाहों के लिए टैरिफ अथॉरिटी को भंग कर दें क्योंकि इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है.
जहाज बनाने के लिए मिलने वाली सब्सिडी फिर शुरू करें ताकि जहाज निर्माण को नष्ट होने से रोका जा सके और देश इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सके.
100 दिन में करें
कोलकाता में डीप सी (गहरे समुद्र) बंदरगाह का तेजी से विकास ताकि ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का लाभ मिल सके.
तट पर समुद्री यात्रियों-नाविकों को अंतरराष्ट्रीय शिपिंग में तैनात यात्रियों जितनी ही टैक्स राहत दें.
सारे बंदरगाहों पर कार्गो लाइसेंस देने की व्यवस्था बंद हो.
एक साल में करें
नेशनल मैरीटाइम डेवलपमेंट प्रोग्राम को नए सिरे से गठित करें और बंदरगाह विकास को विस्तृत फ्रेमवर्क में लाएं.
बंदरगाहों के साथ कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को क्षमता विकास की शर्त के साथ जोड़ें.
कस्टम प्रक्रियाओं को टेक्नोलॉजी आधारित बनाएं और उन्हे सरल करें.
तीन साल में करें
बंदरगाहों को शहर की सीमाओं से बाहर ले जाएं. शहर से बाहर बंदरगाह बनाने के लिए पैसा दें.
तट पर हर 500 किमी पर एक बंदरगाह बनाएं.
पश्चिमी घाट पर बंदरगाहों के विकास पर लगे प्रतिबंध हटाएं.
पांच साल में करें
अंदरूनी हिस्सों से जोडऩे के लिए एक अंतरदेशीय जलमार्ग योजना बनाएं.
कम-से-कम 10 नए बंदरगाह शहर और बंदरगाह आधारित औद्योगिक क्लस्टर तैयार करें.
(लेखक केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में सचिव हैं.)
विश्वसनीय और ऊर्जावान ऐसे मंत्रियों की टीम का गठन किया जाए जिनके पास विजन है, कुछ करने का इरादा रखते हैं और जो सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह और जहाजरानी मंत्रालयों के लिए महत्वाकांक्षी एजेंडे को आगे बढ़ा सकें.
इन्वेस्टर्स का भरोसा बहाल करने के लिए इनमें से हरेक क्षेत्र मंऔ एक क्रियान्वयन खाका बनाकर प्रोजेक्ट शुरू किए जाएं, जिस पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की सतत निगरानी रहे.
बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विकास में रोड़े बन रहे मुद्दों (कोल लिंकेज, नियामक संबंधी अड़चनें, प्रोजेक्ट की रूपरेखा में खामियां) को सुलझाने से जुड़े कदम उठाने की घोषणा की जाए, ताकि भारत के इस क्षेत्र से इन्वेस्टर्स के घटते भरोसे को रोका जा सके.
भूमि अधिग्रहण नियम में संशोधन कर सरकार के अधिकार को सर्वोपरि माना जाए और सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट चैप्टर को खत्म कर दिया जाए.
देश-समाज हित में फैसले लेने वाले ईमानदार अधिकारियों को सीबीआइ, केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी), महालेखा नियंत्रक (सीएजी) और देश की ऐसी ही दूसरी जांच एजेंसियों से सुरक्षा मिलनी चाहिए क्योंकि पर्याप्त सुरक्षा कवच के बिना अधिकारी दूरदर्शी फैसले नहीं ले पाते.
सड़कें
अभी क्या करें
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को निर्देश दिया जाए कि जहां रियायती मूल्य पर ठेके लेने वाला समय पर काम न कर पाए, तो उससे काम वापस ले लिया जाए.
अधूरे, टोल आधारित प्रोजेक्ट्स को फिर शुरू करने के लिए वित्तीय जरूरतों की भरपाई के लिए प्रीमियम नए ढंग से तैयार किया जाए.
किसी भी दिशा में आगे न बढ़ पाने वाली योजनाओं को रद्द कर देना चाहिए और नए सिरे से निविदाएं आमंत्रित की जाएं.
100 दिन में करें
ई-टोलिंग को एनएचएआइ और राज्य सरकार के अधीन लाने का काम किया जाए.
सड़कों के लिए नियामक प्राधिकरण गठित किया जाए और एनएचएआइ को इसके विकास और नियमन की दोहरी भूमिका से मुक्त किया जाए.
वित्तीय मदद देने वालों को आकर्षित किया जाए और एक ही क्षेत्र के लिए पैसा लेने की शर्त हटाई जाए.
पारदर्शी रूपरेखा तैयार की जाए ताकि दबाव में दिए गए ठेकों पर नए सिरे से बात हो सके.
राजमार्ग क्षेत्र के लिए जमीन अधिग्रहण की विशेष नीति तैयार की जाए, ताकि कम समय में जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी हो सके.
एक साल में करें
ठेके देने की प्रक्रिया का पुनर्गठन किया जाए ताकि माइक्रोइकोनॉमिक माहौल के आधार पर समुचित बदलाव के लिए लचीलापन आ सके.
नए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) स्ट्रक्चर (टोल+सालाना भत्ता+मिश्रित सालाना भत्ता) शुरू हों.
''वैल्यू फॉर मनी (वीएफएम)” यानी खर्च किए गए पैसे का पूरा फायदा लेने के लिए ठोस ढांचा बने.
राजमार्ग प्रोजेक्ट्स के लिए 40 फीसदी वित्तीय सहयोग की समीक्षा की जाए. पीपीपी के तहत तीन साल में ऐसे प्रोजेक्ट्स को पूरा करना आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद नहीं होता.
तीन साल में करें
संस्थागत क्षमता को मजबूत करना ताकि पीपीपी के तहत प्रोजेक्ट्स का सही ढंग से प्रबंधन किया जा सके.
प्रोजेक्ट्स के विकास और गति पर निगरानी के लिए संस्थागत क्षमता को मजबूत करना.
पांच साल में करें
कॉर्पोरेट कर्ज बाजार विकसित कर उसे मजबूत करें और ऐसी व्यवस्था बनाएं कि वित्तीय सहायता बीमा और पेंशन फंड से मिल सके.
दुनिया भर के देशों में अपनाई जाने वाली व्यवस्था को नियमित रूप से देखने-परखने की व्यवस्था बनाई जाए.
रेलवे
अभी क्या करें
'पिंक बुक’ में चिन्हित प्राथमिकता के आधार पर प्रोजेक्ट्स को लागू करने के लिए पांच साल का कार्यक्रम तैयार किया जाए.
अहम रेल प्रोजेक्ट्स में सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की इजाजत मिले.
ईंधन की कीमतों में बदलाव का भार यात्रियों और माल भाड़े को वहन करने देना चाहिए.
माल ढुलाई कॉरिडोर और पोर्ट कनेक्टिविटी जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स पर फोकस करें.
माल भाड़ा और यात्री आय के बीच वर्तमान क्रॉस-सब्सिडी को खत्म करें. माल भाड़ा कम करें.
100 दिन में कर
बजट व्यवस्था से परे किराए के बारे में पारदर्शी और टिकाऊ व्यवस्था के लिए बजट
के अनुसार स्वतंत्र रेल भाड़ा प्राधिकरण का गठन किया जाए.
एक साल में करें
रेलवे बोर्ड के संगठनात्मक ढांचे को पुनर्गठित किया जाए. लागत और राजस्व को 'प्रोजेक्ट अथवा डिविजन आधारित अकाउंटिंग’ व्यवस्था के दायरे में लाने के लिए बाधा को दूर किया जाना चाहिए.
अतिरिक्त रेल भूमि के प्रयोग के जरिए किराए से इतर आय रणनीति तैयार की जाए.
भारतीय रेल निर्माण इकाइयों और वर्कशॉप्स की समीक्षा की जाए और व्यावसायिक हितों के अनुकूल उनका पुनर्गठन/सुधार किया जाए.
तीन साल में करें
भारतीय रेलवे को कॉर्पोरेट बनाया जाए और माल भाड़ा तथा यात्री गतिविधियों को इससे अलग रखा जाए.
लक्ष्य निर्धारित कर संचालन खर्च में कटौती की जाए. इसके लिए ऊर्जा और मानव श्रम का अधिकतम उपयोग कर स्थापित मानकों के अनुकूल स्तर रखा जाना चाहिए.
मांग प्रबंधन और किराए में वृद्धि कर रेल यात्रा मुनाफे वाली बनाई जाए.
दक्षता लाने के लिए स्वतंत्र घटकों (रेल नेटवर्क, ऑपरेशंस, कॉमर्शियल्स, इंजीनियरिंग और मेंटेनेंस) को खत्म किया जाए.
प्रीटिंग प्रेस, मिनरल वाटर, टाउनशिप जैसी गतिविधियों को फोकस्ड बिजनेस ऑर्गेनाइजेशंस (एफबीओ) के दायरे में लाएं.
पांच साल में करें
रेल ऑपरेशंस, कॉमर्शियल्स आदि में निजी भागीदारी को आमंत्रित करने के लिए जरूरत के अनुसार रियायत फ्रेमवर्क अपनाएं.
एफबीओ को दूरकर निजी क्षेत्र के लिए विनिवेश करें.
उत्पादन इकाइयों और वर्कशॉप के प्रबंधन और संचालन के लिए विनिवेश करें या निजी क्षेत्र को शामिल करें.
हवाई अड्डे
अभी क्या करें
नवी मुंबई और गोवा एयरपोर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स और छह हवाई अड्डों के संचालन, रख-रखाव और ट्रांसफर (ओएमटी) के लिए ठेका देने की राह में आई बाधाओं को दूर किया जाए.
भारतीय नागरिक उड्डयन प्राधिकरण विधेयक-2013 पारित किया जाए.
छोटे, क्षेत्रीय हवाई अड्डों से एयरपोर्ट शुल्क खत्म किया जाए. छोटे हवाई अड्डों पर उड़ान भरने की खातिर प्रोत्साहित करने के लिए अनिवार्य वायु सेवा फंड का इस्तेमाल करें.
एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) पर टैक्स और एयरपोर्ट टैक्स व्यवस्था में संशोधन करें.
एयर कार्गो यातायात बढ़ाने के लिए ऑफ-डॉक एअर फ्रेट स्टेशनों के विकास के मामले में उदारता अपनाएं.
100 दिन में करें
पीपीपी के लिए द्वितीय और तृतीय श्रेणी के हवाई अड्डों की मजबूत व्यवस्था बने.
द्वितीय और तृतीय श्रेणी के हवाई अड्डों के लिए प्रोजेक्ट जोखिम खत्म करें. नई रियायती कार्य संरचना अपनाएं ताकि कम लागत में एयरपोर्ट को अपग्रेड करने (ऊपर की श्रेणी में ले जाने) के लिए कई वर्गों के इन्वेस्टर्स को आकर्षित किया जा सके.
क्षेत्रीय ऑपरेशंस की खातिर हब विकसित करने के लिए विभिन्न एयरलाइनों को प्रोत्साहित करें.
एक साल में करें
एयर नेविगेशन सर्विसेज (एएनएस) को कॉर्पोरेट की शक्ल देने की दिशा में तेज गति से काम करें, यह काम निश्चित समय सीमा में पूरा हो जाना चाहिए.
एईआरए अधिनियम में संशोधन कर नियामक के काम के बोझ को कम करें.
लगभग 350 प्रयोग में न आ रही हवाई पट्टियों के विकास और संचालन शुरू करने के लिए नीति तैयार हो.
तीन साल में करें
भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण के विनिवेश से इक्विटी बाजार में संभावनाएं तलाशें.
चुनिंदा अच्छे हवाई अड्डों पर मेंटेनेंस ऐंड रिपेयर ऑर्गेनाइजेशंस (एमआरओ) और एरोस्पेस तथा एरोट्रोपोलाइज का विकास हो.
पांच साल में करें
ऐसी व्यवस्था करें कि देश के 100 बड़े शहरों की अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी (हर तरह की यात्रा से) 120 मिनट से कम हो.
अंतरराष्ट्रीय ईस्ट-वेस्ट ट्रैफिक के लिए भारत में महत्वपूर्ण जगहें विकसित की जाएं.
उचित संतुलन के लिए हवाई अड्डा और रेल, दोनों के बुनियादी ढांचे का समन्वयात्मक विकास किया जाना चाहिए.
बिजली
अभी क्या करें
बिडिंग प्रक्रिया समय पर पूरी करें. दो बड़े बिजली प्रोजेक्ट्स (अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट्स, यूएमपीपी) का ठेका दें और नई आइपीटीसी के लिए बोली प्रक्रिया शुरू करें. इस प्रोजेक्ट की टैरिफ आधारित प्रतियोगी बिडिंग के रूप में पहचान की गई है.
यह सुनिश्चित कर लें कि सरकारी नियामक हरित ऊर्जा निर्माताओं को विश्वसनीय बाजार उपलब्ध करवाने के लिए नवीकरणीय वसूली नियम लागू कर रहे हैं. इससे ऊर्जा सुरह्ना में इजाफा किया जा सकेगा और कार्बन उत्सर्जन घटेगा.
कोयला ठेका और ब्लॉक के आवंटन में पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने के लिए स्पष्ट नीति की दिशा में नियम तैयार करें.
100 दिन में करें
वृहत्तर टैरिफ संशोधनों और क्लियर फ्यूल पास-थ्रू प्रावधानों के जरिए डिस्कॉम्स की उपयोगिता में सुधार लाएं.
फ्रेंचाइजी या पीपीपी के जरिए निजी भागीदारी बढ़ाएं.
एक साल में करें
बिजली क्षेत्र में एफडीआइ बढ़ाने की व्यवस्था की रूपरेखा तैयार करें. बैंक फाइनेंस और एनपीए के स्तर की सीमा जरूर देख लें.
बिजली अधिनियम-2003 में संशोधन कर सप्लायर के चयन को उन लोगों के लिए उदार बनाएं जो एक मेगावाट से ज्यादा खर्च करते हैं. सरकारी नियामकों की प्रतियोगिता पर लगी रोक हटे.
बांग्लादेश के जरिए एक पावर ट्रांसमिशन कॉरिडोर और पूर्वोत्तर में पनबिजली विकसित करें.
तीन साल में करें
प्रगति की समीक्षा करें. सभी गांवों में तुरंत बिजली पहुंचाने और हर शहरी घर में बिजली की सुविधा के लिए वित्तीय मदद की आक्रामक नीति तैयार करें.
घरेलू और आयातित रिएक्टरों से परमाणु ऊर्जा विकसित करें. ऑस्ट्रेलिया, कजाकस्तान आदि से यूरेनियम की आपूर्ति के लिए द्विपक्षीय समझौता करें.
पांच साल में करें
ऊर्जा और केंद्रीय तथा राज्य ऊर्जा नीतियों की समीक्षा कर ऊर्जा सुरक्षा मजबूत करें.
रिटेल टैरिफ में मौजूदा क्रॉस सब्सिडी व्यवस्था को खत्म करें.
बंदरगाह और जहाजरानी
अभी क्या करें
बड़े बंदरगाहों के लिए टैरिफ अथॉरिटी को भंग कर दें क्योंकि इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है.
जहाज बनाने के लिए मिलने वाली सब्सिडी फिर शुरू करें ताकि जहाज निर्माण को नष्ट होने से रोका जा सके और देश इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सके.
100 दिन में करें
कोलकाता में डीप सी (गहरे समुद्र) बंदरगाह का तेजी से विकास ताकि ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का लाभ मिल सके.
तट पर समुद्री यात्रियों-नाविकों को अंतरराष्ट्रीय शिपिंग में तैनात यात्रियों जितनी ही टैक्स राहत दें.
सारे बंदरगाहों पर कार्गो लाइसेंस देने की व्यवस्था बंद हो.
एक साल में करें
नेशनल मैरीटाइम डेवलपमेंट प्रोग्राम को नए सिरे से गठित करें और बंदरगाह विकास को विस्तृत फ्रेमवर्क में लाएं.
बंदरगाहों के साथ कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को क्षमता विकास की शर्त के साथ जोड़ें.
कस्टम प्रक्रियाओं को टेक्नोलॉजी आधारित बनाएं और उन्हे सरल करें.
तीन साल में करें
बंदरगाहों को शहर की सीमाओं से बाहर ले जाएं. शहर से बाहर बंदरगाह बनाने के लिए पैसा दें.
तट पर हर 500 किमी पर एक बंदरगाह बनाएं.
पश्चिमी घाट पर बंदरगाहों के विकास पर लगे प्रतिबंध हटाएं.
पांच साल में करें
अंदरूनी हिस्सों से जोडऩे के लिए एक अंतरदेशीय जलमार्ग योजना बनाएं.
कम-से-कम 10 नए बंदरगाह शहर और बंदरगाह आधारित औद्योगिक क्लस्टर तैयार करें.
(लेखक केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में सचिव हैं.)