भारतीय राजनीति के अहम दिन 16 मई को दोपहर ढाई बजे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चेहरे पर मुस्कराहट लिए कहा, “श्रीमान नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है. नरेंद्र भाई का नेतृत्व चमत्कारी है. जो सपना दीनदयालजी और श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देखा था, जिसके लिए अटलजी, आडवाणीजी ने काम किया था, वह पूरा हुआ.” उन्होंने पत्रकारों से कहा, “अच्छे दिन आ गए हैं.”
यह पहला मौका था जब चौहान ने गुजरात के मुख्यमंत्री पर खुलकर प्रशंसा के फूल बरसाए. चौहान को पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का सिपहसलार माना जाता है, जिन्होंने मोदी को प्रधानमंत्री बनाए जाने का विरोध किया था. लेकिन जब देश में मोदी की लहर तूफान बन गई तो चौहान ने उन्हें बधाई देने में देर नहीं की.
चौहान काफी खुश दिख रहे थे. मोदी लहर और उनके करिश्मे ने मिलकर आम चुनावों में बीजेपी को एकतरफा जीत दिलाई और उसे मध्य प्रदेश की 29 में से 27 सीटें मिलीं. 2009 के आम चुनावों में बीजेपी को राज्य में 16 सीटें हासिल हुई थीं. मोदी-चौहान जोड़ी इतनी ताकतवर साबित हुई कि विदिशा से इस बार फिर चुनाव लड़ रहीं सुषमा स्वराज ने अपने कांग्रेसी प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को 4,10,698 वोटों के जबरदस्त अंतर से हराया. इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री सुमित्रा महाजन ने मध्य प्रदेश की इंदौर सीट से लगातार आठवीं बार जीतकर इतिहास रच दिया, वह भी 4,66,901 वोटों के भारी अंतर से.
छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी की विजय का शंखनाद गूंज रहा है. 16 मई को सुबह करीब पौने ग्यारह बजे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने नरेंद्र मोदी को फोन करके बधाई दी. दोनों काफी देर तक बात करते रहे और उनका अनुमान यही था कि बीजेपी को बहुमत मिलेगा और कांग्रेस 70 सीटों पर सिमट जाएगी. यह मोदी लहर और रमन सिंह की साफ-सुथरी छवि का परिणाम था कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी को 10 सीटें मिलीं. यह मोदी लहर का ही नतीजा था कि छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी महासमंद की अपनी सीट बचा नहीं पाए और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी चंदूलाल साहू से 1,556 वोटों से हार गए.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस छिंदवाड़ा और गुना के अपने दो गढ़ बचाने में कामयाब हुई है, जहां से केंद्रीय मंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को जीत मिली है. कांग्रेस के राज्य पार्टी प्रमुख और खंडवा से सांसद अरुण यादव बीजेपी के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी नंदकुमार सिंह चौहान से 2,59,714 वोटों के अंतर से हार गए हैं.
2009 में कांग्रेस को राज्य की 29 में से 12 सीटें हासिल हुई थीं. उस चुनाव में मालवा इलाके की आधी सीटों पर कांग्रेस को विजय मिली थी. लेकिन इस बार बीजेपी ने अपना होमवर्क तगड़ा किया और मालवा की सभी आठ सीटों पर उसे विजय मिली. बीजेपी और आरएसएस ने चुनावों की तैयारी में मालवा इलाके पर खास ध्यान दिया. बीजेपी की राज्य सरकार ने नर्मदा और क्षिप्रा नदियों को इंदौर के उज्जैनी में जोड़कर उनके जल को मालवा के शुष्क इलाकों तक पहुंचाया. इस कदम का बीजेपी को काफी फायदा मिला है.
16वें आम चुनाव कुछ हद तक 1977 के आम चुनावों जैसे ही हैं जिसमें अविभाजित मध्य प्रदेश (छत्तीसगढ़ सहित) की 40 सीटों में से 39 पर कांग्रेस हार गई थी और जनता पार्टी ने ये सीटें छीन ली थीं. तब कांग्रेस की एकमात्र उम्मीदवार गार्गी शंकर मिश्रा को छिंदवाड़ा से विजय मिली थी. स्थिति साफ थी, लेकिन मध्य प्रदेश में नवंबर के विधानसभा चुनावों में भी बुरी तरह हार का सामना करने वाली कांग्रेस इससे कोई सबक नहीं ले पाई.
चुनावों की तैयारी के दौरान बीजेपी ने एकजुट चेहरे और मिशन 29 (सभी 29 सीटों पर जीत के उद्देश्य से) के साथ जोशीला अभियान शुरू किया, जबकि कांग्रेस में गुटबाजी बनी रही. उसके तीन विधायक संजय पाठक, दिनेश अहिरवार और नारायण त्रिपाठी पिछले महीने ही बीजेपी में शामिल हो गए.
नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश में 11 जनसभाएं कीं जिसमें उनको जबरदस्त समर्थन मिला. चौहान ने चुनाव अभियान के दौरान राज्य में 155 जनसभाओं को संबोधित किया. बीजेपी की वरिष्ठ नेता सुमित्रा महाजन कहती हैं कि मोदी लहर और चौहान के करिश्मे ने मध्य प्रदेश से कांग्रेस को उखाड़ फेंका.
यह पहला मौका था जब चौहान ने गुजरात के मुख्यमंत्री पर खुलकर प्रशंसा के फूल बरसाए. चौहान को पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का सिपहसलार माना जाता है, जिन्होंने मोदी को प्रधानमंत्री बनाए जाने का विरोध किया था. लेकिन जब देश में मोदी की लहर तूफान बन गई तो चौहान ने उन्हें बधाई देने में देर नहीं की.
चौहान काफी खुश दिख रहे थे. मोदी लहर और उनके करिश्मे ने मिलकर आम चुनावों में बीजेपी को एकतरफा जीत दिलाई और उसे मध्य प्रदेश की 29 में से 27 सीटें मिलीं. 2009 के आम चुनावों में बीजेपी को राज्य में 16 सीटें हासिल हुई थीं. मोदी-चौहान जोड़ी इतनी ताकतवर साबित हुई कि विदिशा से इस बार फिर चुनाव लड़ रहीं सुषमा स्वराज ने अपने कांग्रेसी प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को 4,10,698 वोटों के जबरदस्त अंतर से हराया. इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री सुमित्रा महाजन ने मध्य प्रदेश की इंदौर सीट से लगातार आठवीं बार जीतकर इतिहास रच दिया, वह भी 4,66,901 वोटों के भारी अंतर से.
छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी की विजय का शंखनाद गूंज रहा है. 16 मई को सुबह करीब पौने ग्यारह बजे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने नरेंद्र मोदी को फोन करके बधाई दी. दोनों काफी देर तक बात करते रहे और उनका अनुमान यही था कि बीजेपी को बहुमत मिलेगा और कांग्रेस 70 सीटों पर सिमट जाएगी. यह मोदी लहर और रमन सिंह की साफ-सुथरी छवि का परिणाम था कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी को 10 सीटें मिलीं. यह मोदी लहर का ही नतीजा था कि छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी महासमंद की अपनी सीट बचा नहीं पाए और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी चंदूलाल साहू से 1,556 वोटों से हार गए.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस छिंदवाड़ा और गुना के अपने दो गढ़ बचाने में कामयाब हुई है, जहां से केंद्रीय मंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को जीत मिली है. कांग्रेस के राज्य पार्टी प्रमुख और खंडवा से सांसद अरुण यादव बीजेपी के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी नंदकुमार सिंह चौहान से 2,59,714 वोटों के अंतर से हार गए हैं.
2009 में कांग्रेस को राज्य की 29 में से 12 सीटें हासिल हुई थीं. उस चुनाव में मालवा इलाके की आधी सीटों पर कांग्रेस को विजय मिली थी. लेकिन इस बार बीजेपी ने अपना होमवर्क तगड़ा किया और मालवा की सभी आठ सीटों पर उसे विजय मिली. बीजेपी और आरएसएस ने चुनावों की तैयारी में मालवा इलाके पर खास ध्यान दिया. बीजेपी की राज्य सरकार ने नर्मदा और क्षिप्रा नदियों को इंदौर के उज्जैनी में जोड़कर उनके जल को मालवा के शुष्क इलाकों तक पहुंचाया. इस कदम का बीजेपी को काफी फायदा मिला है.
16वें आम चुनाव कुछ हद तक 1977 के आम चुनावों जैसे ही हैं जिसमें अविभाजित मध्य प्रदेश (छत्तीसगढ़ सहित) की 40 सीटों में से 39 पर कांग्रेस हार गई थी और जनता पार्टी ने ये सीटें छीन ली थीं. तब कांग्रेस की एकमात्र उम्मीदवार गार्गी शंकर मिश्रा को छिंदवाड़ा से विजय मिली थी. स्थिति साफ थी, लेकिन मध्य प्रदेश में नवंबर के विधानसभा चुनावों में भी बुरी तरह हार का सामना करने वाली कांग्रेस इससे कोई सबक नहीं ले पाई.
चुनावों की तैयारी के दौरान बीजेपी ने एकजुट चेहरे और मिशन 29 (सभी 29 सीटों पर जीत के उद्देश्य से) के साथ जोशीला अभियान शुरू किया, जबकि कांग्रेस में गुटबाजी बनी रही. उसके तीन विधायक संजय पाठक, दिनेश अहिरवार और नारायण त्रिपाठी पिछले महीने ही बीजेपी में शामिल हो गए.
नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश में 11 जनसभाएं कीं जिसमें उनको जबरदस्त समर्थन मिला. चौहान ने चुनाव अभियान के दौरान राज्य में 155 जनसभाओं को संबोधित किया. बीजेपी की वरिष्ठ नेता सुमित्रा महाजन कहती हैं कि मोदी लहर और चौहान के करिश्मे ने मध्य प्रदेश से कांग्रेस को उखाड़ फेंका.