आप लोगों को थर्मल पावर स्टेशन से सीधे एक लाइन मिलेगी,” वे कहती हैं और जाहिर है कि वे सिर्फ बिजली की आपूर्ति की दशा में सुधार की बात नहीं कर रही हैं. हरसिमरत कौर बादल अपने उत्साही वोटरों को अपने ससुर मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और अपने पति उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल से उन सबके ‘स्पेशल’ कनेक्ट की बाबत याद दिलाना कभी नहीं भूलती हैं.
पंजाब के पटियाला, संगरूर और मानसा जिलों की ऊबड़-खाबड़ सड़कों से होते जैसे ही आप पंजाब के इस सबसे दुलारे लोकसभा क्षेत्र में कदम रखेंगे तो आपका सामना किलोमीटर दर किलोमीटर चिकनी सड़कों के अटूट विस्तार से होगा. कभी धूल धूसरित, अत्यंत दूरवर्ती और पंजाब के पिछड़े इलाकों में गिना जाने वाला बठिंडा 2009 में बादल बहू को चुनने के बाद से सचमुच चमकने लगा है. एक ऐसा शहर जहां से “पनिशमेंट पोस्टिंग” मानकर सरकारी कर्मचारी किनारा कर लिया करते थे, बठिंडा अचानक मल्टीप्लेक्सेज, फ्लाइओवरों और अंडरब्रिजों की भूलभुलैया के साथ नई संभावनाओं की तरफ देख रहा है. माहौल पूरी तरह बदल चुका है.
फुरसत का समय बिताने के लिए शहर में अब स्पीडबोट और वाटर स्कूटरों से युक्त एक पुनर्निर्मित झील भी है. लेकिन राजनीति की चढ़ती-उतरती लहरों के अप्रत्याशित मिजाज से भली भांति वाकिफ हरसिमरत कोई भी जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं हैं. पंजाबी सूट और अपनी सामान्य जूती की बजाय जिम वाले जूतों में बाहर निकलतीं हरसिमरत रोजाना 30 से 40 ग्रामीण सभाओं को संबोधित कर अथक चुनाव प्रचार में जुटी हैं.
“मेरे निर्वाचन क्षेत्र बठिंडा को अपने पड़ोसियों से एक बढ़त प्राप्त है. मुझे फोन कर मिलने का समय नहीं लेना पड़ता. मुझे सिर्फ घर जाकर अपने सरोकार मुख्यमंत्री या उप-मुख्यमंत्री को बता देने होते हैं.” वे साफगोई से कुबूल करती हैं और यह भी बताती हैं कि इसी वजह से उन्हें वोटरों की बहुत ऊंची और अकसर अवास्तविक उम्मीदों का सामना करना पड़ता है.
पंजाब के पटियाला, संगरूर और मानसा जिलों की ऊबड़-खाबड़ सड़कों से होते जैसे ही आप पंजाब के इस सबसे दुलारे लोकसभा क्षेत्र में कदम रखेंगे तो आपका सामना किलोमीटर दर किलोमीटर चिकनी सड़कों के अटूट विस्तार से होगा. कभी धूल धूसरित, अत्यंत दूरवर्ती और पंजाब के पिछड़े इलाकों में गिना जाने वाला बठिंडा 2009 में बादल बहू को चुनने के बाद से सचमुच चमकने लगा है. एक ऐसा शहर जहां से “पनिशमेंट पोस्टिंग” मानकर सरकारी कर्मचारी किनारा कर लिया करते थे, बठिंडा अचानक मल्टीप्लेक्सेज, फ्लाइओवरों और अंडरब्रिजों की भूलभुलैया के साथ नई संभावनाओं की तरफ देख रहा है. माहौल पूरी तरह बदल चुका है.
फुरसत का समय बिताने के लिए शहर में अब स्पीडबोट और वाटर स्कूटरों से युक्त एक पुनर्निर्मित झील भी है. लेकिन राजनीति की चढ़ती-उतरती लहरों के अप्रत्याशित मिजाज से भली भांति वाकिफ हरसिमरत कोई भी जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं हैं. पंजाबी सूट और अपनी सामान्य जूती की बजाय जिम वाले जूतों में बाहर निकलतीं हरसिमरत रोजाना 30 से 40 ग्रामीण सभाओं को संबोधित कर अथक चुनाव प्रचार में जुटी हैं.
“मेरे निर्वाचन क्षेत्र बठिंडा को अपने पड़ोसियों से एक बढ़त प्राप्त है. मुझे फोन कर मिलने का समय नहीं लेना पड़ता. मुझे सिर्फ घर जाकर अपने सरोकार मुख्यमंत्री या उप-मुख्यमंत्री को बता देने होते हैं.” वे साफगोई से कुबूल करती हैं और यह भी बताती हैं कि इसी वजह से उन्हें वोटरों की बहुत ऊंची और अकसर अवास्तविक उम्मीदों का सामना करना पड़ता है.