राजस्थान के जैसलमेर में रात में टिमटिमाती और घूमती हुई पवन चक्कियां खूबसूरत नजारा पैदा करती हैं. पवन ऊर्जा से बिजली पैदा करने वाली देश की विभिन्न कंपनियों ने यहां 2,000 से भी अधिक पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए हैं. इनसे करीब 2,200 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. लेकिन इन पवन संयत्रों को अब नजर लग गई है. इन संयंत्रों में हो रही चोरी और इनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाबलों पर हमले ने इनके मालिकों को चिंतित कर दिया है और वे यहां से पलायन करने की सोच रहे हैं.
ताजा सनसनीखेज मामला जैसलमेर से 40 किमी दूर बडोरा गांव का है. 11 अप्रैल को यहां स्थित एक संयंत्र से तार चोरी कर गाडिय़ों में भर रहे अपराधियों को जब वहां सुरक्षा में तैनात ‘‘विंड ड्रैगन्स’’ सुरक्षाकर्मियों ने ललकारा तो तीन गाडिय़ों में आए करीब दर्जन भर अपराधियों ने उन पर हमला बोल दिया. सुरक्षाकर्मियों की जवाबी कार्रवाई में एक अपराधी मारा गया और बाकी दो गाडिय़ों में भागने में सफल रहे. पुलिस ने वहां से एक गाड़ी में अपराधी के शव के साथ तांबे का तार और तार काटने के उपकरण बरामद किए. मारा गया अपराधी बडोरा गांव का ही भगवान सिंह है. उसके खिलाफ जैसलमेर और जोधपुर के थानों में कई मामले दर्ज हैं. पुलिस को अरसे से उसकी तलाश थी.
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. इस घटना के बाद अपराधियों ने उस विंड्स मिल ऑफिस और श्विंड ड्रैगन्स्य सुरक्षाकर्मियों के रहने के लिए बनी अस्थायी टेंट चौकी में आग लगा दी. उस समय ‘‘विंड ड्रैगन्स’’ पेट्रोलिंग पर गए हुए थे. वहां संयंत्र में ही काम कर रहे ठेकेदार और उस रात पेट्रोलिंग टीम के साथ रहे चंदन सिंह बताते हैं, ‘‘पेट्रोलिंग टीम ने जैसे ही अपराधियों को आग लगाते देखा, वे फरार हो गए. वे 8-10 की संख्या में एक गाड़ी में आए थे.’’ आगजनी से लाखों रु. की संपत्ति का नुकसान होने का अनुमान है. इसे 11 अप्रैल की घटना से जोड़कर देखा जा रहा है. चर्चा है कि अपराधियों ने बदला लेने के लिए आगजनी की है. इससे पवन संयंत्र के मालिकों, कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों में भय का आलम है.
(बडोरा गांव स्थित विंड ड्रैगन्स की चौकी में आगजनी के बाद का दृश्य)
स्थानीय पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा बताते हैं, ‘‘इन पवन ऊर्जा संयंत्रों में कई प्रकार की मशीनों और तांबे तथा एल्यूमिनियम के तारों का प्रयोग होता है. अपराधियों ने पिछले दो-तीन वर्ष से इनके तारों को काट कर चोरी करना शुरू कर दिया है.’’
चोरी की इन वारदातों में जबरदस्त इजाफा हुआ है. शर्मा कहते हैं, ‘‘2012 में तार चोरी के 56 मुकदमे दर्ज किए गए जिनमें विभिन्न थानों में 97 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. 2013 में दर्ज 140 वारदातों में 193 लोगों की गिरफ्तारी के साथ करीब 90 लाख रु. का चोरी का माल बरामद किया गया है. वहीं 2014 में अब तक 45 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं और 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.’’
बढ़ती वारदातों को देखते हुए पुलिस ने पिछले साल राज्य सरकार को एक कार्य योजना भेजी थी. इसकी मंजूरी के बाद पहले चरण में सुजलोन एनर्जी लिमिटेड ने राजस्थान बॉर्डर होमगार्ड के 120 जवानों की सेवा ली है. अत्याधुनिक हथियारों से लैस ये जवान जिला पुलिस के तहत पवन संयंत्रों की सुरक्षा में तैनात हैं. इन जवानों को ‘‘विंड ड्रैगन्स’’ नाम दिया गया है. लेकिन इनकी तैनाती के बावजूद पवन संयंत्रों से चोरी करने वाले अपराधियों का हौसला कम नहीं हो रहा. इसका उदाहरण बडोरा गांव के पास सांगणा की घटना है.
पुलिस टीमों पर पहले भी कई बार हमला हो चुका है. हाल ही में खुहड़ी के थानेदार की पुलिस टीम पर हमला कर अपराधी अपने एक साथी को छुड़ा ले गए थे. इसी तरह झिझिनियाली के थानेदार जब्बर सिंह की टीम पर भी अपराधियों ने हमला किया था. इससे पहले 8 जनवरी को बडौड़ा से 4 किमी दूर जसवंतपुरा के पास नाकाबंदी कर रहे जवानों पर अपराधियों ने हमला बोल एक ‘‘विंड ड्रैगन्स’’ जवान पर गाड़ी चढ़ा दी थी, जिससे उसका पैर टूट गया था. अब सांगणा में पुलिस की गोली से एक अपराधी की मौत और फिर अपराधियों की जवाबी आगजनी से यहां के संयंत्रों के कर्मचारियों में दहशत है. ठेकेदार चंदन सिंह बताते हैं, ‘‘डर के मारे रात में कोई भी कर्मचारी साइट पर नहीं आ रहा है.’’ जाहिर है, अपराधियों के साये ने पवन चक्कियों की रफ्तार को रोक दिया है.
जैसलमेर की पवन चक्कियों पर चोरों की नजर
अपराधियों के लगातार निशाने पर हैं जैसलमेर के पवन संयंत्र. कर्मचारियों में दहशत का आलम. इन संयंत्रों के मालिक खौफ की वजह से पलायन की सोच रहे हैं.

अपडेटेड 5 मई , 2014
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