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बेहतरीन शहर: नोएडा ने महानगरों को पीछे छोड़ने के लिए कसी कमर

अपनी विकास परियोजनाओं के बल पर नोएडा ने महानगरों को पीछे छोडऩे के लिए कमर कसी.

अपडेटेड 24 फ़रवरी , 2014
भारत के नक्शे पर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आइटी) और शिक्षा के केंद्र के रूप में अपनी अलग पहचान बना रहा है नोएडा. राष्ट्रीय राजधानी से नजदीकी, किफायती रहन-सहन, मॉल्स से लेकर पारंपरिक बाजार तक शॉपिंग के ढेरों ठिकानों और रोजगार के अनगिनत मौकों के साथ विकास की नई गाथा लिखने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप, मॉडल ट्रांसपोर्ट हब और मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब बनाने की मंजूरी दी है, जो दिल्ली-मुंबई डेडिकेटेड कॉरिडोर का हिस्सा होगा. नोएडा प्राधिकरण ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की तर्ज पर नोएडा मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (एनएमआरसी) बनाने की घोषणा भी की है. नोएडा, ग्रेटर नेाएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरणों के चेयरमैन रामा रमण बताते हैं, ‘‘मेट्रो, सिटी बस सर्विस और वाटर सप्लाई सहित इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कई प्रोजेक्ट फिलहाल नोएडा में चल रहे हैं.’’

पिछले वित्तीय वर्ष में नोएडा अथॉरिटी ने कुल 10,000 करोड़ रु. के बजट को मंजूरी दी थी जिसमें से 2,000 करोड़ रु. मेट्रो लिंक के विस्तार के लिए हैं. बाकी के 8,000 करोड़ रु. का इस्तेमाल फ्लाइओवर, फुट ओवर ब्रिज, पार्किंग स्पेस जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट्स के लिए किया जाएगा. शहर में नौ फुट ओवर ब्रिज बनने शुरू भी हो चुके हैं.

पिछले साल अप्रैल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे के लिए 3,337 करोड़ रु. की 13 परियोजनाओं की घोषणा की थी जिनमें से नोएडा में सिटी सेंटर अंडरपास, सेक्टर-18 में मल्टीलेवल पार्किंग का काम तेजी से जारी है. स्वास्थ्य सेवा के मोर्चे पर भी नोएडा अपनी धाक जमाने के लिए तैयार है. सेक्टर-30 में शहर के पहले चाइल्ड स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में ओपीडी शुरू भी हो चुकी है.

नोएडा वासियों को देश के किसी भी महानगर के माफिक सुविधाएं उपलब्ध हैं. यह शहर आपके अपने घर के सपने को साकार कर सकता है क्योंकि कई नामी-गिरामी कंपनियों के नोएडा, ग्रेटर नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन में प्रोजेक्ट चल रहे हैं जिनमें अफोर्डेबल हाउसिंग से लेकर भारी बजट के हर तरह की लग्जरीवाले घर भी शामिल हैं.’’

सुपरटेक के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर आर.के. अरोड़ा कहते हैं, ‘‘यमुना एक्सप्रेस-वे तेजी से विकास कर रहा है और यहां रहने के लिए 3,000 से 4,000 रु. प्रति वर्ग फुट में मकान मिल जाता है. ऐसे में यह नोएडा में मध्यवर्ग की जरूरतों पर खरा उतरने के लिए बेहतरीन स्थान है.’’ वाकई, रविवार के दिन एक्सप्रेस-वे हो या फिर ग्रेटर नोएडा-वेस्ट, मकान की हसरत रखने वालों का अच्छा-खासा हुजूम देखा जा सकता है.

यह नोएडा का आकर्षण ही है कि हर बड़ी कंपनी इस शहर का रुख कर रही है. इस सूची में सबसे ताजा नाम है आइटी क्षेत्र के दिग्गज इन्फोसिस का. इन्फोसिस यहां 1,354 करोड़ रु. की इन्वेस्टमेंट करेगी जिसके लिए कंपनी को 1,00,000 वर्ग मीटर का क्षेत्र आवंटित किया गया है.

इन्फोसिस के अलावा इस साल केंट आरओ, हैवल्स इंडिया लिमिटेड, मदरसन सुमी सिस्टम, रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया जैसी कुल 17 कंपनियों को नोएडा में जमीन आवंटित की गई है. ये कंपनियां यहां कुल 2,037 करोड़ रु. इन्वेस्ट करेंगी, जिसकी बदौलत यहां लगभग 26,000 नौकरियों का सृजन होगा.

गौतम बुद्ध नगर के सांसद सुरेंद्र सिंह नागर कहते हैं, ‘‘शहर को अपने एयरपोर्ट की सख्त दरकार है. पूरे शहर में मेट्रो का जाल बिछ जाना चाहिए. इसके अलावा, किसानों से जुड़े जमीन अधिग्रहण के मुद्दों का सुलझना भी जरूरी है.’’ शहर में कानून व्यवस्था की लचर हालत के बारे में वे कहते हैं, ‘‘पुलिस कमिश्नर व्यवस्था से हालत बेहतर होंगे.’’ कहते हैं न चांद में भी दाग होता है, बेशक इसी तरह नोएडा में कानून-व्यवस्था समस्या हो सकती है, लेकिन फिर भी यह शहर लाजवाब है.

शहर एक नजर
ताकतः एनसीआर क्षेत्र में होने की वजह से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की तर्ज पर विकास. अफोर्डेबल घर. शिक्षा का स्थापित केंद्र. नए उद्योगों से बढ़़ता रोजगार.

कमजोरीः लचर कानून-व्यवस्था. एयरपोर्ट का नहीं होना. जमीन अधिग्रहण से जुड़े किसान हित के अनसुलझे मुद्दे.

संभावनाएं: इन्फोसिस, रेलटेल कॉर्पोशन, हैवेल्स जैसी नामी कंपनियां यहां कदम रख रही हैं जो हजारों नौकरियों का सृजन करेंगी.
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