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फ्लिपकार्ट के बंसल अगली चाल को तैयार

फ्लिपकार्ट अब तक अपनी सबसे बड़ी चुनौती-अमेजन से निबटने की योजना बना चुकी है. अनुभव और भारी जेब के बल पर  अमेजन उसको तगड़ी टक्कर दे सकती है.

अपडेटेड 17 फ़रवरी , 2014

सचिन बंसल की आवाज में आजकल नई बुलंदी आ गई है. कमाई के हिसाब से भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन रिटेलर कंपनी फ्लिपकार्ट के सीईओ की आवाज में यह बताते हुए कुछ ज्यादा ही जोश आ जाता है कि वे अपने सपने को नए मुकाम तक पहुंचाने के लिए दुनिया में टैलेंट ढूंढ रहे हैं.

अमेरिका में गूगल, लिंक्डइन और ट्विटर जैसे तकनीकी लीडरों से आइडिया एक्सचेंज करने के बाद स्वदेश लौटने के 12 घंटे के भीतर 32 साल के सचिन का कहना था, ''हमें जो भी अच्छा आदमी मिल जाए, उसे भर्ती कर लेंगे. हम टेक्निकल लोगों की तादाद बढ़ा रहे हैं. सिर्फ  भारत ही नहीं बाहर से भी लोगों को ला रहे हैं.”

अमेरिका के बढ़ते दखल से सचिन भले ही इनकार करें, लेकिन बंगलुरू स्थित फ्लिपकार्ट के मुख्यालय में जोश बढऩे का सीधा संबंध दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन रिटेलर अमेजन के पिछले जून में भारत में प्रवेश से है. नियमों से बंधे होने के कारण अमेजन भारत में सीधे कोई रिटेल सेवा नहीं दे रहा, लेकिन उसका संदेश साफ है कि ऑनलाइन रिटेल का बाप आ गया है.

अमेजन इंडिया का दफ्तर बंगलुरू में फ्लिपकार्ट से सिर्फ 13 किलोमीटर दूर है. करीब दो दशक के अनुभव और भारी जेब के बल पर जेफ  बेजोज की कंपनी अमेजन फ्लिपकार्ट को तगड़ी टक्कर दे सकती है. 

यह भी सच है कि मुकाबला टक्कर का हो तो फ्लिपकार्ट जैसी कंपनी में चमत्कार हो सकते हैं. अमेजन.इन नाम से भारत में बाजार खुलने से एक महीना पहले फ्लिपकार्ट ने अपना बाजार खोल लिया था. जुलाई में उसने पेजिपी नाम से ऑनलाइन भुगतान कर सरल और सुरक्षित विकल्प देने का ऐलान किया था. फ्लिपकार्ट पर दिन में एक लाख के आसपास सौदे होते हैं, इसलिए कंपनी को भरोसा है कि इस बल पर मुनाफा कमा लेगी.

दोनों कंपनियां एक जैसी सेवाएं दे रही हैं. फिर भी बंसल अमेजन से किसी तरह की टक्कर से इनकार करते हैं. सचिन की मानें तो उनकी नजर में ''यह मुकाबला अच्छा है. हालात और दिलचस्प हो रहे हैं. हम कंपीटिशन पर ध्यान नहीं देते हम तो वैसे भी कारोबार बढ़ाने पर तुले हैं. सचिन की चिंता तो इस बात को लेकर है कि 2020 तक उन्हें जो करना है उसके मुकाबले अभी बहुत मामूली काम हो रहा है.

सचिन रिसेलर्स की संख्या मौजूदा 1,000 से बढ़ाकर एक साल में 10,000 से 15,000 तक कर लेना चाहते हैं. उनका कहना है, ''हमने पिछले आठ महीनों में ईको सिस्टम के साथ इस बारे में बहुत सीखा है कि कारोबार बढ़ाने के लिए कैसी टेक्नोलॉजी चाहिए. हमें लगता है, आधे से ज्यादा बिजनेस थर्ड पार्टी विक्रेता से आएगा.”

 फ्लिपकार्ट फैशन और सिलेसिलाए वस्त्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहता है, क्योंकि उनमें औसतन 20 से 30 प्रतिशत मार्जिन की गुंजाइश है. इसके विपरीत इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी श्रेणियों में मार्जिन इससे आधे से भी कम है और शिपमेंट का किराया भी नहीं निकलता. फैशन वाले ऑनलाइन विक्रेताओं की साइट पर ज्यादा लोग आते हैं.

टेक्नोपैक के अध्यक्ष अरविंद सिंघल का कहना है, ''लॉयल्टी बोनस देने या ऐसे प्रोडक्ट देने की नीति बहुत कारगर होगी, जो और कहीं न मिलते हों.” सचिन यह बात जानते हैं और उनका कहना है,''फ्लिपकार्ट खरीदने के लिए अच्छी जगह तब है, जब आप जानते हों कि आपको क्या खरीदना है. अगर हम लोगों को खरीदने के लिए प्रेरित कर सकें और उन्हें बता सकें कि क्या खरीदना बेहतर होगा तो हमें लिए बहुत बड़ा बाजार मिल सकता है.”

बड़ा सवाल यह है कि फ्लिपकार्ट आखिर कब तक घाटा उठाकर अपना कस्टमर आधार बढ़ाता रहेगा. सचिन कहते हैं, ''ऑनलाइन शॉप करने वाले एक करोड़ लोगों में से अब भी बहुत कम उसे प्रमुख माध्यम मानते हैं. फिलहाल हम कस्टमर को खुश करके उन्हें ऑनलाइन शॉपिंग करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.”

फ्लिपकार्ट के समर्थक भी उसके घाटे की परवाह नहीं कर रहे हैं. फ्लिपकार्ट को फंड करने वाली कंपनी वुल्कन कैपिटल के सिएटल स्थित मैनेजिंग डायरेक्टर अभिषेक अग्रवाल का कहना है, ''अमेजन किसी भी ब्रिक (ब्राजील, रूस, भारत और चीन) देश में स्थानीय कंपनी का नुकसान नहीं कर पाई, चाहे वह रूसी दिग्गज ओजोन हो या चीन में अलीबाबा.

भारत में स्थिति बदली तो मुझे आश्चर्य होगा.” टेक्नोपैक के सिंघल का कहना है, ''भारत में पांच से छह प्रमुख कंपनियां होंगी, जिनमें अमेजन शामिल होगी.”

सचिन नकदी के मामले में हर चिंता से इनकार करते हैं. उनका कहना है कि फ्लिपकार्ट का सारा ध्यान ग्राहक और ब्रांड बढ़ाने पर है. उनका कहना है कि फ्लिपकार्ट ऐसी कंपनी होनी चाहिए, जिससे सामान खरीदने की सिफारिश आप अपनी मां से कर सकें और निश्चिंत हो सकें कि अनुभव बुरा नहीं रहेगा. अमेजन.इन कदम जमा रही है और फ्लिपकार्ट के लिए जल्दी ही करो या मरो का वक्त आने वाला है.
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