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खनन के दुष्चक्र से उभरता गोवा

इन्वेस्टमेंट के मामले में पिछले साल का टॉपर मिजोरम 8वें स्थान पर खिसका, आंध्र प्रदेश और सिक्किम में आखिरी स्थान पर हुई अदला-बदली.

अपडेटेड 1 जनवरी , 2014
गोवा में सकल पूंजी निर्माण या उसकी खर्च क्षमता 2007-08 और 2010-11 के बीच 20 प्रतिशत की दर से बढ़ी है जबकि दूसरे छोटे राज्यों में यह वृद्धि 10 प्रतिशत से भी कम थी. हालांकि उसके खर्च का बड़ा हिस्सा 6,000 करोड़ रु. के भारी कर्ज की भरपाई में ही खप जाता था. खनन पर प्रतिबंध से यह समस्या और विकराल हो गई.

पिछले साल सरकार ने अपने बंद खनन उद्योगों को दुरुस्त किया जिससे उसका पूंजी खर्च 11 प्रतिशत बढ़ गया जबकि दूसरे छोटे राज्यों में यह महज 3 प्रतिशत है. कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआइआइ) की गोवा शाखा के चेयरमैन अतुल पै कणे कहते हैं, ‘‘सरकार ने खनन में राजस्व नुक्सान की भरपाई की और पर्यटन तथा हॉर्टिकल्चर जैसे क्षेत्रों को विकसित किया है.’’ इससे राज्य में इन्वेस्टर्स के लिए कई तरह के आकर्षण पैदा हुए हैं. मसलन, बेहद मामूली श्रमिक विवाद, शहरी आबादी में औद्योगिक श्रमिकों की ठीक-ठाक संख्या, 39,000 करोड़ रु. की जमा पूंजी वाले बैंक, इत्यादि. हालांकि बैंक डिपॉजिट के अनुपात में कर्ज नहीं मिल रहे.

गोवा में सात किलोमीटर के दायरे में एयरपोर्ट, सड़क और रेल की सुविधाएं हैं. हालांकि ये एक-दूसरे से जुड़े नहीं हैं. एयरपोर्ट पर एयर कार्गो टर्मिनल नहीं है. छह किलोमीटर दूर केंद्रीय भंडार निगम (सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन) के गोदाम का इस्तेमाल किया जाता है जबकि मोरमुगाव बंदरगाह के पुनरुद्धार की जरूरत है. 70 लाख वर्ग मीटर में फैले वेरना इंडस्ट्रियल एस्टेट में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 200 करोड़ रु. की इन्वेस्टमेंट की दरकार है.

स्मार्ट लिंक प्राइवेट लिमिटेड के वाइस-प्रेसिडेंट नितिन कुनकोलिएंकर कहते हैं, ‘‘गोवा के बैंक खनन से हुए फायदों से भरे पड़े हैं. लेकिन राज्य की चुनौती यह है कि वह आर्थिक तरक्की के लिए व्यापक आंतरिक संभावना का सही से दोहन करे.’’ सरकार अपनी नई इन्वेस्टमेंट पॉलिसी बनाते समय इन तमाम बातों पर गौर करेगी.
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