राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) में पहली बार दाखिल होने पर जैसा रोमांच मुझे हुआ था, उसमें कभी रत्ती भर भी कमी नहीं आई है. यहां बिताए तीन साल मेरी जिंदगी के वही तीन साल हैं, जिन्होंने एक अभिनेता के रूप में मुझे तराशा. इस संस्थान में पढऩे का मतलब सिर्फ एक आर्ट फॉर्म की तलाश करना नहीं बल्कि जीवन की तलाश करना है.
एनएसडी आज भी देश में अभिनेताओं, लेखकों, निर्देशकों और कलानुरागियों के लिए सबसे अहम जगह है क्योंकि यहां थिएटर सच्चे मकसद के साथ पढ़ाया और कराया जाता है. व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं बल्कि पेशेवर और कलात्मक संतुष्टि के लिए. दुनिया में लिखे गए बड़े-से-बड़े सभी नाटक एनएसडी में खेले जा चुके हैं.
यहां से पढ़-सीखकर निकले कुछ महान लोगों का काम अपने आप अपनी गवाही देता है. मैं भी यहीं से पढ़कर निकले लोगों के समूह का एक मामूली-सा हिस्सा हूं. यह वही जगह है जहां भारतीय थिएटर और सिनेमा के बेहतरीन अदाकारों-ओम शिवपुरी से लेकर नसीरुद्दीन शाह और पंकज कपूर तक-ने प्रशिक्षण लिया है.
एनएसडी शायद उन कई वजहों में से एक है, जिसकी वजह से हिंदुस्तानी किस्सागोई में आज भी सच की झलक बरकरार है. यह आज भी थिएटर पढऩे, करने और देखने की सबसे माकूल जगह है.
एनएसडी आज भी देश में अभिनेताओं, लेखकों, निर्देशकों और कलानुरागियों के लिए सबसे अहम जगह है क्योंकि यहां थिएटर सच्चे मकसद के साथ पढ़ाया और कराया जाता है. व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं बल्कि पेशेवर और कलात्मक संतुष्टि के लिए. दुनिया में लिखे गए बड़े-से-बड़े सभी नाटक एनएसडी में खेले जा चुके हैं.
यहां से पढ़-सीखकर निकले कुछ महान लोगों का काम अपने आप अपनी गवाही देता है. मैं भी यहीं से पढ़कर निकले लोगों के समूह का एक मामूली-सा हिस्सा हूं. यह वही जगह है जहां भारतीय थिएटर और सिनेमा के बेहतरीन अदाकारों-ओम शिवपुरी से लेकर नसीरुद्दीन शाह और पंकज कपूर तक-ने प्रशिक्षण लिया है.
एनएसडी शायद उन कई वजहों में से एक है, जिसकी वजह से हिंदुस्तानी किस्सागोई में आज भी सच की झलक बरकरार है. यह आज भी थिएटर पढऩे, करने और देखने की सबसे माकूल जगह है.