मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रियल एस्टेट में तेजी दर्ज की गई है. राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) के हाल ही में जारी आंकड़े बताते हैं कि देश के अन्य महानगरों में भले ही प्रॉप्रर्टी के दामों में कमी आ रही हो लेकिन भोपाल इससे अछूता है. यही वजह है कि शहर में अब अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम की मांग लगातार बढ़ रही है. एनएचबी के आवासीय मूल्य सूचकांक के अनुसार, भोपाल में सालभर के भीतर प्रॉपर्टी की कीमतों में करीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. इस सूचकांक में चेन्नै के बाद भोपाल दूसरे नंबर पर है.
भोपाल हमेशा से ही रिटायरमेंट के बाद लोगों की पसंद रहा है. देश के मध्य स्थित होने के साथ ही दूसरी संभावनाओं की वजह से अब यह प्रदेश ही नहीं, देश के दूसरे शहरों के लोगों की पसंद भी बनता जा रहा है. शहर की बढ़ती आबादी के साथ ही जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं. देशभर के बिल्डरों के संगठन क्रेडाई के प्रवक्ता और शुभालय ग्रुप के सीएमडी मनोज सिंह मीक कहते हैं, ''भोपाल शहर किसी के भी लिए एक आदर्श ठिकाना है. हर वर्ग के लोग यहां आ रहे हैं और महंगे मकान लेना हर किसी के बूते में नहीं है. इसकी वजह से लोग अफोर्डेबल हाउसिंग की जरूरत शिद्दत से महसूस कर रहे हैं.”
उनके शुभालय ग्रुप ने प्राइवेट सेक्टर में शुभालय सुखम नाम की पहली अफोर्डेबल योजना मंडीदीप क्षेत्र के लिए बनाई है. 40 एकड़ में शुरू होने वाली इस योजना में 30 से 90 वर्ग मीटर के मकान होंगे.
राजदीप होम्स के एमडी दीपक चौहान कहते हैं, ''जमीन की कीमत लगातार बढ़ रही है. बल्कि जमीन ही उपलब्ध नहीं है. ऐसी स्थिति में हर किसी के लिए यह मुमकिन नहीं है कि वह महंगी जमीन या मकान ले सके. इसकी वजह से अफोर्डेबल हाउसिंग ही आकर्षक विकल्प नजर आती है.” मंदी के इस दौर में बिल्डर्स भी ऐसी योजनाएं चाहते हैं, जिसमें उन्हें ज्यादा पैसे न फंसाने पड़े और आसानी से उनके फ्लैट बिक जाएं.
बाबुओं के इस शहर में अभी तक सरकारी संस्था भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) ही अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम लाई है. इस स्कीम को शहर के लोगों ने हाथोहाथ लिया. बीडीए ने पिछले साल सिंतबर में प्रदेश की पहली अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम मिसरोद के पास सलैया में शुरू की थी. इसके तहत टू बीएचके के 1,088 फ्लैट और वन बीएचके के 336 फ्लैट्स की बुकिंग की गई थी. लोगों को ये फ्लैट 10 लाख और 4.5 लाख रु. में दिए जा रहे हैं. सरकार ने कमजोर तबकों के लिए एक रुपए की लीज पर हाउसिंग बोर्ड और विकास प्राधिकरणों को जमीन देने का फैसला किया था. उसके बाद यह प्रदेश का पहला प्रोजेक्ट था, जिसमें 25 एकड़ सरकारी जमीन बीडीए को मुफ्त दी गई. बीडीए के अध्यक्ष सुरेंद्र नाथ सिंह बताते हैं, ''इस प्रोजेक्ट में बीडीए ने चौड़ी सड़कें, पार्क और कम्युनिटी हॉल आदि भी बनाने का फैसला किया है.”
दूसरी योजना इसी साल जुलाई में शुरू की गई है. शहर के सबसे तेजी से विकसित हो रहे कटारा हिल्स के पास बर्रई गांव में बीडीए ने अफोर्डेबल हाउसिंग की योजना शुरू की. इस योजना के तहत आम लोगों के लिए 2,000 फ्लैट्स उपलब्ध थे. बीडीए की इस योजना में भी लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे पता चलता है कि लोगों को अफोर्डेबल हाउसिंग की जरूरत कितनी है.
इस योजना के तहत लोगों के लिए दो तरह के फ्लैट्स बुकिंग के लिए रखे गए, जिसमें टू बीएचके की कीमत 10 लाख रु. और वन बीएचके की कीमत पांच लाख रु. रखी गई. योजना में 1,200 फ्लैट्स टू बीएचके और 800 फ्लैट्स वन बीएचके के थे. बीडीए ने टू बीएचके वाली छह मंजिला इमारतों में पहली बार लिफ्ट का प्रावधान रखा और ग्राउंड फ्लोर को पूरी तरह से पार्किंग के लिए छोड़ दिया गया.
सुरेंद्र बताते हैं, ''भोपाल विकास प्राधिकरण की योजना हमेशा से आम लोगों के घर का सपना पूरा करने की रही है. हमने इसी को ध्यान में रखकर इस अफोर्डेबल हाउसिंग योजना को तैयार किया. हमारी कोशिश रही है कि हम लोगों को आसानी से और सस्ते में घर उपलब्ध कराएं.” बीडीए की योजनाओं के बाद माना जा रहा है कि प्राइवेट सेक्टर के बिल्डर भी इस तरह की योजनाओं में आगे आ सकते हैं.
भोपाल हमेशा से ही रिटायरमेंट के बाद लोगों की पसंद रहा है. देश के मध्य स्थित होने के साथ ही दूसरी संभावनाओं की वजह से अब यह प्रदेश ही नहीं, देश के दूसरे शहरों के लोगों की पसंद भी बनता जा रहा है. शहर की बढ़ती आबादी के साथ ही जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं. देशभर के बिल्डरों के संगठन क्रेडाई के प्रवक्ता और शुभालय ग्रुप के सीएमडी मनोज सिंह मीक कहते हैं, ''भोपाल शहर किसी के भी लिए एक आदर्श ठिकाना है. हर वर्ग के लोग यहां आ रहे हैं और महंगे मकान लेना हर किसी के बूते में नहीं है. इसकी वजह से लोग अफोर्डेबल हाउसिंग की जरूरत शिद्दत से महसूस कर रहे हैं.”
उनके शुभालय ग्रुप ने प्राइवेट सेक्टर में शुभालय सुखम नाम की पहली अफोर्डेबल योजना मंडीदीप क्षेत्र के लिए बनाई है. 40 एकड़ में शुरू होने वाली इस योजना में 30 से 90 वर्ग मीटर के मकान होंगे.
राजदीप होम्स के एमडी दीपक चौहान कहते हैं, ''जमीन की कीमत लगातार बढ़ रही है. बल्कि जमीन ही उपलब्ध नहीं है. ऐसी स्थिति में हर किसी के लिए यह मुमकिन नहीं है कि वह महंगी जमीन या मकान ले सके. इसकी वजह से अफोर्डेबल हाउसिंग ही आकर्षक विकल्प नजर आती है.” मंदी के इस दौर में बिल्डर्स भी ऐसी योजनाएं चाहते हैं, जिसमें उन्हें ज्यादा पैसे न फंसाने पड़े और आसानी से उनके फ्लैट बिक जाएं.
बाबुओं के इस शहर में अभी तक सरकारी संस्था भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) ही अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम लाई है. इस स्कीम को शहर के लोगों ने हाथोहाथ लिया. बीडीए ने पिछले साल सिंतबर में प्रदेश की पहली अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम मिसरोद के पास सलैया में शुरू की थी. इसके तहत टू बीएचके के 1,088 फ्लैट और वन बीएचके के 336 फ्लैट्स की बुकिंग की गई थी. लोगों को ये फ्लैट 10 लाख और 4.5 लाख रु. में दिए जा रहे हैं. सरकार ने कमजोर तबकों के लिए एक रुपए की लीज पर हाउसिंग बोर्ड और विकास प्राधिकरणों को जमीन देने का फैसला किया था. उसके बाद यह प्रदेश का पहला प्रोजेक्ट था, जिसमें 25 एकड़ सरकारी जमीन बीडीए को मुफ्त दी गई. बीडीए के अध्यक्ष सुरेंद्र नाथ सिंह बताते हैं, ''इस प्रोजेक्ट में बीडीए ने चौड़ी सड़कें, पार्क और कम्युनिटी हॉल आदि भी बनाने का फैसला किया है.”
दूसरी योजना इसी साल जुलाई में शुरू की गई है. शहर के सबसे तेजी से विकसित हो रहे कटारा हिल्स के पास बर्रई गांव में बीडीए ने अफोर्डेबल हाउसिंग की योजना शुरू की. इस योजना के तहत आम लोगों के लिए 2,000 फ्लैट्स उपलब्ध थे. बीडीए की इस योजना में भी लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे पता चलता है कि लोगों को अफोर्डेबल हाउसिंग की जरूरत कितनी है.
इस योजना के तहत लोगों के लिए दो तरह के फ्लैट्स बुकिंग के लिए रखे गए, जिसमें टू बीएचके की कीमत 10 लाख रु. और वन बीएचके की कीमत पांच लाख रु. रखी गई. योजना में 1,200 फ्लैट्स टू बीएचके और 800 फ्लैट्स वन बीएचके के थे. बीडीए ने टू बीएचके वाली छह मंजिला इमारतों में पहली बार लिफ्ट का प्रावधान रखा और ग्राउंड फ्लोर को पूरी तरह से पार्किंग के लिए छोड़ दिया गया.
सुरेंद्र बताते हैं, ''भोपाल विकास प्राधिकरण की योजना हमेशा से आम लोगों के घर का सपना पूरा करने की रही है. हमने इसी को ध्यान में रखकर इस अफोर्डेबल हाउसिंग योजना को तैयार किया. हमारी कोशिश रही है कि हम लोगों को आसानी से और सस्ते में घर उपलब्ध कराएं.” बीडीए की योजनाओं के बाद माना जा रहा है कि प्राइवेट सेक्टर के बिल्डर भी इस तरह की योजनाओं में आगे आ सकते हैं.