चार महीने पहले जोधपुर ग्रामीण इलाके में तैनात किए गए पुलिस अधीक्षक राहुल प्रकाश पिछले पखवाड़े कुछ नौजवान नशेडिय़ों से यूं ही पूछताछ कर रहे थे. उन्हें अफीम सप्लाई करने वाले एक पुराने तस्कर मूल सिंह के बारे में सुराग मिला. उन्होंने शेरगढ़ थाने में जोधों की ढांणी स्थित उसके घर पर जब छापा मारा तो वे सचमुच चौंक पड़े. घर में ही लगी फैक्ट्री में दो महिलाएं बैठकर नकली अफीम बना रही थीं. मूल सिंह यह सब अफीम की जबरदस्त बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए कर रहा था.
मारवाड़ में अफीम अब नशे के अलावा देसी वियाग्रा यानी यौन शक्ति वर्धक के रूप में इस्तेमाल की जाने लगी है और खासकर युवा इस मकसद से इसका जमकर उपयोग कर रहे हैं. हाल ही में रिटायर हुए जैसलमेर जिले के पूर्व सीएमएचओ डॉ. वी.पी.सिंह इसकी पुष्टि करते हैं. उन्हीं के शब्दों में, ''पश्चिमी राजस्थान के ग्रामीण अंचलों में जन्म, मृत्यु, शादी-ब्याह जैसी रस्मों के मौके पर अफीम की मनुहार की तो परंपरा-सी रही है. लेकिन पिछले कुछ समय से युवाओं ने यौन शक्ति बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल शुरू कर दिया है. वे इसे देसी वियाग्रा के तौर पर ले रहे हैं. सेक्स के लिए अफीम का सेवन अब आम बनता जा रहा है. '' गौरतलब है कि दो साल पहले बाड़मेर में 65 से अधिक की वय के जिस बुजुर्ग को संतान हुई थी, वह भी अफीम का सेवन करता था.
मूल सिंह के कारखाने से पुलिस ने अफीम बनाने का दूधनुमा 25 किलो केमिकल और तस्करी से जुटाए 4.19 लाख रु. नकद बरामद किए. इसी तरह एक और बड़े मामले में जोधपुर ग्रामीण पुलिस ने पीपाड़ थाने के खोखरिया गांव के सरपंच के भाई हरभन राम विश्नोई के घर से करीब 13 किलो अफीम और 30 लाख रु. बरामद किए. मारवाड़ में बड़ी अफीम बरामदगी के ये दो अकेले मामले नहीं हैं. 2011 में इस ह्नेत्र में 26 किलो अफीम पकड़ी गई थी. इस साल अगस्त तक ही करीब 75 किलो अफीम की बरामदगी हो चुकी है.
राहुल प्रकाश भी स्वीकारते हैं कि ''मारवाड़ क्षेत्र में मादक पदार्थों की खपत में भारी उछाल आया है. खासकर स्मैक सेवन के मामले में खासी बढ़ोतरी देखी गई है. और युवाओं का बड़े पैमाने पर नशे के जाल में फंसना सचमुच चिंताजनक है. '' लेकिन यह भी सच है कि अफीम जैसे नशे की देसी वियाग्रा वाली इमेज ने इसकी खपत में तेजी से इजाफा कर दिया है.
मारवाड़ में अफीम अब नशे के अलावा देसी वियाग्रा यानी यौन शक्ति वर्धक के रूप में इस्तेमाल की जाने लगी है और खासकर युवा इस मकसद से इसका जमकर उपयोग कर रहे हैं. हाल ही में रिटायर हुए जैसलमेर जिले के पूर्व सीएमएचओ डॉ. वी.पी.सिंह इसकी पुष्टि करते हैं. उन्हीं के शब्दों में, ''पश्चिमी राजस्थान के ग्रामीण अंचलों में जन्म, मृत्यु, शादी-ब्याह जैसी रस्मों के मौके पर अफीम की मनुहार की तो परंपरा-सी रही है. लेकिन पिछले कुछ समय से युवाओं ने यौन शक्ति बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल शुरू कर दिया है. वे इसे देसी वियाग्रा के तौर पर ले रहे हैं. सेक्स के लिए अफीम का सेवन अब आम बनता जा रहा है. '' गौरतलब है कि दो साल पहले बाड़मेर में 65 से अधिक की वय के जिस बुजुर्ग को संतान हुई थी, वह भी अफीम का सेवन करता था.
मूल सिंह के कारखाने से पुलिस ने अफीम बनाने का दूधनुमा 25 किलो केमिकल और तस्करी से जुटाए 4.19 लाख रु. नकद बरामद किए. इसी तरह एक और बड़े मामले में जोधपुर ग्रामीण पुलिस ने पीपाड़ थाने के खोखरिया गांव के सरपंच के भाई हरभन राम विश्नोई के घर से करीब 13 किलो अफीम और 30 लाख रु. बरामद किए. मारवाड़ में बड़ी अफीम बरामदगी के ये दो अकेले मामले नहीं हैं. 2011 में इस ह्नेत्र में 26 किलो अफीम पकड़ी गई थी. इस साल अगस्त तक ही करीब 75 किलो अफीम की बरामदगी हो चुकी है.
राहुल प्रकाश भी स्वीकारते हैं कि ''मारवाड़ क्षेत्र में मादक पदार्थों की खपत में भारी उछाल आया है. खासकर स्मैक सेवन के मामले में खासी बढ़ोतरी देखी गई है. और युवाओं का बड़े पैमाने पर नशे के जाल में फंसना सचमुच चिंताजनक है. '' लेकिन यह भी सच है कि अफीम जैसे नशे की देसी वियाग्रा वाली इमेज ने इसकी खपत में तेजी से इजाफा कर दिया है.