अपनी गुवाहाटी यात्रा की तस्वीरें दिखाते समय उनकी आंखों की चमक को नजरअंदाज कर पाना मुश्किल है. कोका कोला इंडिया की मार्केटिंग की रणनीति बनाने वाली अनुपमा अहलुवालिया एक कियोस्क पर खड़ी महिला की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, ''यह कामाख्या मंदिर के बाहर है, इसका अपना कियोस्क है, जिस पर हमारे ब्रांड बिकते हैं.
ये टीनेजर्स का अड्डा है. हमें इस रिटेलर से जुडऩा है और इसके साथ लंबे समय की भागीदारी बनानी है. यह तभी मुमकिन है, जब हम भावनात्मक रिश्ता जोड़ें.”
45 साल की अहलुवालिया ने यह सबक 1998 में कोलियर्स एनसाइक्लोपीडिया बेचते समय मार्केटिंग के अपने पहले काम में ही सीख लिया था. ग्राहकों को सीधे माल बेचने की यह नौकरी उन्होंने एमबीए से पहले काम का कुछ अनुभव लेने के लिए की थी, लेकिन उसने इन्हें बहुत कुछ सिखा दिया.
उन्होंने बताया, ''निरर्थक कॉल करने से लेकर ग्राहकों से बार-बार मिलना, फॉलोअप करना, उनसे संपर्क करना, मैंने सब कुछ किया. सेल तभी होती है, जब आप ग्राहक की भावनात्मक जरूरत समझ लेते हैं.”
यह अनुभव बहुत काम आया. आज अहलुवालिया ने इस अंतरराष्ट्रीय कोला कंपनी को अपनी स्मार्ट मार्केटिंग नीति के बल पर भारत में उसकी चिर प्रतिद्वंद्वी पेप्सिको को पछाडऩे में मदद की है. उनकी नीतियों में सोच-समझकर दाम घटाना और मार्केटिंग पर खर्च बढ़ाना शामिल है.
बाजार अनुमानों के अनुसार कोला बाजार में कोका कोला की हिस्सेदारी 56.7 प्रतिशत है, जबकि पेप्सिको का हिस्सा 34.1 फीसदी है. अहलुवालिया ने कंपनी के प्रोडक्ट्स की हिमायत के लिए प्रमुख फिल्मी सितारों का सहारा लिया. उन्होंने दस साल बाद 2012 में सलमान खान को वापस थम्सअप का ब्रांड एंबेसडर बना लिया और करीना कपूर को लिमका का चेहरा बनने पर राजी किया.
मुम्बई यूनिवर्सिटी से मार्केटिंग में एमबीए की डिग्री लेने और 1991 में वोल्टास से काम शुरू करने के बाद से अहलुवालिया ने लंबा रास्ता तय किया है. उन्होंने 13 साल कोलगेट-पामोलिव इंडिया और थाईलैंड में काम किया. फिर आइडिया सेल्यूलर में चार साल नई प्रोडक्ट स्ट्रेटजी बनाई और प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का चेहरा बदला.
आइडिया सेल्युलर में उनके बॉस रह चुके संजीव आगा बताते हैं, ''वे अपनी राय बहुत खुलकर रखती हैं, लेकिन साथ ही दूसरों की बात भी धीरज से सुनती हैं.”
अहलुवालिया रिश्तों की कीमत समझती हैं और काम को जिंदगी से जोडऩे की हिमायती हैं. उन्हें भाषा सीखने का शौक है और आजकल स्पैनिश सीख रही हैं. घर में होती हैं, तो पनीर भुजिया से लेकर थाई करी तक कुछ भी पकाने का शौक है. उनका कहना है, ''अगर आपको अपने काम में मजा आता है तो सब कुछ ठीक होने लगता है.
मेरे लिए काम अभिव्यक्ति का एक रूप है. मेरा पूरा दिन रिटेलर्स और सेल टीम से संवाद कायम करने, बाजार जाने और ऐसे ही कामों में बीत जाता है. हर दिन कोई नया अनुभव मुझे प्रेरणा देता है.”
ये टीनेजर्स का अड्डा है. हमें इस रिटेलर से जुडऩा है और इसके साथ लंबे समय की भागीदारी बनानी है. यह तभी मुमकिन है, जब हम भावनात्मक रिश्ता जोड़ें.”
45 साल की अहलुवालिया ने यह सबक 1998 में कोलियर्स एनसाइक्लोपीडिया बेचते समय मार्केटिंग के अपने पहले काम में ही सीख लिया था. ग्राहकों को सीधे माल बेचने की यह नौकरी उन्होंने एमबीए से पहले काम का कुछ अनुभव लेने के लिए की थी, लेकिन उसने इन्हें बहुत कुछ सिखा दिया.
उन्होंने बताया, ''निरर्थक कॉल करने से लेकर ग्राहकों से बार-बार मिलना, फॉलोअप करना, उनसे संपर्क करना, मैंने सब कुछ किया. सेल तभी होती है, जब आप ग्राहक की भावनात्मक जरूरत समझ लेते हैं.”
यह अनुभव बहुत काम आया. आज अहलुवालिया ने इस अंतरराष्ट्रीय कोला कंपनी को अपनी स्मार्ट मार्केटिंग नीति के बल पर भारत में उसकी चिर प्रतिद्वंद्वी पेप्सिको को पछाडऩे में मदद की है. उनकी नीतियों में सोच-समझकर दाम घटाना और मार्केटिंग पर खर्च बढ़ाना शामिल है.
बाजार अनुमानों के अनुसार कोला बाजार में कोका कोला की हिस्सेदारी 56.7 प्रतिशत है, जबकि पेप्सिको का हिस्सा 34.1 फीसदी है. अहलुवालिया ने कंपनी के प्रोडक्ट्स की हिमायत के लिए प्रमुख फिल्मी सितारों का सहारा लिया. उन्होंने दस साल बाद 2012 में सलमान खान को वापस थम्सअप का ब्रांड एंबेसडर बना लिया और करीना कपूर को लिमका का चेहरा बनने पर राजी किया.
मुम्बई यूनिवर्सिटी से मार्केटिंग में एमबीए की डिग्री लेने और 1991 में वोल्टास से काम शुरू करने के बाद से अहलुवालिया ने लंबा रास्ता तय किया है. उन्होंने 13 साल कोलगेट-पामोलिव इंडिया और थाईलैंड में काम किया. फिर आइडिया सेल्यूलर में चार साल नई प्रोडक्ट स्ट्रेटजी बनाई और प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का चेहरा बदला.
आइडिया सेल्युलर में उनके बॉस रह चुके संजीव आगा बताते हैं, ''वे अपनी राय बहुत खुलकर रखती हैं, लेकिन साथ ही दूसरों की बात भी धीरज से सुनती हैं.”
अहलुवालिया रिश्तों की कीमत समझती हैं और काम को जिंदगी से जोडऩे की हिमायती हैं. उन्हें भाषा सीखने का शौक है और आजकल स्पैनिश सीख रही हैं. घर में होती हैं, तो पनीर भुजिया से लेकर थाई करी तक कुछ भी पकाने का शौक है. उनका कहना है, ''अगर आपको अपने काम में मजा आता है तो सब कुछ ठीक होने लगता है.
मेरे लिए काम अभिव्यक्ति का एक रूप है. मेरा पूरा दिन रिटेलर्स और सेल टीम से संवाद कायम करने, बाजार जाने और ऐसे ही कामों में बीत जाता है. हर दिन कोई नया अनुभव मुझे प्रेरणा देता है.”