शहर जैसलमेर के मशहूर घड़सीसर तालाब पर इन दिनों सुबह से दोपहर तक फिजा में नृत्य और संगीत की खनक देखने-सुनने को मिलती है. भारतीय लोक संगीत पर थिरकती भी कौन हैं, जापान से आई युवतियां. उन्हें देखने के लिए वहां अच्छा-खासा मजमा लग जाता है.
असल में ये युवतियां यहां के मशहूर लोकनृत्य गुरु क्वीन हरीश से राजस्थानी संगीत की बारीकियां सीख रही हैं. 35 वर्षीय कोरियोग्राफर हरीश के जापानी शागिर्दों की तादाद 2,000 से भी ज्यादा है और इनमें हर साल इजाफा ही हो रहा है. हरीश से राजस्थानी लोक संगीत एवं नृत्य सीखने की दीवानगी का यह आलम है कि हर साल दर्जनों युवतियां इसके लिए जैसलमेर आ पहुंचती हैं. हरीश भी साल में एक बार जापान जाते हैं और वहां के अलग-अलग शहरों में नृत्य का प्रशिक्षण देते हैं.
इन दिनों सुलुमी, नात्संका, मिकी, सुजुका सरीखी आठेक जापानी युवतियां जैसलमेर आई हुई हैं. टोक्यो शहर की चिचाकी और मयूमी को हिंदी तो क्या अंग्रेजी भी नहीं आती. ऐसे में उन्हें राजस्थानी लोकगीत गाते हुए नाचते देखने पर सुखद आश्चर्य होता है.
अ र र र र र र र र...काळ्यो कूदि पड़्यो मेळा में; होलिया में उड़े रे गुलाल, म्हारी मंगेतर नखरे वाळी जैसे गीतों पर वे ऐसे थिरकती है जैसे इनसे उनका वर्षों पुराना नाता हो. साथ ही साथ हरीश उन्हें फिल्मी गानों पर भी नाचना सिखाते हैं.
हरीश की एक शागिर्द हीराको डर्टी पिक्चर के गाने ऊलाला ऊलाला के स्टेप और उसकी बारीकियां सीख रही हैं. यह फिल्म उन्होंने मुंबई में देखी थी. उन्हें यह इतना भाया कि अपने गुरु हरीश से उन्होंने इसे सिखाने की फरमाइश कर डाली. टोक्यो की रहने वाली सिजुका बताती हैं कि वे अपने शहर में एक दफा आयोजित एक कार्यक्रम में क्वीन हरीश के नृत्य पर फिदा हो गई थीं. उसके बाद उन्होने यू ट्यूब और फेसबुक पर हरीश के नृत्य के बारे में देख-पढ़कर उनकी शिष्या बनने का फैसला किया. हरीश जब युवती का मेकअप कर नृत्य करते हैं तो उन्हें सचमुच पहचानना मुश्किल हो जाता है. फेसबुक से ही संपर्क कर सिजुका जैसलमेर आ पहुंचीं.
जापान में हरीश की बढ़ती लोकप्रियता के पीछे असल में 2006 में आई जैसमिन डेल्लाल की फिल्म जिप्सी कारवां की बड़ी भूमिका है, जिसमें उनकी नृत्य प्रस्तुति थी. यह फिल्म जापान में खूब चली थी. हरीश बताते हैं कि 'जापानियों में नृत्य सीखने की अद्भुत ललक है और वे 8 से 10 दिन में अच्छी तरह सीख जाते हैं.' वे सबसे पहले किसी गाने का जापानी में अर्थ लिखकर बताते हैं और फिर रटाकर हारमोनियम-ढोलक के साथ सिखाते हैं. उसके बाद शुरू होती है कोरियोग्राफी. जापान में कई ऐसे शिष्य भी हैं, जो उनसे ऑनलाइन स्काइप पर सीखते हैं.
कलर चैनल पर रियलिटी शो इंडिया हैज़ गॉट टैलेंट में सेमीफाइनल तक पहुंचने वाले हरीश के अमेरिका में भी 500 से ज्यादा शागिर्द हैं और अब उनके शिष्यों में पुर्तगाली और कनाडाई भी जुड़ रहे हैं. पुर्तगाल की शांतल और कनाडा से आई टैमलिन आजकल उनसे सीख रही हैं.
शहर के संस्कृतिविद् नंदकिशोर शर्मा बताते हैं, 'जैसलमेर-बाड़मेर के लंगा मांगणियारों ने यहां के लोकसंगीत को दुनिया भर में लोकप्रिय बना दिया है. राजस्थानी संगीत की लय-ताल इतनी मधुर है कि वह सुनने वाले के कानों में गूंजती रहती है. जापानी भी अब इसके शिकार हुए हैं.' यानी राजस्थान गीतों के शब्द भले ही कठिन हों लेकिन अपनी शानदार मेलोडी की बदौलत आज ये गीत दुनिया में झंडे गाड़ रहे हैं. क्वीन हरीश सरीखे कलाकार दुनिया भर में राजस्थानी संगीत के प्रति फैली दीवानगी को और परवान चढ़ाने का ही काम कर रहे हैं. वे राजस्थान ही नहीं बल्कि भारत के सांस्कृतिक दूत साबित हो रहे हैं.