शनिवार, 13 अप्रैल की सुबह जब रामपुर से सांसद 51 वर्षीया जया प्रदा अपनी स्टील ग्रे कलर की फॉर्च्यूनर में निकलीं तो तमाम शहरों से होकर गुजरी उनकी गाड़ी के ऊपर चमकती लाल बत्ती पर किसी का ध्यान नहीं गया. लेकिन पौने तीन बजे के आसपास जैसे ही गाड़ी आजम खान के इलाके रामपुर में दाखिल हुई तो शहर के अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (एआरटीओ) कौशलेंद्र यादव ने गाड़ी से न सिर्फ लाल बत्ती उतरवा दी, बल्कि गैरकानूनी ढंग से फ्लैशर के इस्तेमाल के लिए 25,000 रु. का जुर्माना भी ठोक दिया. जया प्रदा के मुताबिक यह उनके सियासी रकीबों की साजिश है.
वे कहती हैं, ‘‘यह सब आजम खान का किया हुआ है. वे लोग चाहते हैं कि मैं यहां से चली जाऊं.’’ वे आगे कहती हैं, ‘‘उन्होंने बोला कि हम मर्द हैं. तुमको पता नहीं कि हम तुम्हारा क्या हाल करेंगे.’’ हालांकि वे यह स्पष्ट नहीं करतीं कि ‘उन्होंने’ से उनका इशारा किसकी तरफ है. खुद जया के शब्दों में रामपुर के राजा ‘‘अपनी मैस्क्यूलीन (मर्दाना) पावर’’ दिखाकर डरा रहे हैं.
लेकिन कौशलेंद्र यादव का कहना कुछ और है. उनके मुताबिक, ‘‘मैं तो सिर्फ नियम का पालन कर रहा था. कोई भी नेता, अधिकारी या मंत्री कानून से ऊपर नहीं है. जो भी उसे तोड़ेगा, उस पर कार्रवाई होगी.’’ यादव कहते हैं कि केंद्रीय मोटरयान नियमावली 1989 के मुताबिक उत्तर प्रदेश के लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों को निजी गाड़ी के अग्रभाग पर फ्लैशर वाली लाल बत्ती के प्रयोग की अनुमति नहीं है और जया प्रदा ने नियम का उल्लंघन किया. बकौल यादव उन्होंने दो महीने पहले भी एक बार जया प्रदा को फ्लैशर के प्रयोग के लिए चेतावनी दी थी. वे कहते हैं, ‘‘जब उनकी गाड़ी शहर में दाखिल हुई तो फ्लैशर जल रहा था.’’
सांसद का कानूनन फ्लैशर लगाना सही है या गलत, इस सवाल पर उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दुर्गा प्रसाद यादव गोलमोल उत्तर देते हैं, ‘‘मामले की जांच हो रही है. जो भी नियम विरुद्घ होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.’’ यह पूछने पर कि जया प्रदा की कार रामपुर में ही क्यों रोकी गई, दुर्गा प्रसाद वही रटा-रटाया उत्तर दोहरा देते हैं, ‘‘मामले की जांच की जा रही है.’’
जया प्रदा ने कौशलेंद्र यादव के खिलाफ अभद्र व्यवहार का भी आरोप लगाया है. लेकिन वे ऐसे किसी भी आरोप से इनकार करते हैं, ‘‘घटना के तुरंत बाद जब उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो हाथ पकडऩे या अभद्र व्यवहार करने का कोई आरोप नहीं लगाया. वे इस घटना को राजनैतिक रंग देने की कोशिश कर रही हैं.’’ कौशलेंद्र जया प्रदा को चुनौती देते हुए कहते हैं, ‘‘अगर जया अपने बेटे की कसम खाकर कहें कि मैंने उनके साथ अभद्र व्यवहार किया है तो मैं अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दूंगा. लेकिन फ्लैशर वाली बत्ती लगाकर आएंगी तो दोबारा उतार दूंगा.’’
लाल बत्ती के इस्तेमाल से शुरू हुई यह लड़ाई रामपुर से होते हुए अब दिल्ली के सियासी गलियारों में पहुंच चुकी है. जया प्रदा ने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार से मुलाकात की. अमर सिंह ने भी इस मुद्दे में हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र लिखा है. इंडिया टुडे से विशेष बातचीत में अमर सिंह ने इसे जया प्रदा के खिलाफ आजम खान की राजनैतिक साजिश बताया. वे कहते हैं, ‘‘अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव भी सिर्फ सांसद हैं और फ्लैशर वाली लाल बत्ती में घूमती हैं.’’ वे कहते हैं, ‘‘जया प्रदा को कई चीजों की सजा मिल रही है. अपनी पार्टी के खिलाफ जाकर मेरा साथ देने की, आजम खान के इलाके में उनके विरोध और दुष्प्रचार के बावजूद भारी मतों से चुनाव जीतने की और स्त्री होने की.’’
बावजूद इसके कि जया प्रदा ने नियम का उल्लंघन किया है, यह सवाल बार-बार खड़ा होता है कि निशाने पर सिर्फ वे ही क्यों? निशाना भी सिर्फ रामपुर में ही क्यों? इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भले वहां की सांसद जया प्रदा हैं, लेकिन रामपुर में राज तो आजम खान का ही चलता है. रामपुर उत्तर प्रदेश का शायद इकलौता शहर है, जहां नियम-कानूनों का पालन होता है. अफसरशाही हमेशा एक पैर पर खड़ी रहती है. सड़कों पर ढूंढऩे से एक गड्ढा भी नहीं मिलता. कोई ऑटोवाला बिना वर्दी और लाइसेंस के गाड़ी नहीं चलाता. सड़क पर ट्रैफिक नियम से चलता है. शहर में कभी बत्ती नहीं गुल होती. अधिकारी रिश्वत लेते डरते हैं क्योंकि रिश्वत देने वाला कहीं खुद आजम खान का आदमी न हो. नगरपालिका के ऑफिस में क्लर्क से लेकर अधिकारी तक अपनी कुर्सी पर बैठे दिखाई देते हैं, फाइलें समय पर निबटाई जाती हैं.
ऐसे में शक की सुई उन्हीं की ओर घूमकर रुक जाती है. हालांकि आजम खान ऐसे किसी आरोप से इनकार करते हैं कि यह उनके इशारे पर हुआ है. सपा के भीतर भी इस घटना को लेकर रोष है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि जया प्रदा के प्रति आजम खान के रुख को लेकर मुलायम सिंह यादव पहले भी अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने जया प्रदा का समर्थन किया है. वे कहते हैं, ‘‘उनके साथ हुआ व्यवहार नियम विरुद्घ है.’’ कौन नियम विरुद्घ है, इसका खुलासा तो जांच के बाद ही होगा. फिलहाल इस घटना के बाद सभी सांसद अपनी गाडिय़ों की लाल बत्ती को लेकर चौंकन्ने जरूर हो गए हैं. क्या पता, अगला नंबर किसका हो.