अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाने वाले माइनिंग इंस्पेक्टर की सड़क पर मौत के बाद सबसे बड़ा सवाल- यह दुर्घटना थी या साजिश के तहत हत्या. कांग्रेस ने इसे सियासी मुद्दा बनाया.
मध्य प्रदेश में रतलाम के माइनिंग इंस्पेक्टर की उज्जैन जिले में सड़क पर हुई मौत का विवाद अब राजनैतिक शक्ल लेता जा रहा है. 29 मार्च को उज्जैन जिले में 45 साल के माइनिंग इंस्पेक्टर संजय भार्गव मोटरसाइकिल पर सवार होकर अपने दोस्त हरीश जायसवाल के साथ घर लौट रहे थे, तभी एक वाहन ने उनकी गाड़ी को टक्कर मार दी. भार्गव की मौके पर ही मौत हो गई. घटना से एक दिन पहले ही भार्गव ने रतलाम में मीडिया से कहा था कि उनकी जान को दिलीप बिल्डकॉन से खतरा है. खनन कंपनी दिलीप बिल्डकॉन पर रतलाम की कलेक्टर कोर्ट में अवैध खनन से जुड़े कई मामले चल रहे हैं. मौत से बारह दिन पहले भार्गव ने उज्जैन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक से भी गुहार लगाई थी कि खनन माफिया उनकी जान के पीछे पड़ा है. साल भर पहले मुरैना में भी एक आइपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार की खनन माफिया ने हत्या कर दी थी.
भार्गव की मौत पर जब जनता भड़क उठी, जुलूस निकाले जाने लगे और कांग्रेस ने घटना के पीछे दिलीप बिल्डकॉन और उसके मालिक दिलीप सूर्यवंशी का हाथ बताते हुए सीबीआइ जांच की मांग की तो पुलिस जागी और नौ दिन बाद 7 अप्रैल को पत्रकार वार्ता बुलाकर आरोपी ड्राइवर अर्पित जैन को गिरफ्तार करने और लोडिंग गाड़ी जब्त करने का दावा किया. उज्जैन के पुलिस अधीक्षक अनुराग के शब्दों में, 'हादसे की वजह सड़क दुर्घटना लगती है. मामले की तहकीकात जारी है. लेकिन भार्गव सड़क की गलत साइड पर चले रहे थे.' इसके महज तीन घंटे बाद जब्त गाड़ी के मालिक अंकित चौबे ने मीडिया से कहा, 'पुलिस ने दुर्घटना की झूठी कहानी गढ़ कर मेरे ड्राइवर को फंसाया है. गाड़ी पर दिख रही खरोंचें छह महीने पहले गोदाम की दीवार से घिसट कर लगी थीं. पांच अप्रैल को जब ड्राइवर गाड़ी को मरम्मत के लिए ले जा रहा था तभी कुछ पुलिसवालों ने उससे उन्हें थाने तक छोडऩे को कहा. वहां पहुंचकर उन्होंने गाड़ी जब्त कर ली.' चौबे के मुताबिक, पुलिस ने ड्राइवर से जमानत के कागज पर धोखे से दस्तखत करवाए हैं.
माइनिंग इंस्पेक्टर भार्गव रतलाम में तैनात थे. भार्गव के परिवार के करीबी सूत्रों के मुताबिक, मौत से कुछ दिन पहले उन्होंने दिलीप बिल्डकॉन का रेत से लदा ट्रक रोका था तो ड्राइवर ने उन्हें कुचलने की कोशिश की थी. जब भार्गव जावरा औद्योगिक क्षेत्र थाने में रिपोर्ट लिखवाने गए तो पुलिस ने उन्हें यह कहकर टाल दिया कि सूर्यवंशी रसूखदार आदमी हैं. जब उन्होंने रिपोर्ट लिखवाने की जिद की तो पुलिस ने उन्हें ही जेल में डाल दिया. थाने के इंस्पेक्टर एम.एस. बघेल तो दावा करते हैं, 'भार्गव सूर्यवंशी के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाने हमारे थाने में नहीं आए थे बल्कि खनन से जुड़े एक व्यक्ति बंटी टुकडिय़ा ने शिकायत की थी कि माइनिंग इंस्पेक्टर उससे रिश्वत मांग रहा है. इसलिए हमने भार्गव के खिलाफ कार्रवाई की.'
हालांकि पुलिस लगातार इस बात पर जोर दे रही है कि भार्गव की मौत महज एक हादसा थी. रतलाम के कलेक्टर राजीव दुबे कहते हैं कि भार्गव को कुछ खान मालिकों के साथ बदसलूकी करने की वजह से 27 मार्च को निलंबित कर दिया गया था. कलेक्टर, एसपी और दूसरे बड़े अधिकारियों को अपनी जान के खतरे के बारे में भार्गव ने अपनी जान को खतरा होने से संबंधित जो पत्र भेजा था, उसके संदर्भ में दुबे कहते हैं, 'शिकायत पर भार्गव के दस्तखत नहीं थे इसलिए इसे गंभीरता से नहीं लिया.' जबकि प्रदेश के पुलिस महानिदेशक नन्दन कुमार तो स्पष्ट तौर से कहते हैं, 'अब तक की जांच से यही लगता है कि यह एक दुर्घटना थी.'
लेकिन हादसे के दिन भार्गव के साथ मौजूद उनके दोस्त हरीश जायसवाल का कहना है कि भार्गव की हत्या हुई है. वे कहते हैं, 'भार्गव की हत्या पूर्व नियोजित थी. इससे पहले 24-25 मार्च को भी कुछ लोगों ने उन्हें जावरा रेस्ट हाउस से अगवा करने की कोशिश की थी. मौत से तीन दिन पहले उन्होंने इस घटना का जिक्र किया था.'
चुनावी साल में कांग्रेस को सूबे की बीजेपी सरकार को घेरने का मुद्दा मिल गया है. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजा पटेरिया कहते हैं, 'जब तक भार्गव के परिवार को न्याय नहीं मिल जाता हम चुप नहीं बैठेंगे.'
बोलने की सजा
संजय भार्गव को पहले से ही अंदेशा था कि उनकी हत्या हो सकती है. इसलिए मौत से एक दिन पहले यानि 28 मार्च को उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति अखबारों को पहुंचाई थी, जिसमें उन्होंने साफ लिखा था कि उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है. इस विज्ञप्ति में भार्गव ने लिखा था, 'मुझे दिलीप बिल्डकॉन ने जबरन फंसाया और वर्दी में ही मुझे जेल भेज दिया गया. मैंने खनन माफिया बंटी टुकडिया की शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. उसने कहा है कि वह मुझे जान से मार सकता है.' भार्गव ने जावरा औद्योगिक क्षेत्र के टीआइ पर भी उन्हें षड्यंत्र के तहत जेल में डालने का आरोप लगाया. विज्ञप्ति पर भार्गव के हस्ताक्षर हैं. इसके अगले ही दिन भार्गव की मौत हो गई. जिस पर सवाल उठने लाजमी हैं. सवालों के घेरे में हैं दिलीप सूर्यवंशी और उनकी कंपनी दिलीप बिल्डकॉन. लेकिन इंडिया टुडे के संपर्क करने पर सूर्यवंशी ने इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया.