राजस्थान लोक सेवा आयोग ने राजस्थान प्रशासनिक और अधीनस्थ सेवा चयन परीक्षा का इस साल से पूरा पैटर्न बदलने की तैयारी कर ली है. राज्य कैबिनेट ने इसे हरी झंडी दिखा दी है. आयोग ने प्रदेश भर के करीब 50 विशेषज्ञों को बुलाकर इस पर चर्चा करके अंतिम प्रारूप तैयार कर लिया है. दशकों से राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) चयन में चली आ रही प्रारंभिक परीक्षा (प्रेलिम्स) में दो और मुख्य में 8 प्रश्नपत्रों के ढांचे को बदला जा रहा है. अब वे अभ्यर्थी जो राज्य प्रशासनिक सेवा में आना चाहते हैं, उन्हें राजस्थान की जनजातियों और उनकी संस्कृति की जानकारी होना जरूरी होगा.
आयोग के नए मसौदे में जांचा जाएगा कि प्रशासनिक अधिकारी में समस्या हल करने की क्षमता है या नहीं. उसे प्रबंधन और राजस्थान का ज्ञान जरूरी होगा. आयोग के सचिव डॉ. के.के. पाठक बताते हैं, ''विशेषज्ञों के अंतिम प्रारूप को आयोग की हाइ कोर कमेटी को भेजा जा चुका है. अगली आरएएस परीक्षा नए पैटर्न के अनुसार ही होगी. '' नई प्रणाली में रटने की जगह समझने की तकनीकी का मूल्यांकन किया जाएगा.
प्रदेश के सभी कुलपतियों, अकादमियों के विशेषज्ञों और विषय के जानकारों से विचार विमर्श के बाद पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दिया गया है. कला विषय में परंपरागत प्रश्नों की जगह सामाजिक स्थिति, परेशानी और उसके हल पर प्रश्न पूछे जाएंगे. अर्थशास्त्र और वाणिज्य के प्रश्न व्यावहारिक होंगे. प्रशासनिक सेवा चयन में पहली बार कृषि, बागवानी, पशुपालन और पर्यावरण जैसे विषयों को भी जोड़ा जा रहा है. आइएएस परीक्षा की तरह समानता लाने के लिए तार्किक शक्ति जैसे प्रश्नों का समावेश किया जा रहा है.
भाषा के विषयों में भी राजस्थानी साहित्य और बोलियों के प्रश्नों को शामिल किया जा रहा है. सबसे अहम बदलाव यह है कि अभ्यर्थी की सामान्य ज्ञान की परख को प्रमुख बनाया जाएगा. अभी तक होता यह था कि विषय से संबंधित प्रश्नों को पूछकर परीक्षा पूरी करा ली जाती थी, लेकिन अभ्यर्थी में रोजाना की समस्याओं का कितना ज्ञान है, इसका मूल्यांकन नहीं हो पाता था. नया पाठ्यक्रम अगले माह तक जारी होने की संभावना.
अभी तक प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य ज्ञान और विज्ञान के साथ एक वैकल्पिक विषय की वस्तुनिष्ठ परीक्षा होती थी. अब इसमें तर्कशक्ति, सामान्य ज्ञान और राजस्थान की जानकारी को भी शामिल किया जाएगा. मुख्य परीक्षा में अभी तक आठ प्रश्नपत्र आते थे: दो वैकल्पिक विषयों के चार प्रश्न पत्र, भाषा के दो, अंग्रेजी और सामान्य ज्ञान/विज्ञान. नए मसौदे में चार पेपर होंगे, जिसमें भाषा और सामान्य ज्ञान के दो और दो वैकल्पिक विषयों की परीक्षा होगी. अब प्रश्नों में राजस्थान के इतिहास, परंपरा और अर्थव्यवस्था को केंद्र में रखा जाएगा.
आरएएस की परीक्षा में हर साल कई लाख छात्र भाग्य अजमाते हैं. स्नातक होने के बाद से ही कई साल तक इसकी तैयारी की जाती है. ज्यादातर छात्र आइएएस और आरएएस के साथ दूसरे राज्यों में प्रशासनिक सेवा की तैयारी एक साथ करते हैं. अब इन्हें आरएएस परीक्षा की तैयारी अलग से करनी होगी. आरएएस में बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के हजार छात्र भी भाग्य आजमाते हैं और बहुत-से चुने भी जाते रहे हैं. पर अब इन विद्यार्थियों के लिए राजस्थान को जाने बिना चुना जाना मुश्किल होगा. हालांकि ज्यादातर छात्र मानते हैं कि नई प्रणाली में तर्कशक्ति जैसे विषयों का समावेश बेहतर होगा, लेकिन ठेठ राजस्थानी पर आधारित सवाल उन पर भारी पड़ सकते हैं.