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हरियाणा: चौधरी पर गहरी चोट

जाट सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला को सजा होने से उनकी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल का अस्तित्व खतरे में पड़ा.

ओम प्रकाश चौटाला
ओम प्रकाश चौटाला
अपडेटेड 4 फ़रवरी , 2013

इस मिथक को झुठलाते हुए कि उनकी एक उंगली हमेशा समय की नब्ज पर रहती है, हरियाणा के सर्वाधिक प्रभावशाली जाट नेता और पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके 77 वर्षीय ओम प्रकाश चौटाला अपने भविष्य और मौजूदा राजनैतिक हालात की इबारत पढऩे से चूक गए लगते हैं.

2009 के हरियाणा विधानसभा चुनावों के पहले चौटाला ने अपने एक करीबी सहयोगी से शेखी बघारी थी, ''खेत जोतने से पहले हल की नोक पर लगी मिट्टी से मैं जमीन में नमी का अंदाजा लगा लेता हूं” मगर 16 जनवरी को सीबीआइ कोर्ट के चौटाला और उनके उत्तराधिकारी 53 वर्षीय बड़े बेटे अजय सिंह को जालसाजी, भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के आरोपों में सजा सुनाने के बाद उनकी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (आइएनएलडी) का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है. यह मामला 2000 में 3,206 जेबीटी (जूनियर बेसिक ट्रेंड) स्कूल टीचरों की भर्ती में हुए फर्जीवाड़े से जुड़ा है.

पिता-पुत्र को 22 जनवरी को 10-10 साल के सश्रम कठोर कारावास की सजा सुनाई गई. उनके साथ आठ अन्य लोगों को भी सजा सुनाई गई जिनमें प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के उपनेता शेर सिंह बादशामी, दो आइएएस अधिकारी—चौटाला के पूर्व ओएसडी विद्याधर और तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार—भी शामिल हैं. संजीव कुमार ने ही जून, 2003 में सबसे पहले इस घोटाले का खुलासा किया था. बाद में सीबीआइ ने उन्हें प्रतिवादी बना दिया.

सजा सुनाने के बाद जब पुलिसकर्मी उन्हें कोर्ट से दिल्ली की तिहाड़ जेल ले जाने लगे तो एकबारगी उनका भावहीन चेहरा, जो हरियाणा में काफी मशहूर है, सफेद पड़ गया था. अगर दिल्ली हाइकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिलती तो जाट सुप्रीमो को पूरा एक दशक सलाखों के पीछे बिताना होगा और उसके बाद भी छह साल तक वे चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.

1977 में देवीलाल के राजनैतिक सचिव के रूप में शुरुआत कर अपना 40 साल से अधिक का वक्त इस परिवार को देने के बाद कांग्रेस में शामिल होने वाले संपत सिंह का मानना है कि यह फैसला भारत के राजनैतिक इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा. वे कहते हैं, ''भ्रष्ट राजनैतिक मंडलियों को ऐसा तगड़ा झटका पहले कभी नहीं लगा था. इससे आम आदमी का भरोसा फिर से जागेगा जिसने इतने लंबे समय तक घनघोर भ्रष्टाचार को सीना तान कर घूमते देखा है.”

सिंह याद करते हैं, ''देवीलाल जनता के नेता थे और जनता के बीच ही वे खुश रहते थे.” उनके अनुसार चौटाला घराने के दिवंगत मुखिया ने अपने लिए कुछ बुनियादी नियम बना रखे थे, जैसे यह कि किसी समर्थक के घर दावत खाने कभी नहीं जाना क्योंकि उन्हें लगता था कि उनके लंबे काफिले को खिलाने-पिलाने पर मेजबान को अनावश्यक पैसे खर्च करने पड़ जाएंगे. सिंह बताते हैं कि चौटाला ने अपने पिता के इन बुनियादी नियमों का पालन कभी नहीं किया. ''समर्थकों के घर की दावतें चंदा जुटाने के समारोह बन गए.”

अपने बड़े पुत्र से देवीलाल की मायूसी जल्द ही सामने आ गई. मुख्यमंत्री रहते हुए देवीलाल ने सार्वजनिक रूप से चौटाला को तब त्याग दिया था जब अक्तूबर, 1978 में पालम एयरपोर्ट पर कस्टम अधिकारियों ने उन्हें कथित तौर पर जापान यात्रा के दौरान खरीदी गईं दर्जनों इलेक्ट्रॉनिक कलाई घडिय़ों के साथ धरा था. अप्रैल, 2001 में देवीलाल की मौत के बाद चौटाला ने अपने पिता के प्रति निष्ठा रखने वाले आइएनएलडी के लगभग सभी दिग्गजों को किनारे लगा दिया. सिंह कहते हैं, ''1991 के चुनाव जीतने वाले 16 विधायकों में से आज कोई भी उनके साथ नहीं है.”

हरियाणा के परंपरागत सोच वाले जाट, जो खाप पंचायतों के माध्यम से सगोत्र विवाहों और 'स्वच्छंद’ जोड़ों के लिए गैरकानूनी रूप से मौत की सजा का खुलेआम समर्थन करते हैं, देश की विधिक और न्यायिक व्यवस्था से कोई खास लगाव नहीं रखते. चंडीगढ़ के थिंक टैंक इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट ऐंड कम्युनिकेशन (आइडीसी) के डायरेक्टर प्रमोद कुमार बताते हैं कि हरियाणवी ग्रामीणों के लिए भ्रष्टाचार कभी कोई चुनावी मुद्दा नहीं रहा क्योंकि वे मानते हैं कि सभी नेता 'पैसे बनाते हैं.’ वे कहते हैं, ''सजा और 10 साल की कैद को मतदाता धक्का (अनुचित व्यवहार) समझ सकते हैं और आइएनएलडी के पक्ष में सहानुभूति की लहर हो सकती है.”

छोटे पुत्र अभय सिंह और आइएनएलडी के दूसरी पंक्ति के नेता अभी से कोर्ट के फैसले को इस बात के सबूत के तौर पर पेश कर रहे हैं कि कैसे कांग्रेस विरोधियों को निशाना बनाने के लिए सीबीआइ का इस्तेमाल करती है. आइएनएलडी अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने 21 जनवरी को इंडिया टुडे को बताया कि पार्टी कांग्रेस में सर्वोच्च स्तर पर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तूफान खड़ा कर देगी. वे कहते हैं, ''हम बड़े भूमि घोटालों में रॉबर्ट वाड्रा की मिलीभगत का मुद्दा उठाएंगे.”

हरियाणा के कांग्रेस नेता अपने विरोधियों की मुश्किलों पर प्रतिक्रियाओं को लेकर चौकन्ने हैं. मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने यह कहते हुए खुद को सिर्फ शांति की अपील करने तक ही सीमित रखा ''फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी जा सकती है.”

विशेषज्ञ भ्रष्टाचार के आरोपों से बेदाग चौटाला परिवार की चौथी पीढ़ी, अजय और अभय के पुत्रों के चुनावी मैदान में उतरने की संभावना से भी इनकार नहीं करते. वे कहते हैं, ''दुष्यंत, दिग्विजय, कुणाल और अर्जुन भले ही राजनैतिक रूप से अनाड़ी हों लेकिन राजनीति में उनकी दशकों लंबी विरासत है.”

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