उस लड़की के एक सवाल ने मां को झकझोर दिया था. खंडवा के आनंद निवास गर्ल्स हॉस्टल में रहने वाली इस 17 वर्षीय लड़की ने बड़ी मासूमियत से पूछा था, ''मां क्या हॉस्टल से बाहर निकलने से लड़की प्रेग्नेंट हो जाती है? '' यह जानकर तो मां की रूह तक कांप गई कि उसकी बेटी को हॉस्टल की वार्डन ने एक पुरुष डॉक्टर के पास प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए भेजा था. बात यहीं खत्म नहीं हुई, बेटी ने यह भी बताया कि टेस्ट के बाद डॉक्टर ने उसके साथ बेहद गंदी और अश्लील हरकतें भी की हैं.
क्रिसमस की छुट्टियां महाराष्ट्र में अपने परिवार के साथ ख़ुशी-ख़ुशी बिताकर वह 10 दिन बाद हॉस्टल लौटी थी. वहां वह पिछले आठ साल से रह रही थी लेकिन इस बार हॉस्टल में प्रवेश देने के लिए वार्डन व्युला राव ने बेहद अजीब शर्त रख दी थी. शर्त यह थी कि लड़कियों को हॉस्टल में तभी प्रवेश दिया जाएगा जब वे एक विशेष डॉक्टर से 'प्रेग्नेंसी टेस्ट' करवाकर और उसका मेडिकल सर्टिफिकेट लेकर आएंगी.
10वीं में पढऩे वाली यह लड़की 2 जनवरी को अपने बड़े भाई के साथ यूनानी पद्घति से इलाज करने वाले 35 वर्षीय डॉ. एस.एफ. अली के यहां पहुंची, जिनसे जांच करवाने को वार्डन ने कहा था. वहां जिस तरह की जांच से वह गुजरी वह उसके जीवन का सबसे त्रासद अनुभव था. वह सदमे से उबरी भी नहीं थी कि डॉक्टर ने आठ दिन बाद उसे फिर से मेडिकल जांच के लिए बुलवाया. इस बार का अनुभव और भी घिनौना था.
13 जनवरी को जब पीडि़त लड़की की मां उसके पास आई और लड़की ने अपनी आपबीती उन्हें बताई तब जाकर मामले का खुलासा हुआ. पीडि़त लड़की ने इंडिया टुडे को बताया, ''क्रिसमस की छुट्टियों पर जाने से पहले वार्डन ने कहा था कि लौटने के बाद सभी लड़कियों को डॉ. एस.एफ. अली के यहां प्रेग्नेंसी टेस्ट कराना होगा. उनके सर्टिफिकेट के बाद ही लड़कियों को प्रवेश दिया जाएगा. ''
पीडि़त लड़की के मुताबिक इस आदेश की वजह यह थी कि एक-डेढ़ माह पहले 11वीं क्लास की एक लड़की प्रेग्नेंट हो गई इसलिए उसे हॉस्टल से निकाल दिया गया था. पीडि़त लड़की बताती हैं, ''डॉ. अली मुझे क्लीनिक के अंदर वाले कमरे में ले गए. वहां उन्होंने टेस्ट के लिए मेरे सारे कपड़े उतरवाए और कई तरह की हरकतें की. जब मैंने रोकने की कोशिश की तो उन्होंने कहा टेस्ट तो ऐसे ही होता है. यही बात मैंने वार्डन और आया शीला कलवले को बताई तो उन्होंने भी कहा कि जांच तो ऐसे ही होती है. ''
यह सब जानने के बाद मां अपनी बेटी को लेकर पुलिस के पास शिकायत करने पहुंची. पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए डॉ. अली, वार्डन और आया को गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में हाल ही में पारित प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्स ऐक्ट 2012 की धारा 4 के तहत भी प्रकरण दर्ज किया गया है जिसमें न्यूनतम सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. इस मामले की सुनवाई विशेष अदालत में करवाई जाएगी.
पीडि़त लड़की बताती है, ''आठ दिन बाद आया मुझे यह कहकर फिर से डॉ. अली के पास ले गई कि एक बार और चेकअप करना पड़ेगा. इस बार आया बाहर बैठी रही और डॉ. अली मुझे फिर से अंदर के कमरे में ले गए. यह सब करीब 15 मिनट तक चलता रहा. जब मैं डर के मारे रोने लगी तो उन्होंने मुझे छोड़ दिया. बाहर निकलते ही मैंने आया से इसकी शिकायत की तो वह हंसने लगी. हॉस्टल लौटकर वार्डन को बताया तो उसने बुरी तरह डांटा और कहा कि डॉक्टर को बदनाम करने की कोशिश मत करो. ''
पीड़ित लड़की की मां बताती हैं, ''जब मैंने बेटी की प्रेग्नेंसी की जांच करवाने की वजह वार्डन से पूछी तो उसका जवाब था कि यह जानने के लिए कि 10 दिन में आपकी बेटी गर्भवती तो नहीं हो गई, डॉक्टरी परीक्षण जरूरी था. '' लड़की की मां ने हॉस्टल का संचालन करने वाले मेथोडिस्ट चर्च के फादर और हॉस्टल के प्रभारी फादर मनीष बेडियन से भी शिकायत की, जिन्होंने डॉ. अली को वहां बुलवा लिया.
पीडि़त लड़की की मां बताती हैं, ''डॉ. अली ने न केवल इस घटनाक्रम से इनकार किया बल्कि उनके साथ आए उनके रिश्तेदार हमें धमकाने लगे. उन्होंने कहा कि मैंने ज्यादा हल्ला किया तो हमारी ही बदनामी होगी. उन्होंने मामले को रफा-दफा करने के लिए पैसे की भी पेशकश की. '' इसके बाद पीडि़त लड़की की मां ने खंडवा पुलिस की महिला डेस्क को शिकायत की, पुलिस अधीक्षक मनोज शर्मा बताते हैं, ''लड़की ने लिखित शिकायत की है जिस पर तत्परता से कार्रवाई की गई. '' अभी तीनों आरोपी जेल में हैं.
इस घटना के बाद आनंद निवास गर्ल्स हॉस्टल के क्रियाकलाप भी संदेह के घेरे में आ गए हैं. इसके संचालक फादर बेडियन सफाई देते हैं, ''हॉस्टल में किसी भी बालिका के कौमार्य परिक्षण की कोई परंपरा नहीं है और न ही इस मामले में ऐसा कुछ हुआ है. बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी शिकायत होने पर डॉक्टर के पास ले जाया जाता है. इस मामले में भी यही हुआ था. हां, लेकिन अगर डॉक्टर ने कोई गड़बड़ की है तो यह निश्चित रूप से गंभीर मामला है. हमारी संस्था भी इस मामले की जांच कर रही है. '' फादर बेडियन यह जोडऩा नहीं भूलते कि समूचे निमाड़ अंचल में बालिका शिक्षा सर्वप्रथम शुरू करने वाली यह सौ वर्ष पुरानी संस्था है, जिसके इतिहास में इस तरह का कोर्ई मामला नहीं हुआ.
इस घटना के बाद से हॉस्टल में रहने वाली 140 लड़कियों के अभिभावक परेशान हैं. गंभीर आरोप लगाने वाली लड़की को तो उसके अभिभावक हॉस्टल से ले जा चुके हैं, जिसके बाद से हॉस्टल में गहरा सन्नाटा है.
इस घटनाक्रम में नाटकीय मोड़ 16 जनवरी को तब आया जब डॉ. अली के पक्ष में इलाके की 1,000 से ज्यादा महिलाएं कलेक्ट्रेट जा पहुंचीं और उन्होंने कलेक्टर नीरज दुबे को ज्ञापन सौंपते हुए डॉ. अली को नेक इरादेवाला और सद्चरित्र का बताया. डॉ. अली के जीजा कलीम बेग आरोपों को निराधार बताते हुए कहते हैं, ''व्यवहार और कार्यकुशलता के कारण ही वे बस्ती में इतने लोकप्रिय हैं. यह घटना किसी साजिश के तहत अंजाम दी गई है. '' उन्होंने आरोप लगाया कि लड़की की मां ने 50,000 रु. की मांग की थी, जो नहीं देने पर तमाशा खड़ा कर दिया. फिलहाल प्रशासन ने मामले की जांच के लिए विभिन्न क्षेत्रों की तीन महिलाओं की समिति बनाने की घोषणा की है.