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सपनों को साकार करने वाली एकेडमी

गया ओटीए से जेंटलमैन कैडेट्स का दूसरा बैच निकला. इलाके के नौजवानों में अफसर बनने की ललक बढ़ा रही है एकेडमी.

ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी
ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी
अपडेटेड 9 जनवरी , 2013

पहाड़पुर सेना सेवा कोर केंद्र, गया में पहले सैनिक तैयार होते थे, अब यहां जेंटलमैन कैडेट्स ट्रेनिंग लेते हैं. हिमाचल प्रदेश के अशोक कुमार की बहाली बतौर सैनिक गई थी. उन्होंने ग्यारह साल तक सेना में जवान के रूप में देश की सेवा की. 2011 में कमीशन हासिल किया और अब वे भारतीय सेना में कमीशन अधिकारी बन गए हैं.

फौजी से लेफ्टिनेंट और फिर सेना में अधिकारी बने अशोक बताते हैं, ''मैंने 2004 में कंचनजंगा फतह में अहम भूमिका निभाई थी, जिसकी वजह से मुझे पुरस्कृत किया गया है. '' उनकी कामयाबी का सफर यहीं खत्म नहीं होता. गया ओटीए में एक साल की ट्रेनिंग के दौरान उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए गोल्ड मेडल सहित 11 मेडल मिले हैं. उनके पिता बृजलाल कपूर भी सेना से रिटायर्ड हैं. ट्रेनिंग खत्म होने के बाद ओटीए के ड्रिल ग्राउंड में आयोजित पासिंग आउट परेड में अशोक की दिलेरी को देखकर उनके परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी की दूसरी पासिंग आउट परेड और दीक्षांत समारोह में बिहार का नेतृत्व प्रदेश के इकलौते कमीशन अधिकारी गुलाम दस्तगीर ने किया. बिहार के सहरसा जिले के दस्तगीर के भाई गुलाम गौस ने बताया कि मेरे वालिद मो. इब्राहीम कादरी भी सेना में थे. हालांकि बेटे की इस शानदार कामयाबी को देखने के लिए वे अब इस दुनिया में नहीं हैं. गौस बताते हैं, ''भाई की कामयाबी से पूरे परिवार का सिर ऊंचा हुआ है. दस्तगीर की बहाली सैनिक के तौर पर हुई थी जो आज जेंटलमैन कैडेट्स से कमीशन अफसर तक का सफर तय करने में सफल हुए हैं. ''OTA

सेना सेवा कोर केंद्र पहाड़पुर में ओटीए की स्थापना के बाद यहां के युवाओं में भी जेंटलमैन बनने की ललक बढ़ी है. यहां के युवक अब सैनिक बनने के साथ-साथ जेंटलमैन कैडेट बनने की तैयारी कर रहे हैं. बोधगया प्रखंड के बगदाहा निवासी सरयू रंजन की बहाली नाई के पद पर सेना सेवा कोर केंद्र, गया में हुई थी. उन्होंने विभागीय परीक्षा पास की और अब वे सेना में जूनियर इंजीनियर हैं. जहां सरयू रंजन की बहाली हुई थी वहां अब दो साल से जेंटलमैन कैडेट्स तैयार हो रहे हैं. अब उनकी हसरत जैंटलमेन कैडेट बनने की है और वह तैयारी में लगे हुए हैं.

बोधगया के राकेश रोशन श्रीनगर में सैनिक हैं. वे भी चाहते हैं कि मैं भी कमीशन अधिकारी बनकर अपने और परिवार का नाम रोशन करूं. खबर यह है कि एक अदद फौजी से जेंटलमैन बनने की चाहत केवल सरयू रंजन या राकेश रोशन को ही नहीं है, इसकी तैयारी में बगदाहा गांव के ही उपेंद्र कुमार, हृदय कुमार सहित कई अन्य युवक हैं जिनमें इस तरह की ललक बढ़ती जा रही है.

ओटीए गया के पीआरओ कर्नल राजेश कुमार बताते हैं कि यह एरिया ट्रेनिंग के लिए काफी सही है. प्रशिक्षण के दौरान ट्रेनीज को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ, आकर्षक, चुस्त-दुरुस्त और कर्मठ बने रहने के लिए अव्वल स्तर का प्रशिक्षण देकर बतौर जेंटलमैन कैडेट्स तैयार किया जाता है. इसके लिए ट्रेनीज को शारीरिक रूप से तैयार कर सैन्य शिक्षा, हथियार चलाने, तैराकी, अलग-अलग जोखिम भरे खेल, हॉकी क्लब और कई प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है.

ट्रेनिंग के दौरान आम लोगों के बीच भाषण देने, आपसी संबंध स्थापित करने, नेतृत्व क्षमता का विकास, सामूहिक सोच विकसित करने सहित एकेडमी के तहत आने वाले सारे विषयों की पढ़ाई होती है. वे बताते हैं, ''सेना में फिलहाल 15,000 अधिकारियों के पद खाली हैं. इस जरूरत को पूरा करने में यह एकेडमी कारगर साबित होगी. ''

सेना सेवा कोर केंद्र गया के बंगलुरू चले जाने से सुरक्षा, पर्यावरण और आर्थिक मंदी को लेकर गयावासियों में घर कर गई अनिश्चितताएं तब खत्म हुईं जब इस परिसर में सेना की ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी  (ओटीए) का उद्घाटन हुआ. आर्मी ट्रेनिंग कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल के. सुरेंद्र नाथ ने 18 जुलाई, 2011 को ध्वजारोहण कर चेन्नै के बाद देश की दूसरी तथा पूर्वी भारत की पहली ओटीए की बिहार प्रदेश के गया जिले में शुरुआत की थी.

863 एकड़ जमीन पर स्थापित इस अकादमी को विश्वस्तरीय बनाने की योजना है. इसके लिए केंद्र सरकार के पास भेजी गई 1,200 करोड़ रु. की विकास योजनाओं को मंजूरी मिल चुकी है. यह जानकारी दूसरी पासिंग आउट परेड के मौके पर परेड के निरीक्षण अधिकारी सेंट्रल कमान के ले. जनरल अनिल चैत ने दी.

उन्होंने कहा, ''ओटीए गया में हर बैच में 750 कैडेट्स को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है. '' पहले बैच की शुरुआत 135 कैडेट्स से हुई थी. दूसरे बैच में पास आउट हुए 174 कैडेट्स में से 38 भारतीय सेना में कमीशन लेकर अधिकारी बने हैं जबकि टेक्निकल एंट्री स्कीम के तहत 136 कैडेट्स ने अपनी बुनियादी आर्मी ट्रेनिंग पूरी की है. वे अब सैन्य तकनीकी संस्थानों से इंजीनियरिंग की शिक्षा हासिल करेंगे.

देश के रक्षा मंत्री रहे दिवंगत बाबू जगजीवन राम के अथक प्रयासों से ही 1976 में गया में सेना सेवा कोर केंद्र (उत्तर) की स्थापना हुई थी. केंद्र की स्थापना के 36वें वर्ष में इसे बंगलुरू शिफ्ट कर दिया गया था. पासिंग आउट परेड के मौके पर जेंटलमैन कैडेट्स ने अपने हैरतअंगेज कारनामों से वहां मौजूद लोगों को अपनी ह्नमताओं का एहसास कराया. लेकिन चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष अनूप केडिया कहते हैं कि गया का ओटीए अपनी क्षमता के अनुसार चालू नहीं हो पाया है.

दूसरी बात यहां मौजूद कैडेट्स की जरूरत का समान ओटीए में ही उपलब्ध हो रहा है, जिससे गया की अर्थव्यवस्था पर कोई खास असर नहीं दिख रहा है. लेकिन लोग भविष्य से उम्मीदें लगाए हुए हैं.

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