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राजस्थान में आ गया राइट टु रीकॉल

यह मामला वैसे तो एक नगरपालिका के स्तर का था लेकिन था बड़ा दिलचस्प. राजस्थान में बारां जिले के मांगरोल में यह प्रदेश का पहला राइट टु रीकॉल था. और इसका नतीजा भी ऐसा अभूतपूर्व रहा कि कांग्रेस और बीजेपी जैसे बड़े-बड़े राजनैतिक दलों के दिग्गजों को भी सांप सूंघ गया.

अपडेटेड 7 जनवरी , 2013

यह मामला वैसे तो एक नगरपालिका के स्तर का था लेकिन था बड़ा दिलचस्प. राजस्थान में बारां जिले के मांगरोल में यह प्रदेश का पहला राइट टु रीकॉल था. और इसका नतीजा भी ऐसा अभूतपूर्व रहा कि कांग्रेस और बीजेपी जैसे बड़े-बड़े राजनैतिक दलों के दिग्गजों को भी सांप सूंघ गया.

मांगरोल नगरपालिका के निर्दलीय अध्यक्ष अशोक जैन को राइट टु रीकॉल के तहत पिछले पखवाड़े जनता ने फिर से चुन लिया. जनमत संग्रह में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 3,000 से भी ज्यादा मतों से खारिज हो गया. कुल 10,998 मतों में से जैन को अध्यक्ष पद पर बनाए रखने के पक्ष में 7,243 मत मिले, जबकि उनके खिलाफ पड़े 3,755 वोट. इस तरह मांगरोल की जनता ने जैन को न केवल फिर अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठा दिया बल्कि जीत का फासला आम चुनावों से भी 2,000 वोट ज्यादा का रहा.

इसी साल जनवरी में जैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. पालिका के 20 वार्ड पार्षदों में से कांग्रेस के 10, भाजपा के 5 और दो निर्दलीय पार्षदों ने उनके खिलाफ वोट देकर अविश्वास प्रस्ताव को पारित कर दिया था. इन पार्षदों का आरोप था कि जैन ने पालिका, विधायक और सांसद निधि का पैसा ठीक ने खर्च नहीं किया. इस जीत के बाद अब जैन के खिलाफ दो साल तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता. उनका कार्यकाल 23 नवंबर, 2014 को पूरा होगा.ashok jain

मजे की बात यह है कि पिछले 25 नवंबर को जैन अपने दिल्ली प्रवास के दौरान मोटर साइकिल से गिर गए थे और उनकी रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था. तब से कोटा में स्वास्थ्य लाभ कर रहे जैन 4 दिन पहले ही मांगरोल पहुंचे थे और घर पर ही रहते हुए उन्होंने राजनैतिक मठाधीशों को धूल चटा दी.

अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद जैन यह कहते हुए सामने आए, ''कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं के बड़े अतिक्रमणों के खिलाफ मैंने अभियान चलाया था, जिससे खफा होकर वे अविश्वास प्रस्ताव ले आए. '' कांग्रेस के पूर्व मंत्री और विधायक प्रमोद जैन भाया की ओर इशारा करते हुए वे कहते हैं कि दोबारा जीतने के बावजूद बोर्ड की बैठक में पार्षद उनकी योजनाओं को लागू नहीं होने देंगे. इसीलिए अब उन्होंने तय किया है कि बोर्ड की बैठक खुले में कराई जाएगी और जनता भी इसमें मौजूद रहेगी.

जैन कहते हैं, ''राइट टु रीकॉल के तहत मतदान एक तरह से धर्मयुद्ध की तरह था, जिसमें राजनैतिक दलों से जुड़े नेताओं के मंसूबों को जनता ने नकार दिया. इसके प्रावधानों को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए. '' मतदान से चार दिन पहले अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से जुड़े जैन कांग्रेस और बीजेपी को 'देश को खोखला करने वाली' पार्टियां बताते हैं.

'आप के प्रवक्ता मनीष सिसोदिया इसमें कई सवालों का जवाब मिलता देखते हैं. ''अंदेशा जताया जा रहा था कि राइट टु रीकॉल से अच्छे जन प्रतिनिधियों को परेशान किया जाएगा. यहां तो उलटा हुआ. जिस अध्यक्ष को कांग्रेस और बीजेपी के पार्षद बुरी नीयत से परेशान कर रहे थे, उसे जनता ने कहीं ज्यादा समर्थन देकर उसे मजबूत बना दिया. '' जैन 'आप' के संस्थापक सदस्यों में से हैं. उन्होंने पार्टी के बड़े नेताओं को जनमत संग्रह के दौरान बुलाया था पर उनकी स्थिति को पर्याप्त रूप से मजबूत पाकर पार्टी नेताओं ने जाने की जरूरत नहीं समझी.

जैन की जीत के बाद लोगों ने शहर में उनका विशाल विजय जुलूस निकाला. स्थानीय राजनैतिक जानकार इसे लोकतंत्र को मजाक समझने वालों के मुंह पर करारा तमाचा मानते हैं. देखना है कि इसका दायरा 2014 तक कितना फैलता है. इस जनमत संग्रह ने जनता की जय को स्थापित करके कलुषित राजनीति को बेनकाब कर दिया है.

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