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इंडिया टुडे-एमडीआरए सर्वे 2024 : मीडिया के लिए ट्रेनिंग में आज भी टॉप पर है आईआईएमसी

मीडिया इंडस्ट्री के बदलते मिजाज के अनुरूप नए-नए कोर्स तैयार करने वाला आईआईएमसी जन संचार के छात्रों के लिए अब भी पसंदीदा प्लेटफॉर्म. इंडिया टुडे-एमडीआरए सर्वे 2024 में यह बेस्ट मास कम्युनिकेशन संस्थान

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, नई दिल्ली
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, नई दिल्ली
अपडेटेड 3 जुलाई , 2024

दिल्ली के बाहरी इलाके में हरियाली के बीच स्थित भारतीय जन संचार संस्थान यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) उत्कृष्टता का ऐसा प्रमुख केंद्र है जो अपनी संपन्न विरासत और अनूठे पाठ्यक्रमों के बूते अगली पीढ़ी के मीडिया प्रोफेशनल्स को प्रोत्साहित करता है.

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत करीब 6 दशक पुराना यह संस्थान पारंपरिक रूप से पत्रकारिता में 9 महीने का पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा देता था. इस साल से यह डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी बन गया है जिससे इसे अपने पाठ्यक्रम और पाठ्य सामग्री तैयार करने में आजादी मिलेगी.

यह पत्रकारों को न्यूज रूम के अलावा न केवल नए दौर के करियर ऑप्शन देगा बल्कि मीडिया परिदृश्य में लगातार होते रणनीतिक बदलाव का ध्यान रखेगा.

जिन नए पाठ्यक्रमों की पेशकश की जा रही है, उनमें मीडिया बिजनेस स्टडीज और रणनीतिक संचार में एमए शामिल है. यहां विशेषज्ञता वाले पत्रकारिता के पाठ्यक्रम भी हैं जैसे जेनरेटिव एआई, ड्रोन और यहां तक कि ऑगमेंटेड और वर्चुअल रियलिटी जैसे टूल्स का फायदा उठाने की ट्रेनिंग.

ये प्रिंट, टीवी, रेडियो और डिजिटल पत्रकारिता के मौजूदा पाठ्यक्रमों के अलावा हैं. संस्थान का एन्वायरमेंट जर्नलिज्म में कोर्स कई सालों से लोकप्रिय है. अब उसने स्वास्थ्य संचार पर भी कोर्स शुरू किया है.

मास कम्युनिकेशन में भारत के 10 सबसे बेस्ट कॉलेज

मास कम्युनिकेशन में भारत के 10 सबसे बेस्ट कॉलेज
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आईआईएमसी दूसरों से अलग कैसे है

> यह अब विश्वविद्यालय के समकक्ष (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिसे अपने कोर्स और पाठ्य सामग्री तैयार करने की स्वतंत्रता दी गई है. इससे पत्रकारों के लिए पारंपरिक न्यूज रूम के अलावा न केवल आधुनिक करियर की राह बनेगी बल्कि वे मीडिया के लगातार बदलते माहौल के अनुकूल भी बनेंगे.

> मीडिया इंडस्ट्री के अव्वल नाम आईआईएमसी की नियमित फैकल्टी के रूप में आते हैं. यहां न केवल सैद्धांतिक पढ़ाई होती है बल्कि नियमित रूप से असली काम के लिए प्रैक्टिकल अनुभव भी कराया जाता है जिससे यह संस्थान विशेष बन जाता है.

> सरकार की ओर से चलाया जाने वाला प्रीमियम मीडिया स्कूल होने के कारण आईआईएमसी को इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए कभी पैसों की कमी नहीं रही. उसके पास आधुनिक कंप्यूटर लैब, स्मार्ट क्लासरूम, प्रोफेशनल क्वालिटी के स्टूडियो और यहां तक की एआइ टूल भी हैं जो उसके कुछ विशेष लाभ हैं.

> उसका मजबूत प्लेसमेंट प्रकोष्ठ है जो हर साल ज्यादातर छात्रों को प्लेसमेंट दिलाने में सहायता करता है. छात्रों को 9.5 लाख रुपए तक की उच्चतम वार्षिक वेतन (भारत में) की पेशकश मिली है जो जनसंचार संस्थानों के बीच दूसरी सबसे ज्यादा है.

सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया ऐंड कम्युनिकेशन, पुणे के छात्र

क्या आप जानते हैं? 

अन्य मीडिया संस्थानों के विपरीत, जो केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधीन आते हैं, आईआईएमसी का संचालन केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से किया जाता है.

कैसे चुनें सही संस्थान

 > कोर्स करिकुलम: जांच कीजिए कि करिकुलम मीडिया इंडस्ट्री में नवीनतम रुझानों और इनोवेशन के साथ अपडेटेड है या नहीं और क्या उसके पास पर्याप्त प्रैक्टिकल ट्रेनिंग है?

> बुनियादी ढांचा: कंप्यूटर लैब, स्टूडियो और डिजिटल पत्रकारिता के लिए उपकरण महत्वपूर्ण हैं. साथ ही हॉस्टल और कैंपस के माहौल जैसा गैर-अकादमिक बुनियादी ढांचा भी.

> फैकल्टी: पता कीजिए कि फैकल्टी के सदस्य उद्योग में जाने-माने हैं. यह आमतौर पर किस तरह की गेस्ट फैकल्टी बुलाता है और किन्हें कितनी बार बुलाया जाता है.

> प्लेसमेंट रिकॉर्ड: प्लेसमेंट रिकॉर्ड और कोर्स की सामान्य रोजगारपरकता की समीक्षा कीजिए और यह भी देखिए कि इसमें जॉब के दौरान प्रशिक्षण के साथ-साथ इंटर्नशिप भी शामिल है या नहीं.

> एलुमनाइ: कोर्स/ संस्थान के एलुमनाइ कौन हैं? क्या वे जाने-माने और सफल पेशेवर हैं? वे कहां काम करते हैं? इन सवालों के जवाब पता कीजिए.

नए दौर के पांच कोर्स

> मीडिया बिजनेस स्टडीज में एमए: मीडिया संगठनों के कारोबारी पक्ष की ज्यादा गहरी समझ और जिस कौशल की उन्हें जरूरत है, उससे लैस है यह कोर्स.

> रणनीतिक संचार में एमए: विभिन्न मीडिया संस्थानों में रखे जाने वाले संचार प्रबंधक के कौशल सीखें जो अपनी टार्गेट ऑडियंस तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए व्यापक और सिस्टमैटिक नजरिया अपनाता है. ऐसा नजरिया जो एक तरह से उसके मिशन, विजन और लक्ष्य में मददगार है.

> डिजिटल मीडिया में पीजी डिप्लोमा: डिजिटल पत्रकारिता अब सोशल मीडिया चैनलों में छाई हुई है जहां एआइ वगैरह का इस्तेमाल किया जाता है. वेबसाइट पर स्टोरीज पब्लिश करने के अलावा प्रशिक्षण आदि में भी इसकी भूमिका है. उभरती तकनीकों और एआइ में शॉर्ट टर्म कोर्सेज भी उपलब्ध हैं. जेनरेटिव एआइ मॉडल सीखिए और जानिए कि समाचार संग्रह, फैक्ट चेकिंग, संपादन और पत्रकारिता के अन्य प्रासंगिक लक्ष्यों में कैसे उनका इस्तेमाल किया जाता है.

> संचार के लिए ड्रोन के इस्तेमाल पर लघु पाठ्यक्रम: ड्रोन का इस्तेमाल सूचनाएं जुटाने, फोटोग्राफी और फुटेज के लिए किया जाता है. उन पर पूरी पकड़ बनाने के लिए, खासतौर पर समाचार संग्रह के लिए, विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता है. यह इसी जरूरत को पूरा करता है.

> स्वास्थ्य संचार में पाठ्यक्रम: जन स्वास्थ्य और ऐसे किसी संकट को बताने के तरीकों का अध्ययन कीजिए और देश तथा दुनिया की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली से जुड़े मसलों को गहराई से सीखिए-जानिए. स्वास्थ्य संचार के लिए अनुकूल भाषा गढ़ने की कला में प्रशिक्षण लीजिए.

मास कम्युनिकेशन की डिग्री के साथ पांच अनूठे जॉब जो कोई चुन सकता है

> जेनरेटिव एआई प्रॉम्प्ट राइटर

> रणनैतिक संचार विशेषज्ञ 

> आपात संचार विशेषज्ञ

> मीडिया बिजनेस मैनेजर

> स्वास्थ्य संचार विशेषज्ञ

गुरु वाणी

''मीडिया स्टडीज के प्रैक्टिकल पहलुओं पर फोकस ही हमारा यूएसपी है, फिर चाहे वह पत्रकारिता हो या विज्ञापन या जनसंचार. हमारे छात्र क्लास रूम के बाहर भी उतना ही सीखते हैं जितना उसके भीतर. इस कारण जब वे इंडस्ट्री को ज्वाइन करते हैं तो दूसरों से बेहतर स्थिति में होते हैं.''

- अनुपमा भटनागर, महानिदेशक, आइआइएमसी

पूर्व छात्र की राय

''आईआईएमसी में मैंने तीन चीज सीखीं—संचार की एकदम बुनियादी बातें, क्वालिटी से कोई समझौता नहीं और एथिकल प्रोफेशनलिज्म. इस संस्थान ने मेरी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया.''

विवेक रंजन अग्निहोत्री, फिल्म निर्माता, बैच 1983-84

स्टोरी - अभिषेक जी. दस्तीदार

(कॉलेजों की विस्तृत रैंकिंग जानने के लिए विजिट करें)

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