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"असल लग्जरी ट्रेंड्स नहीं, टिकाऊ होती है"

तीन दशक बाद फैशन डिजाइनर जे.जे. वलाया एक ऐसे कलेक्शन के साथ वापसी कर रहे हैं जिसकी जड़ें इतिहास, स्मृतियों और उनकी प्रासंगिकता में समाई हैं.

Q+A
फैशन डिजाइनर जे.जे. वलाया.
अपडेटेड 3 सितंबर , 2025

सवाल+जवाब

अपने आने वाले डिजाइनर कपड़ों के कलेक्शन 'ईस्ट’ की क्रिएटिव प्रोसेस और प्रेरणा के बारे में जरा कुछ बताएं.

'ईस्ट’ का ताल्लुक 18वीं सदी के रोमांस से है, जब पश्चिम पूरब को रहस्य और सांस्कृतिक गहराई वाली जमीन के रूप में देखता था. मैंने बाल्कन क्षेत्र की धरोहर, सुदूर पूर्व की नफासत और हिंदुस्तान की विरासत को खंगाला है.

आपका अधिकांश काम कालातीत-सा होने के बावजूद आज के वक्त में पैवस्त है. एक ओर धरोहर की छाप, दूसरी ओर उतना ही मौजूं. दोनों के बीच कैसे संतुलन साधते हैं?

असल लग्जरी ट्रेंड्स के हिसाब से नहीं चलती, वह ठोस और टिकाऊ होती है. दुल्हनें अक्सर अपनी मांओं के पहने दशकों पुराने वलाया के परिधान लेकर आती हैं और कहती हैं कि इसी को जरा नई शक्ल दे दीजिए. क्वालिटी तो सदा-सर्वदा एक-सी बनी रहती है.

आपने 2017 में सब कुछ बंद कर देने के बारे में पहले भी बात की है. उस लम्हे ने आपकी क्रिएटिव जर्नी को किस तरह से बदला?

ब्रांड के 25 साल का जश्न मनाने के बाद मैं आत्ममंथन के लिए चला गया था. 2019 में जब हम लौटे तो एक नई स्पिरिट, नए जज्बे के साथ लौटे.

आप फोटोग्राफी और इंटीरियर्स में भी सधे हाथों के लिए जाने जाते हैं. आपके ये क्रिएटिव पहलू किस तरह से डिजाइन की आपकी जबान को प्रभावित करते हैं?

फोटोग्राफी से तो मेरी गहरी अंतरंगता है. इसके लिए मैं यात्राएं करता हूं और उसके लेंस के जरिए मैं दुनिया को, इसके टेक्सचर, किस्सों, गंध और गुप्त भावों को देखता-सोखता हूं. यह सब कुछ भीतर कहीं इकट्ठा होता रहता है और अंतत: मेरे फैशन मूड बोर्ड की शक्ल में तब्दील होकर सामने आता है. जहां तक इंटीरियर्स की बात है, चीजों के आकार, उनकी मुद्राओं के सौंदर्यबोध को लेकर मैं हमेशा से जिज्ञासु रहा हूं.

—गीतिका सचदेव

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