सवाल-जवाब
● सरजमीं में आपने दो नए कलाकारों के साथ काम किया है: एक कैमरे के पीछे (कायजे ईरानी) और एक सामने (इब्राहिम अली खान). सेट पर कैसा माहौल था?
इब्राहिम शांत किस्म के हैं. किरदार को गंभीरता से निभाने के लिए वे उसी में रम गए. और कायजे जिस गंभीरता से हर चीज संभाल रहे थे, मुझे पसंद आया. हमने लंबी बातचीत की कि फिल्म को कैसे अर्थपूर्ण बनाया जाए और इसके दृश्यों को और बेहतर कैसे बनाया जाए.
● आपको लगता है कि 1992 में आपके डेब्यू करने के समय के मुकाबले अब नए कलाकारों के लिए स्थितियां आसान हैं?
मुझे लगता है इस पीढ़ी के लिए काम आसान है, कम से कम शुरुआत में. हमें तो बस पानी में फेंक दिया गया था, तैरे नहीं तो गए. मुझे लगता है यही हमारी मजबूती भी रही है. अब वे महीनों तैयारी करते हैं—इसके लिए डायलॉग कोच हैं, पर्सनल ट्रेनर हैं और स्टाइलिस्ट हैं, जो बताते हैं कि क्या और कैसे बोलना है.
● करीब एक दशक बाद धर्मा बैनर में आपकी वापसी हुई है. सरजमीं की स्क्रिप्ट जरूर दमदार रही होगी.
बेशक. मुझे इसकी स्क्रिप्ट दमदार लगी. यह अलग-अलग परिस्थितियों से गुजरते तीन लोगों के भावनात्मक द्वंद्व को दर्शाती फिल्म है, जिसमें उन्हें खुद को ढालना और उसके साथ ही जीना है. धर्मा फिल्म्स का माहौल बहुत सहज अनुभव कराता है. पहले दिन, सभी कह रहे थे, 'वेलकम बैक, मैडम.’
● आपको तीन दशक हो गए. अभी शानदार पारी जारी है. यह कैसा जादू है? इंडस्ट्री में बदलावों के साथ कैसे तालमेल बनाया?
आपको सब धीरे-धीरे आत्मसात करना होता है. दूसरा कदम पूरी मजबूती से रखने के लिए पहले वाले को सही ढंग से जमाना होता है और इसे थोड़ा समय देना होता है. मैंने चुनिंदा काम किया. खुद पर बिनावजह दबाव नहीं डालती. हर छह महीने में रिलीज न हो, मुझे कोई दिक्कत नहीं.