मशहूर अभिनेता प्रकाश राज मौजूं राजनैतिक-सामाजिक विषयों पर बेबाक टिप्पणियों के लिए जाने जाते रहे हैं. इंडिया टुडे के संपादक सौरभ द्विवेदी के साथ बातचीत में उन्होंने नेताओं से रिश्तों, मोदी की मुखालफत, त्रिभाषा फॉर्मूला और ओटीटी के दौर समेत कई मुद्दों पर राय दी. उसी बातचीत के संपादित अंश :
● एक बच्चे के रूप में आपके पास किस तरह की यादें हैं? क्या आप बहुत शैतान बच्चे रहे हैं?
नहीं, नहीं. मैं बहुत खामोश बच्चा था. मां चिंतित थी कि यह कैसे जिएगा. उसे सिर्फ मेरी चिंता रहती थी. मेरी मां बहुत सरल आत्मा है. मुझे पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. मैंने कहा, ''मां, मेरा राष्ट्रीय पुरस्कार." बोलीं, ''हां, मैंने भगवान से प्रार्थना की थी." उसे लगता था कि यह मेरी उपलब्धि की वजह से नहीं, भगवान से उसकी प्रार्थना की बदौलत मिला था.
● आज के समय में धर्म और आध्यात्मिकता की भूमिका को कैसे देखते हैं?
दुनिया का कोई भी धर्म अगर आपको मुक्ति देता है, पवित्र बनाता है, (दूसरों के बीच) बांटना सिखाता है, तो यह सुंदर है. ऐसे सुंदर लोगों में से कुछ अपने धर्म को राजनीति के लिए इस्तेमाल करते हैं, यह मेरी समस्या है. मैं मोदी जी, पवन कल्याण, योगी आदित्यनाथ, अमित शाह के खिलाफ बोलता हूं, इससे मैं हिंदू विरोधी नहीं बन जाता. मैं उनसे कह रहा हूं कि शासन करो, यह क्या नाटक बना रहे हो. धर्म ने खुद को बचा लिया है. तुमने नहीं बचाया.
● क्या भाजपा में आपके कोई दोस्त हैं?
बहुत से विधायक, सांसद मेरे दोस्त हैं, वे कहते हैं, ''मुझे गाली मत दो." अब अगर आप बीजेपी के सांसदों और विधायकों को देखें, तो ज्यादातर असल में बीजेपी के नहीं हैं. नेताओं में विचारधारा है कहां? वहां घोटाला कर रहा है तो इस पार्टी में आ गया, घोटाला साफ. कांग्रेस में भी ऐसा ही है. सभी राजनैतिक पार्टियां हमें मूर्ख बना रही हैं.
● आपने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का समर्थन किया...
हां, मैं समर्थन करूंगा. मैं येदियुरप्पा के साथ था. जब उन्होंने शुरुआत की, तब वे एक महान नेता थे. उन्होंने बहुत कुछ किया. आपको उन्हें उसका श्रेय देना चाहिए. लेकिन बाद में वे बीजेपी का हिस्सा बन गए, सत्ता का खेल आ गया. मैं सिद्धरामैया के साथ रहूंगा, केजरीवाल के साथ रहूंगा. मैं उनके घर गया हूं, खाना खाया है. मैं केसीआर के साथ हूं, इस देश के नागरिक के रूप में, कलाकार के रूप में. मैं सब से मिल सकता हूं. पिनाराई सर के साथ मंच पर बैठा हूं. स्टालिन सर को जानता हूं. मैं किसी के कितना भी करीब रहूं लेकिन मैं किसी राजनैतिक पार्टी से नहीं, मैं एक नागरिक हूं. आतिशी एक अच्छी इंसान हैं इसलिए, उनका समर्थन किया था.
● तो क्या भविष्य में भी आप उनका समर्थन करेंगे?
नहीं, इस बार मैंने उन्हें मना कर दिया. मैंने कहा, क्या नाटक कर रहा है यार? आप लड़ रहे हैं. कांग्रेस लड़ रही है. क्या हो रहा है? आप हमें हल्के में ले रहे हैं. आप एक क्षेत्रीय पार्टी थे. आप दिल्ली में थे. मैं खुश था. आप पंजाब में जाना चाहते हैं. कर्नाटक में आना चाहते हैं. आप हर जगह शुरू करना चाहते हैं. आप दूसरा मोदी बनना चाहते हैं?
आप दूसरे राहुल गांधी बनना चाहते हैं? आप राष्ट्रीय पार्टी क्यों हैं? यह देश संघीय है. इस देश में हर राज्य का प्रतिनिधित्व होना चाहिए. हमें इसे इसी तरह देखना होगा. केजरीवाल अगर बहुत शक्तिशाली हो जाते हैं तो वे तमिलनाडु के कोने की समस्या तय करेंगे. यह देश ऐसा नहीं है. यह देश संघीय हितों का है. मैं किसी भी राष्ट्रीय पार्टी के साथ सहज नहीं. वे कहते हैं केंद्रीय शासन. केंद्रीय शासन गलत है. हमारा संविधान इसकी अनुमति नहीं देता. यह सरकारों का संघ है. यह एक संघ है.
● (लोकसभा की सीटों के) परिसीमन के मुद्दे पर आप क्या सोचते हैं?
आप इससे बच नहीं सकते. हमारे पास 542 सांसद हैं. जनसंख्या के हिसाब से लगभग 12 या 13 लाख प्रति सांसद. अब जनसंख्या बढ़ गई है तो हमें और सांसद चाहिए. इसे 25 साल तक टाला गया. अब यह आ गया है. बीच में क्या हुआ? दक्षिण ने जनसंख्या नियंत्रण बेहतर किया, उत्तर ने बेहतर नहीं किया. अब अगर आप इसके हिसाब से सांसद बनाते हैं तो अभी संसद में दक्षिण का लगभग 23% का प्रतिनिधित्व 17% तक आ जाएगा. यह कैसा न्याय है? इसके बारे में फिर से सोचना होगा. इसे 10 साल के लिए टालें.
● तीन भाषा फॉर्मूले के बारे में क्या मानना है?
तीन भाषा फॉर्मूला क्यों? मुझे समझ नहीं आता. देखिए, हिंदी राष्ट्रीय भाषा नहीं, एक आधिकारिक भाषा है. उन्होंने इसे राष्ट्रीय भाषा बनाने की कोशिश की. यह संभव नहीं. संसद में इसके लिए लड़ाइयां हुई हैं. हमें बच्चों को आज क्या सिखाना है? भाषा? अगर वे चाहें तो सीख लेंगे. मातृभाषाओं को बचाना जरूरी है. अंग्रेज आए. उन्हें पता था जिस भाषा को आप बोलते हैं, वैसे ही बन जाते हैं. उन्हें भाषा की राजनीति पता थी.
अभी तक हम उससे बाहर नहीं निकल पाए हैं. आपने आजादी के बाद हिंदी को लाना चाहा (जिसे) सिर्फ 40% लोग बोलते हैं. आप 60% को नजरअंदाज नहीं कर सकते. नहीं, आप क्यों जोर दे रहे हैं? पांच रेस्तरां खुले हैं, आप कहीं भी खा सकते हैं, लेकिन चार पर ताला लगा देते हैं. मैं हिंदी बोल रहा हूं क्योंकि मुझे जरूरत है. जरूरी समझूंगा तो सीख लूंगा. आप थोप क्यों रहे हैं?
अगर हम तीन भाषाएं नहीं लाएंगे तो आप फंड क्यों नहीं देंगे? बिहार में क्या तीन भाषा नीति है? गुजरात में है? उत्तरी राज्यों में है? सिर्फ दक्षिणी राज्यों में ही तीन भाषा नीति क्यों? और यह राज्य का विषय है. अब जैसे खेती है, असम का किसान जो पहाड़ों पर करता है, उसके मुद्दे अलग हैं. नदी के किनारे खेती करने वाले किसान के मुद्दे अलग. तेलंगाना, जो साल में एक बारिश देखता है, वह अलग है. इसे राज्य का विषय बनाइए. स्वास्थ्य एक राज्य का विषय है. अलग-अलग इलाके, अलग खाना, अलग संस्कृति, अलग भाषाएं. आप राज्यों को उनकी अहमियत क्यों नहीं देते?
● बहुत-से लोग कहते हैं कि प्रकाश राज, मोदी शासन के बाद ही मुखर हुए हैं. पहले सब ठीक चल रहा था?
नेहरू जब मरे, मैं पैदा भी नहीं हुआ था. मैं क्या करूं? कहां तक खोद के जाऊं? आज एक मस्जिद को खोदो, तो मंदिर मिलेगा. मंदिर को खोदो, तो बुद्ध मिल सकता है. कहां तक खोदेंगे भाई? टीपू सुल्तान से, औरंगजेब से मेरा क्या लेना-देना! हां, शायद मैं देर से उठा. मेरे सवाल से समस्या है. मैं सवाल कर रहा हूं, यह समस्या है.
● दक्षिणपंथी आपको अर्बन नक्सल का तमगा देते हैं.
देने दो. उनके पास और काम क्या है? ईडी छापा प्रकाश राज पर. 100 करोड़ का घोटाला. क्या हुआ? साढ़े तेरह घंटे मैं बैठा. पकड़ो, क्या है? मुझ पर कीचड़ फेंकने में उन्हें दो मिनट लगते हैं. मुझे दो दिन लगते हैं. पर मैं तैयार हूं. आ जाओ, बैठो भाई. ले लो आयकर के, संपत्ति के कागज. नहीं, कुछ भी नहीं. बस आरोप लगाना है.
● जब आप (1996 में) इरुवर कर रहे थे, तब राजनीति के बारे में आपकी क्या राय थी? उसमें तो आप एक राजनेता की भूमिका निभा रहे थे.
वह दो दोस्तों की कहानी एमजीआर और करुणानिधि पर आधारित थी. मैं कर्नाटक से आता हूं. मुझे उस वक्त शुद्ध तमिल साहित्य नहीं आता था. करुणानिधि (का किरदार निभाया) जी की ऊंचाई मेरे जैसी नहीं थी. उनकी भाषा शुद्ध तमिल थी. 30 साल की उम्र में मुझे 25 से 70 साल तक के किरदार को निभाना था.
एक अभिनेता वह (सब) कर रहा था. फिर आप अध्ययन करते हैं, कविता लेते हैं, तमिल लेखकों, कवियों के साथ बैठते हैं. यह लफ्ज कैसे बोलना है. आप उनकी राजनीति देखते हैं. मैं उसी वक्त सीख रहा था. तमिल भी उतनी शुद्ध नहीं आती थी. मुझे डबिंग करनी होती थी. सीखना, अभ्यास करना पड़ता था.
● और जब आपने हिंदी फिल्में शुरू कीं, पहली फिल्म थी खाकी.
मैंने उसमें एक छोटा सा रोल किया था. फिर वॉन्टेड की. कुछ फिल्में नहीं आईं. वॉन्टेड के बाद आप मुझे ज्यादा फिल्मों में नहीं देखेंगे. सिंघम की जो मैंने तमिल में की थी, उसके बाद जब मैंने हिंदी की, तब ऑफर्स आने लगे. जयकांत शिकरे (जैसा किरदार). राजनीति भी थी उसमें. राजनीति तो हर जगह है. आपको मुंबई में रहना पड़ता है. आपके अच्छे कॉन्टैक्ट्स होने चाहिए. पर मैं अपने फार्म में रहता हूं. मेरी दुनिया अलग है. शायद मैं इस देश का इकलौता ऐक्टर हूं, या कुछ गिने-चुने होंगे, जिनका कोई मैनेजर नहीं. कहानी मैं खुद सुनता हूं. मेरा पैसा मैं देखता हूं. मेरी डेट्स मैं देता हूं.
● क्या आपको ये दिलचस्प लगता है कि हम लोग जिनकी पहली भाषा हिंदी है लेकिन अब ओटीटी और टेक्नोलॉजी के कारण अच्छा सिनेमा देख पा रहे हैं. भाषा रुकावट नहीं. हम मलयालम फिल्में देख रहे हैं.
देख रहे हैं क्योंकि लोगों को समस्या नहीं. ओटीटी पर 15 घंटे की फिल्म, इतनी सारी कहानियां आ रही हैं. समय बदल रहा है. आपने पहले लोगों को विकल्प ही नहीं दिया. विकल्प मिल जाए तो सबटाइटल्स काफी हैं. अब अगर कंटेंट नहीं दिया तो आपकी फिल्में नहीं चलेंगी.