● आपने बैडमिंटन-एक्सएल लीग में खेलने का फैसला क्यों किया?
पहले तो इसीलिए कि यह जकार्ता में हो रही थी, जहां बैडमिंटन स्टेडियम खचाखच भरे होते हैं और फैंस भी कमाल के हैं. इसके अलावा, इस लीग का फॉर्मेट अनूठा है और विमेंस डबल्स इसमें शामिल है. पर सबसे अहम वजह यह थी कि इसमें दुनिया के बेस्ट प्लेयर्स के साथ खेलने का मौका मिल रहा था.
● 3 बनाम 3 के फॉर्मेट में क्या चुनौतियां थीं क्योंकि उसके हर क्वार्टर में 10 मिनट का टाइमर लगा हुआ था?
इससे पहले हम 3 बनाम 3 मैच प्रैक्टिस सेशंस में और वह भी मजे के लिए खेलते आए थे. 10 मिनट वाले टाइमर ने चुनौती को एक सीढ़ी और बढ़ा दिया. आपको उसके लिए सुव्यवस्थित रणनीति बनानी होती थी क्योंकि सेट का समापन किसी एक तयशुदा स्कोर पर नहीं होता था. इसका स्टाइल तेज और बहुत कुछ शुरू के पॉइंट्स पर ही निर्भर था. अच्छा स्टार्ट पाने वाले को बढ़त मिल जाती थी.
● बैडमिंटन को पॉपुलर बनाने में इस टूर्नामेंट की क्या भूमिका रहने वाली है?
यह बड़ा ही मजेदार था, खासकर इसलिए क्योंकि विभिन्न देशों के तमाम बेस्ट प्लेयर्स एक ही टीम में खेल रहे थे. बैडमिंटन के मुरीदों के लिए ओलंपिक मेडलिस्ट्स को कोर्ट पर खासकर 3 बनाम 3 वाले मैचों में रिलैक्स अंदाज में देखना दिलचस्प अनुभव था. हर किसी के प्रतिस्पर्धी होने के बावजूद हर टीम में भिन्न-भिन्न खिलाड़ियों की मौजूदगी ने इसे देखना दिलचस्प अनुभव बना दिया.
● पेरिस ओलंपिक के बाद ब्रेक के दौरान आपकी किस तरह की मसरूफियत रही? उससे आगे के टूर्नामेंट्स के लिए अपने को तैयार करने में किस तरह से मदद मिली?
आगे के कुछ दिनों में मुझे सैयद मोदी इंटरनेशनल और चंद दूसरे टूर्नामेंट्स खेलने हैं. पेरिस-2024 ओलंपिक के बाद मैंने खेल से कुछ दिनों के लिए अवकाश ले लिया था. मकसद यही था कि खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से थोड़ा आराम दिया जाए.
—शैल देसाई.