● बिहार में टेक्सटाइल और लेदर इंडस्ट्री को लेकर जो शुरुआती काम दिख रहे हैं, उसे सरकार कहां तक ले जाना चाहती है?
लोगों के मन में अवधारणा थी कि बिहार में अच्छी चीजें हो नहीं सकतीं. ऐसी भ्रांतियां अब टूट रही हैं. टेक्सटाइल सेक्टर में तो बिहार के लिए बहुत अधिक संभावनाएं हैं. बिहार के ही लोग देश के अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे हैं. कोविड ने इन कंपनियों को बिहार की संभावनाओं का रियलाइजेशन करा दिया, इसलिए अब वे बिहार आने को तैयार हैं. बिहार अब टेक्सटाइल हब बनने की राह में है.
● सरकार कंपनियों को भारी सब्सिडी दे रही है. यह कब तक जारी रहेगी?
आज बिहार को एडवांटेज है. लोकेशन, कनेक्टिविटी और लेबर की वजह से हमें कंपनियां पसंद कर रही हैं. हमने अच्छी पॉलिसी इसी वजह से बनाई है कि निवेशक अलग-अलग राज्यों की पालिसी कंपेयर करता है. इसमें भी हमारा अपर हैंड है. टेक्सटाइल मीट में भी कंपनियों ने इसकी सराहना की. अभी केंद्रीय बजट में भी भारत सरकार ने बिहार की प्लग ऐंड प्ले पॉलिसी को अपनाया है.
सबसे अच्छी बात यह है कि जो हमारी पॉलिसी में है, वह हम दे रहे हैं. हम हर क्वार्टर में कंपनियों को सब्सिडी का लाभ देते हैं. अब हम एक्सपोर्ट के लिए भी सब्सिडी देने लगे हैं. आने वाले समय में बिहार के लोगों को बहुत बड़ा अवसर मिलेगा. खेती के बाद यही सेक्टर है, जिसमें सबसे ज्यादा रोजगार है. इसमें कम निवेश में ज्यादा रोजगार मिल रहा है.
● टेक्सटाइल मीट में किस-किस कंपनी ने निवेश का भरोसा दिया है?
हाई स्पिरिट के अलावा वी-टू भी यहां काम कर रही है. आने वाले समय में पर्ल ग्लोबल भी कारोबार शुरू करने की तैयारी में है. टेक्सटाइल मीट में तिरुपुर की कंपनियां भी आई थीं. वे भी यहां काम शुरू कर सकती हैं. उन्हें हमने कहा है, हम स्थानीय उत्पादों को सरकारी खरीद में प्राथमिकता देंगे.
● इस सेक्टर में महिलाओं को काफी रोजगार मिल रहा है, रिवर्स माइग्रेशन भी होता नजर आ रहा है.
देश में हर जगह महिला कार्यबल का प्रतिशत कम रहता है. बिहार में और भी कम है. अगर अर्थव्यवस्था को बढ़ाना है तो इस वर्कफोर्स को आगे बढ़ाना होगा. इस सेक्टर में महिलाओं का रुझान ज्यादा है. अगर अपने गांव में महिलाएं 10,000-15,000 रु. कमा रही हैं तो इससे परिवार की अर्थव्यवस्था बेहतर होती है. जीविका की वजह से भी महिलाओं को जोड़ना आसान हो रहा है.
निवेशक भी महिला स्टाफ को पसंद करते हैं. वहीं प्रशिक्षित लोगों को अपने घर के पास काम मिल रहा है, इसलिए वे लौट रहे हैं. बाहर वे जितना कमाते हैं, उनके रहने-खाने में ही खर्च हो जाता है, बचत कम होती है. यहां काम मिलेगा तो उनकी बचत भी बढ़ेगी. हम एक दिन में तो परिवर्तन नहीं ला सकते, मगर कोशिश कर रहे हैं.
● क्या बिहार बांग्लादेश की तरह टेक्सटाइल हब बनने की तैयारी में है?
इन दिनों बांग्लादेश की काफी चर्चा हो रही है. वह बड़ा केंद्र बन गया है. बिहार भी ऐसा काम कर सकता है. इस बार आम बजट में पूर्वी भारत पर विशेष जोर है. इसमें भी बिहार की संभावना ज्यादा है. हम फूड प्रोसेसिंग और टेक्सटाइल में अच्छा काम कर सकते हैं.
● हालांकि सब अच्छा नहीं है. पूर्वी चंपारण की 22 यूनिट में दिक्कतें हैं.
हमने उनकी परेशानियों का गंभीरता से अध्ययन किया है. हमारे पास शिकायतें भी आई हैं. हम उसे दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. विभाग के अधिकारियों को भी निर्देश दिए हैं. बिजली का मसला जरूर है. उसके लिए हम ऊर्जा विभाग के साथ बैठकें कर रहे हैं. हम लोग सजग हैं. थोड़ी बहुत कठिनाइयां हो सकती हैं. लेकिन एक बड़े उद्देश्य को लेकर हम लोग आगे बढ़ रहे हैं. तो विश्वास है कि एक बार हमारा ईकोसिस्टम बन जाने के बाद ये दिक्कतें भी ठीक हो जाएंगी.
मेरी अपील है कि कहीं कोई स्पेसिफिक कठिनाई है तो हमें बताएं, जिला उद्योग केंद्र में भी बताएं. हम बिहार में 101 अनुमंडल में एक ऐसा पॉइंट बनाने की तैयारी कर रहे हैं कि उद्यमी वहां अपनी परेशानी बताएं और उसे दूर करने की दिशा में काम शुरू हो.

