● सत्रह साल की उम्र में आप कैंडीडेट्स चैंपियन और इसके अलावा विश्व चैंपियनशिप के दावेदार बन गए हैं, इस सचाई के प्रति अब जाकर थोड़ा सहज हो पाए हैं कि नहीं?
नतीजा आने के बाद मुझे सुकून मिला, मैं बेहद खुश था. उपलब्धि कितनी बड़ी है, इसे पूरी तरह से अब भी जज्ब नहीं कर पाया हूं. पर चीजें जिस तरह से हुईं, उसे सोचकर रोमांचित हूं. अब मेरी नजर वर्ल्ड चैंपियनशिप पर है.
● टोरंटो रवाना होने से पहले आप और दूसरे खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद के यहां एक खास डिनर पर मिले थे. क्या इससे कैंडीडेट्स टूर्नामेंट के लिए सही फ्रेम ऑफ माइंड हासिल करने में मदद मिली?
विशी सर तो बहुत बड़े मददगार साबित हुए हैं. उस मुलाकात में तो बहुत मजा आया था. हमने बहुत-सी चीजें डिस्कस कीं, मजे किए और कुछ बाजियां भी खेल डालीं. विशी सर ने कैंडीडेट्स टूर्नामेंट के अपने अनुभव पर कुछ विचार साझा किए. उससे मुझे चीजों को सही संदर्भ में समझने में मदद मिली.
● टूर्नामेंट से पहले मैग्नस कार्लसन ने कहा था कि अगर "गुकेश, प्रज्ञानंद, विदित या अबासोव" जीते तो उन्हें हैरत होगी. इस तरह के हो-हल्ले का आपके ऊपर कोई असर पड़ा?
कैंडीडेट्स के दो-एक दिन पहले ही मैंने इसके बारे में सुना. और सच कहूं तो इस तरह के बयानों की मैंने रत्ती भर भी परवाह नहीं की. मेरे ख्याल से उन्होंने ईमानदारी से अपनी राय रखी थी क्योंकि जाहिर है, मैं प्रबल दावेदारों में से नहीं था. अच्छे-खासे अनुभवी खिलाड़ी वहां मौजूद थे. पर मन में कहीं गहरे मुझे पता था कि अगर मैं खुद को शांत और एकाग्र रख सका तो जीतने की पूरी संभावना है.
● किस लम्हे में आपको यह लग गया कि अब आप कैंडीडेट्स जीत सकते हैं?
मजाक लगेगा, पर सातवीं बाजी की हार वह लम्हा थी. गेम के बाद जाहिर है मैं अपसेट था. पर उसके बाद मेरे पास एक दिन का रेस्ट था. सोकर उठा तो मैं पूरी तरह से तरोताजा था. ऊर्जा और सकारात्मकता से भरपूर. शायद उस दर्दनाक हार ने ही मुझे वह अतिरिक्त ऊर्जा और प्रेरणा देने का काम किया. मैं पूरे जोश में था और बस यही सोच रहा था कि अगर मैं ठीक से खेलता गया तो यह टूर्नामेंट जीतने के मेरे पूरे के पूरे चांस हैं.
- सिद्धार्थ विश्वनाथन.