• 2011 के वर्ल्ड कप में टीम में होने के बावजूद आप नहीं खेल पाए थे.
कोहनी में चोट थी, हड्डी बढ़ गई थी. कई खिलाड़ी बड़े टूर्नामेंट के लिए चोट छिपा लेते हैं. मैंने भी यही सोचा. मैं नेशनल क्रिकेट एकेडमी चला गया. डायरेक्टर संदीप पाटील और फीजियो आशीष कौशिक ने समझाया. मैंने गेंद फेंकने की कोशिश की पर हो नहीं पाया. घर आ गया. इसके बाद ही मेरी जगह श्रीसंत आया, उसका डेब्यू हुआ.
• इंडियन टीम के लिए पहली बार कॉल कब आया? आपका रिएक्शन...
हम अहमदाबाद में चैलेंजर्स ट्रॉफी में थे. उस दिन पांच विकेट लिए थे. एअरपोर्ट के रास्ते में पता लगा. तो मेरा रिएक्शन यही था कि ठीक है. फिर 18 नवंबर को जयपुर में पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू हुआ तो धोनी भाई ने पहली बार हाथ में बॉल दी कि वहां से डालनी है, तब भी मेरा रिएक्शन यही था कि ओके. मैं बहुत उत्साहित नहीं होता.
• महेंद्र सिंह धोनी कैसे व्यक्ति हैं? बात-मुलाकात होती है?
कमाल के इंसान हैं धोनी भाई. सभी जानते हैं कि उनका दिमाग कंप्यूटर की तरह चलता है. बहुत सीधे आदमी हैं. अभी भी साल-दो साल में एकाध बार बात हो जाती है घुमा-फिराकर. घुमा-फिराकर इसलिए क्योंकि वे फोन नहीं रखते. रखते भी हैं तो कई-कई दिनों तक चेक नहीं करते. कहीं से मैसेज देना पड़ता है कि भैया को एक बार प्रणाम कर लें.
• (2018 में) रिटायरमेंट के बाद कभी कोच बनने का ऑफर नहीं मिला?
नहीं, क्योंकि कोच बनने के लिए यसमैन बनना पड़ता है, जो बनबाता है उसकी जी-हुजूरी करनी पड़ती है. और मैं जी-हुजूरी जरा-सी भी नहीं कर सकता. होता है ना कि यार प्लीज देख लेना, मेरा कुछ हो जाए तो. ये मेरे से नहीं होता. मेरा तो सीधा फंडा है कि तुझे रखना है तो रख. मुझसे चापलूसी नहीं होती.
• इंडियन टीम में पहुंचने पर किसी प्लेयर ने कहा कि प्रवीण, ये आदत सुधार ले, आगे जाएगा?
कहा ना. सीनियर्स ने समझाया कि ड्रिंक नहीं करनी पर करते सब हैं. सीनियर्स भी. पर बदनाम कर देते हैं कि प्रवीण तो शराब पीता है. हमाम में सब नंगे हैं, पर बस बदनाम करना था पीके को. मैं उस खिलाड़ी का नाम नहीं लेना चाहता लेकिन उसको पता है कि मैं उसकी बात कर रहा हूं. कहते कि पीके ड्रिंक करके लड़ता है. ये सब गलतफहमी है लोगों में. जो मुझे जानते हैं उन्हें पता है कि पीके कैसा है. बस इमेज बिगाड़ दी.