● 2014 में तेलंगाना बनने के बाद से राज्य में यह तीसरा चुनाव है. आपकी पार्टी ने 2014 के साथ-साथ 2018 में भी जीत हासिल की. क्या आप हैट्रिक के प्रति आश्वस्त हैं?
निश्चित तौर पर. मेरा आकलन तो यही कहता है कि मेरी पार्टी 2018 से अधिक सीटें जीतेगी. हम 119 सदस्यीय विधानसभा में मौजूदा 88 से बढ़कर 95 से 100 तक का आंकड़ा छूएंगे.
● आपके दावे की वजह?
एक नजर बेंचमार्क पर डालें. किसी भी राज्य के लिए नंबर-1 का बेंचमार्क प्रति व्यक्ति आय है. तेलंगाना में मौजूदा समय में प्रति व्यक्ति आय 3.12 लाख रुपए है. गोवा जैसे छोटे राज्यों को छोड़ दें तो हम पहले नंबर पर हैं. 2014 में जब इसका गठन हुआ था तब तेलंगाना 18वें स्थान पर था, हमारी प्रति व्यक्ति आय लगभग 1 लाख रुपए थी. अब, यह तीन गुना है.
● अन्य मानक क्या हैं?
दूसरा है प्रति व्यक्ति बिजली उपयोग. 2014 में यह केवल 1,100 यूनिट थी. अब, बढ़कर 2,200 यूनिट यानी करीब दोगुनी हो गई है. ऊर्जा का उपभोग सीधे तौर पर विकास से जुड़ा है. तीसरा, बेरोजगारी में कमी आई है. जब राज्य बना तो यह 14-15 फीसद से काफी ऊपर थी; अब 5 फीसद से नीचे है. ये केंद्र सरकार के आंकड़े हैं.
जब राज्य बना तो पलायन एक समस्या थी. अब, मैं गर्व से कह सकता हूं कि स्थिति उलट गई है. तेलंगाना में एक दर्जन से अधिक राज्यों से मजदूर काम करने आ रहे हैं और अनुमान है कि उनकी संख्या 25 लाख से अधिक है. गठन के बाद से हमारा जीएसडीपी तीन गुना बढ़ा है.
● जनमत सर्वेक्षण गंभीर सत्ता विरोधी लहर के संकेत दे रहे हैं.
मैं स्पष्ट कर दूं, तेलंगाना में सत्ता समर्थक लहर है. उसी तरह जैसे श्री ज्योति बसु और श्री नवीन पटनायक ने शासन किया और लगातार कई कार्यकाल तक जीत हासिल करते रहे.
● विपक्ष का दावा है कि आपके विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है, क्योंकि कथित तौर पर वे काफी भ्रष्ट हैं और उन्होंने अच्छा प्रदर्शन भी नहीं किया है.
उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का एक भी मामला नहीं है. इस वजह से किसी मंत्री को बाहर नहीं किया गया है. पिछले 10 साल में कोई विकेट नहीं गिरा. भूमि कब्जाने के मामले शून्य हैं, धन-वसूली शून्य है. अगर यह एक भ्रष्ट राज्य है तो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेशक तेलंगाना की ओर कैसे खिंचे चले आ रहे हैं?
● आरोप है कि आपकी प्रमुख योजनाओं में से एक 2-बीएचके हाउसिंग को लागू नहीं किया गया. आवंटन में भ्रष्टाचार हुआ, खासकर आपके विधायकों की तरफ से.
हमारी योजनाओं की नीति है कि विधायकों को कोई प्राथमिकता नहीं दी जाएगी. और यह कि हम लॉटरी निकालेंगे और जनता खुद विजेताओं को चुनेगी. हमने तीन लाख लोगों से वादा किया और बनाया और उन तक पहुंचाया. लोग खुश हैं.
● विपक्षी दलों का आरोप है कि कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना के मेदिगड्डा बैराज के घाट हाल में खराब निगरानी और भ्रष्टाचार के कारण ढह गए.
कालेश्वरम दुनिया की सबसे बड़ी बहुस्तरीय सिंचाई योजना है. सैकड़ों खंबे हैं और ढहा केवल एक. मुझे तो संदेह है कि इसके पीछे कुछ साजिश है और मैंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. निर्माण एलएंडटी की तरफ से किया गया था और जो भी खामी रही, वे अपनी लागत पर उसमें सुधार करेंगे. ताकि सरकारी खजाने को कोई नुक्सान न हो. कांग्रेस का यह आरोप लगाना मूर्खतापूर्ण है कि केसीआर ने एक लाख करोड़ रुपए लिए, जबकि पूरी परियोजना की लागत ही 80,000 करोड़ रुपए है.
● आप पर अपने बेटे, बेटी, भतीजे और अन्य रिश्तेदारों को आगे बढ़ाकर वंशवाद की राजनीति करने का आरोप है?
सच तो यह है कि मेरा पूरा परिवार तेलंगाना आंदोलन में शामिल था. मेरे बेटे और मेरी बेटी दोनों ने इसके लिए काफी संघर्ष किया. वे अमेरिका में पढ़े-लिखे थे, वहीं काम भी करते थे और अच्छा जीवन जी रहे थे. लेकिन वे वापस आए और आंदोलन में शामिल हुए. जेल भी गए और उसके बाद लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए. यह वंशवाद की बात कोरी बकवास है.
● कांग्रेस आपको भाजपा की बी-टीम कहती है. उसका कहना है कि यही वजह है कि ईडी ने आपकी बेटी के. कविता के खिलाफ मामलों में चुप्पी साध ली है.
यह एक जटिल मामला है और सौ फीसद प्रतिशोध की कार्रवाई है. हम इसे अदालत में लड़ेंगे. यह दिल्ली की शराब नीति है, जो कुछ हुआ खुले तौर पर किया गया था, यह सबके लिए खुली थी. उन्होंने राज्य की अधिक आय के लिए नीति में बदलाव किया. इसमें घोटाला कहां है? यह पूरा मामला (अरविंद) केजरीवाल और मेरी बेटी के खिलाफ बनाया गया है. भाजपा के साथ हमारा कोई रिश्ता नहीं. मैं राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का विस्तार कर रहा हूं.
● कांग्रेस कहती है कि केसीआर ने सोनिया गांधी को धोखा दिया क्योंकि आपने कहा था कि तेलंगाना बनाने पर सहमत हो गए तो आप अपनी पार्टी का उसमें विलय कर देंगे.
दरअसल, धोखा तो हमें सोनिया गांधी ने दिया. यह एक लंबी प्रक्रिया थी और उस समय मैं यूपीए के साथ था. लेकिन 2004 में पहले कार्यकाल के लिए सत्ता हासिल होने के बाद वे राज्य गठन के अपने वादे से पीछे हट गए. फिर, 2010 में मैंने भूख हड़ताल की तो यूपीए सहमत हो गया.
तब तक, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री (वाई.एस.) राजशेखर रेड्डी का एक हादसे में निधन हो गया और उनके बेटे (अब मुख्यमंत्री जगनमोहन) कांग्रेस के खिलाफ बगावत पर उतर आए थे. उन्हें लगा कि तेलंगाना भी इसी राह पर चल देगा, इसलिए उन्होंने इरादा बदल लिया. बड़ी मशक्कत से फरवरी 2014 में लोकसभा में यह विधेयक पास हुआ, जब यूपीए की सरकार थी.
● फिर क्या हुआ?
इसके बाद मैं श्रीमती गांधी से मिला और उनसे कहा—धन्यवाद, देर आए लेकिन दुरुस्त आए. उन्होंने चुनाव के बारे में पूछा और मैंने उनसे कहा कि अगर वे मेरी पार्टी को विधायकों के लिए और अधिक टिकट और नेतृत्व दें तो हम पार्टी के विलय को तैयार हैं. उन्होंने इस पर सहमति जताई और कहा कि अपनी पार्टी के साथ इस पर चर्चा करेंगी. लेकिन अगले ही दिन मेरे पास दिग्विजय सिंह का फोन आया और बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि सीटों का बंटवारा कांग्रेस के मानदंडों के अनुरूप होगा और राज्य में नेतृत्व का फैसला चुनाव बाद किया जाएगा.
वे चाहते थे कि हम दूसरे दर्जे की भूमिका में रहें. इसके बाद मेरी पार्टी ने एक सर्वे कराया, जिसमें पता चला कि हम 50 से अधिक सीटें जीत सकते हैं. जाहिर था कि हम बहुमत हासिल कर लेंगे. सौभाग्य से, लोगों ने हमें पूर्ण जनादेश दिया और हम सत्ता में आ गए. तो, इसमें हमारी तरफ से कांग्रेस को धोखा देने का सवाल कहां उठता है?
● प्रधानमंत्री ने हाल में निजामाबाद में एक चुनावी सभा में दावा किया था कि आपने 2021 में एनडीए में शामिल होने के लिए उनसे संपर्क किया था. क्या यह सच है?
अगर वे मनगढ़ंत कहानियां बनाते हैं तो इसमें मैं क्या कर सकता हूं? सच तो यह है कि मैं मुख्यमंत्री हूं और वे प्रधानमंत्री हैं. मेरे लिए राज्य-केंद्र के बीच न्यूनतम संबंध बनाए रखना जरूरी है. उन्होंने मुझसे यह कहने की कोशिश की कि मुझे (एनडीए में) शामिल हो जाना चाहिए.
मैंने कहा, पहले आप राज्य के लिए कुछ अच्छा करें, फिर शायद ऐसा संभव हो पाए. लेकिन, वे तेलंगाना के लिए कुछ अच्छा नहीं कर रहे हैं. मोदी प्रधानमंत्री न होते तो राज्य की प्रति व्यक्ति आय बढ़कर चार लाख रुपए हो जाती. वे कई चीजें रोक रहे हैं.
● मोदी ने यह भी कहा कि आपने राज्य में अपने बेटे की सफलता के लिए उनका आशीर्वाद मांगा है.
निजी बातचीत में यह कहूं कि जब मैं 70 साल का हो जाऊंगा, तो सेवानिवृत्त होने पर सोच सकता हूं क्योंकि राजनीति में 50 साल बिता चुका हूं तो क्या आपको इसे सार्वजनिक करना चाहिए? फिर, उन्होंने केटीआर (बेटे) के बारे में पूछा. मैंने उनसे कहा कि आप प्रधानमंत्री हैं, इसलिए उसे अपना आशीर्वाद जरूर दें. क्या प्रधानमंत्री के लिए ऐसी निजी बातचीत का खुलासा करना उचित है?
● आरएसएस और भाजपा हिंदुत्व का प्रचार करते हैं. आपका धर्म क्या है?
मैं कट्टर हिंदू हूं, खुलेआम यज्ञ करता हूं. मेरा दृष्टिकोण है—हिंदू बनो, लेकिन हिंदू धर्म को राजनीति में मत लाओ. अगर आप इसे राजनैतिक रूप से भुनाने के लिए बाजार में ले जाते हैं तो आप धर्म का अपमान कर रहे हैं.
● आपके बारे में कहा जाता है कि आपकी नेतृत्व शैली बहुत केंद्रीकृत है. क्या यह सही है?
यह मेरे लिए बहुत सही है क्योंकि, यकीनन सभी पहलुओं में केंद्रीकरण की जरूरत नहीं है. यह सही है कि सभी प्रमुख मुद्दों पर केसीआर फैसला करते हैं, क्योंकि तेलंगाना के संस्थापक के रूप में, मैं राज्य की जरूरतों को जानता हूं. कुछ लोगों को यह पसंद न आए. लेकिन किसी भी फैसले से पहले कैबिनेट के साथ मेरी बहुत लंबी चर्चा होती है.
● राज्य में कानून एवं व्यवस्था सुनिश्चित करने के प्रति आपका नजरिया क्या है?
मेरी सरकार की नीति अल्पसंख्यकों सहित हर वर्ग को खुश रखने की है. उन्हें सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ समान रूप से मिलना चाहिए. हिंदू, मुस्लिम और ईसाइयों को अलग-अलग समझना बेमानी है. वे सभी हमारी राजनीति का हिस्सा हैं. मुसलमानों को मुसलमान होने का खामियाजा क्यों भुगतना चाहिए?
● उत्तर प्रदेश के सीएम ने कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए बुलडोजर और मुठभेड़ों का इस्तेमाल किया. आपका क्या मानना है?
लोकतंत्र में लोगों को देखते ही गोली मार देना वांछनीय नहीं है. बुलडोजर चलाना और मकान गिराना हमारा काम नहीं है. मैं इस दृष्टिकोण का पुरजोर विरोध करता हूं. एक कानून-व्यवस्था विभाग है, न्यायपालिका है और यह उनका काम है.
● आपने नए राज्य में निजी उद्योग को कैसे बढ़ाया?
मैंने पूर्व मुख्य सचिव प्रदीप चंद्रा जैसे विशेषज्ञों की सलाह ली और उनकी मदद से न केवल भारतीय राज्यों बल्कि दुनिया भर की औद्योगिक नीतियों का अध्ययन किया. हमने टीएस-आईपास (तेलंगाना राज्य औद्योगिक परियोजना अनुमोदन और स्व-प्रमाणन योजना) नामक एक अद्भुत योजना तैयार की.
इस योजना में, जिसे हमने कानून बनाया है, सब कुछ ऑनलाइन है; हमारी सरकार को सिर्फ यह जांचना होता है कि निवेशक असली है या नहीं. 15 दिनों के भीतर, निवेशकों को उद्योग स्थापित करने के लिए बिजली, पानी, जमीन जैसी सभी आवश्यक मंजूरी मिल जाती है.
● राजकोषीय घाटा कैसे संभाला है?
तेलंगाना का कर्ज उसके जीएसडीपी के 25 फीसद से भी कम है. यह दिवालिया राज्य नहीं है. घाटा बजट निर्माण का हिस्सा है. उधार लेना है. दुनिया का सबसे बड़ा कर्जदार कौन है? अमेरिका और जापान. तेलंगाना के बॉन्ड खरीदने के लिए बैंक कतार में खड़े हैं.
● विकास का केसीआर मॉडल क्या है?
भारत जैसे देश में हमें मिश्रित तरीके की जरूरत है. गरीब और जरूरतमंदों के कल्याण का काम होना चाहिए और खेती को किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. साथ ही औद्योगिकरण होना चाहिए. मेरा मानना है कि 2024 में केंद्र में किसानों की सरकार होनी चाहिए.