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''ओपीएस पर समाधान केंद्र के सहयोग से ही निकलेगा''

अनुराग ठाकुर ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी के मामले में सार्वजनिक रूप से गैर-जरूरी बयान दिया, जिसे किसी ने पसंद नहीं किया

चुनौती और उम्मीद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर चुनाव प्रचार के लिए जारी अपनी हवाई यात्राओं के बीच एक हेलिपैड पर
चुनौती और उम्मीद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर चुनाव प्रचार के लिए जारी अपनी हवाई यात्राओं के बीच एक हेलिपैड पर
अपडेटेड 14 नवंबर , 2022

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के विभिन्न मुद्दों पर प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से संपादक सौरभ द्विवेदी की खास बातचीत के प्रमुख अंश:

इस चुनाव में एक बड़ा फैक्टर है ओल्ड पेंशन स्कीम यानी ओपीएस, इसे लेकर आपका रुख क्या है?

मैं स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं कि यह प्रदेश में एक भावनात्मक मुद्दा है. आज जो कांग्रेस इसे बड़ा मुद्दा बनाए हुए है, उसी ने ओपीएस समाप्त किया था. हिमाचल प्रदेश में जब वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने ओपीएस समाप्त करके एनपीएस लागू किया. अगर कांग्रेस को लगा कि उसने गलत किया तो 2012 में फिर से वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बने थे, तब एनपीएस समाप्त कर देते. यह बेहद संवेदनशील मुद्दा है और हमने कभी भी इसके बारे में मना नहीं किया है. हम आइसोलेशन में निर्णय नहीं ले सकते. देश के 18 राज्यों में भाजपा की सरकार है. इसलिए हमने इस विषय को केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष रखा है और वहां इस पर विचार चल रहा है. हमने मुख्य सचिव के स्तर पर इसके लिए एक समिति बनाई थी. इसमें सारे विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई. ओपीएस को लागू करना सरल नहीं है. राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने घोषणा तो कर दी लेकिन इन दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री इसे लागू करने के लिए प्रधानमंत्री से लगातार मदद मांग रहे हैं. एनपीएस का पैसा बाजार में निवेश हुआ है. इसे वापस लाने की अपनी जटिलताएं हैं. एनपीएस के लिए राज्य सरकार और केंद्र के बीच एमओयू हुआ है और इससे निकलना एक पक्ष का फैसला नहीं हो सकता. इस समस्या का कोई भी समाधान निकलेगा तो केंद्र के सहयोग से ही निकलेगा.

एक मुख्यमंत्री के तौर पर आपको लेकर कई धारणाएं हैं. कुछ लोग कहते हैं कि आप बहुत सरल और सहज हैं तो कुछ कहते हैं कि आप केंद्र के सामने

अपनी बात मजबूती से नहीं रख पाते और पांच साल दिल्ली से सरकार चली. कुछ लोग यह भी कहते हैं कि ब्यूरोक्रेसी पर मुख्यमंत्री की पकड़ नहीं है. इसलिए कई बार मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव बदले. इस बारे में आप क्या कहेंगे?
हिमाचल प्रदेश की तुलना देश के दूसरे राज्यों से नहीं की जा सकती. हमारा सरल और सहज प्रदेश है और उसके अनुरूप अगर मैंने कार्य संस्कृति अपनाई है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है. हमसे अधिक चीफ सेक्रेटरी और प्रिंसिपल सेक्रेटरी कांग्रेस ने बदले हैं और इन्हें बदलना मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र में है. हमें लगा कि किसी का काम बेहतर नहीं है तो उसे बदल दिया. हमने कड़े निर्णय लिए हैं और जहां कार्रवाई की जरूरत थी, वहां जरूरी कार्रवाई भी की. हमारी राष्ट्रीय पार्टी है. जहां जरूरत होती है, वहां हम दिल्ली के साथ चर्चा करते हैं.  

आपकी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदन का एक कथित ऑडियो टेप आता है, उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं और वे अपने पद से इस्तीफा

देते हैं. सरकार पर पीपीई किट घोटाले का आरोप लगा. उनके इस्तीफे के बाद इस मामले में क्या हुआ?
हमारे पास ऑडियो आने के तीन घंटे के अंदर हमने एफआइआर दर्ज की. जो अधिकारी उसमें पैसे के लेन-देन की बात कर रहे थे, उनको गिरफ्तार करके निलंबित किया और चार्जशीट दाखिल की. 

बिंदन जी की क्या भूमिका थी?

वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे. ये दोनों कर्मचारी उनके साथ कामकाज में कभी रहे हैं. बिंदन जी से इन कर्मचारियों की नजदीकी के आधार पर यह आरोप लगाया गया कि इसमें बिंदन जी की भूमिका हो सकती है. बिंदन जी का इसमें कोई दोष है, ऐसा मैंने न पहले बोला और न आज बोल रहा हूं. उन्होंने अपने पद से स्वयं इस्तीफा दिया.

पुलिस भर्ती घोटाले को लेकर आरोप लग रहे हैं और कहा जा रहा है कि डीजीपी पर आपका हाथ है. इस पर क्या कहेंगे?

जैसे ही इससे जुड़ा मामला सामने आया, हमने रात के 11:30 बजे एफआइआर दर्ज कराई. सुबह 9:30 बजे एसआइटी बनाई और भर्ती प्रक्रिया रद्द की. कहा गया कि पुलिस भर्ती की जांच पुलिस ही करेगी क्या! हमने यह मामला सीबीआइ को भेजा और सीबीआइ ने कहा कि हम मेरिट के आधार पर इसकी जांच के बारे में निर्णय लेंगे. तब तक एसआइटी ने कई लोगों की गिरफ्तारियां अलग-अलग राज्यों से कीं. इसके बाद पुलिस भर्ती की प्रक्रिया नए सिरे से शुरू हुई और 1,350 जवानों की भर्ती की प्रक्रिया बिना किसी विवाद के पूरी की गई. 

राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के नाम की घोषणा हुई और बाद में इसे बदल दिया गया. कहा गया कि आरएसएस के दबाव में ऐसा किया गया. 

कंसल्टेशन की एक प्रक्रिया है, उसमें कुछ कमी रह गई थी इसलिए नया नोटिफिकेशन निकला और अध्यक्ष के साथ एक सदस्य भी बदले गए. पहले की सरकारों में भी ऐसा होता आया है.

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से आपके संबंधों को लेकर तरह-तरह की बातें होती हैं. आरोप लगता है कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी के देहरा कैंपस का मामला इसी प्रतिद्वंद्विता की वजह से उलझा हुआ है. 

विषय सिर्फ इतना था कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी धर्मशाला के नाम पर बनी. बाद में यह तय हुआ कि एक कैंपस देहरा में होगा और एक कैंपस धर्मशाला में. इसके लिए जमीन तलाशने की प्रक्रिया शुरू हुई. जमीन के क्लियरेंस को लेकर कई दिक्कतें आईं. पिछली कांग्रेस सरकार ने इसे पांच साल तक अटकाए रखा. हमारी सरकार आई तो इसे करवाया गया. अनुराग ठाकुर ने भी इसमें सक्रियता दिखाई और कहा कि देहरा और धर्मशाला में एक साथ काम शुरू हो. लेकिन धर्मशाला में जमीन उपलब्ध नहीं थी. देहरा में जमीन का एक हिस्सा ऐसा था जहां के सारे क्लियरेंस थे तो हमने कहा वहां निर्माण शुरू किया जाए. लेकिन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि पूरी जमीन जब मिलेगी तब ही निर्माण कार्य शुरू करेंगे. इस वजह से देरी हुई.

अनुराग जी चाहते थे कि जल्दी हो तो हमने कहा कि आप केंद्र में मंत्री हैं, आप इस विषय को आगे बढ़ाएं. हमारी कई बार चर्चा हुई. पता नहीं उन्हें किस बात से समस्या हुई. इस विषय पर उन्होंने सार्वजनिक रूप से जो गैरजरूरी प्रतिक्रिया दी उसे किसी ने भी पसंद नहीं किया. इसलिए पसंद नहीं किया कि हमारा उसमें कोई कसूर नहीं था. फैक्ट थे कुछ और और रखे गए कुछ और. लेकिन हमने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. हमने बात सुनी और कहा कि इसका बैठकर समाधान करना होगा.

कहा जा रहा है कि ओपीएस के मुकाबले भाजपा को ज्यादा दिक्कत बागियों से हो रही है.

चुनाव में यह परिस्थिति हमेशा आती है. इस बार थोड़ी ज्यादा है. जब यह लगता है कि सरकार बन रही है तो अधिक लोग टिकट मांगते हैं. टिकट तो एक को ही मिलेगा, बाकी लोगों को सब्र रखना होगा. कुछ ने नहीं रखा.

मंडी आपका गृह जिला है. लेकिन उपचुनाव में भाजपा यहां हार गई. क्या कहेंगे?

चूक हुई है, इसे स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का निधन हुआ और उनकी रियासत मंडी लोकसभा का हिस्सा है. कांग्रेस ने रणनीति के तहत उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को टिकट दे दिया. पूरा चुनाव शोक सभा और श्रद्धांजलि में हुआ और वे एक प्रतिशत वोट से जीती हैं. 

क्या भाजपा ने यह तय किया है कि अभिनेत्री कंगना रनौत मंडी से अगला लोकसभा चुनाव लड़ेंगी?

अभी यह कहना उचित नहीं है. उन्होंने कहा है कि मैं भाजपा की समर्थक हूं और पार्टी के एजेंडे से मेरी सहमति है. जब वक्त आएगा तो पार्टी नेतृत्व उस समय की परिस्थिति के हिसाब से निर्णय लेगा.

हिमाचल के सेब उत्पादक आपकी सरकार से नाराज हैं. कांग्रेस ने अपने 10 बिंदुओं में इसे प्रमुखता दी है. आप इस पर क्या कर रहे हैं?

कांग्रेस कोई न कोई मुद्दा तलाशती रहती है. कांग्रेस यह स्पष्ट नहीं कर पा रही है कि नाराजगी का मुद्दा क्या है. नाराजगी की वजह यह बताई जा रही है कि पैकेजिंग मैटेरियल पर जीएसटी 12 प्रतिशत से बढ़कर 18 प्रतिशत हो गया. जीएसटी का निर्णय जीएसटी काउंसिल में होता है. वहां हमने अपना पक्ष रखा और केंद्र को लिखा भी. हमने यह भी कहा कि जीएसटी में छह प्रतिशत की बढ़ोतरी को राज्य सरकार कंपन्सेट करेगी.

कोई ऐसा काम लगता हो जिसे पांच साल के कार्यकाल में पूरा नहीं कर पाए?

कोरोना की वजह से हमें सिर्फ तीन साल ही काम करने के लिए मिले. हिमाचल प्रदेश में कनेक्टिविटी की समस्या है. हमें इसे और बेहतर करना है. हिमाचल में छोटा हवाईअड्डा है और हम चाहते हैं कि एक बड़ा एयरपोर्ट बने. उसके लिए हमने मंडी में जगह चिह्नित की है और आगे भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया होगी. यह काम मैं पूरा करना चाहता था.

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