कबीर सिंह फिल्म में केंद्रीय किरदार निभाने वाले अभिनेता शाहिद कपूर से बातचीत, पेश हैं अंश-
कुछ लोगों को अर्जुन रेड्डी के मर्दवादी नजरिए को लेकर खासा ऐतराज रहा है. आपने इसे किस तरह से देखा?
बहुत-से लोगों की सोच है कि उन्होंने अर्जुन रेड्डी देखे होने की वजह से कबीर सिंह देखी. मेरी व्याख्या यह थी कि कबीर में किसी तरह का जिम्मा उठाने का भाव नहीं है. यह कुछ यूं है कि आप जबरन किसी की ओर खिंचे चले जाते हैं. इस किरदार की आक्रामकता सिर चढ़कर बोलती है. मुझे उम्मीद है, लोग इसमें भीतर की कमजोरी को फिल्म का अहम हिस्सा मानेंगे.
कबीर बड़ा टेंपरामेंटल है. किस बात पर आता है उसे गुस्सा?
आत्मसंतोष. उन लोगों का जो मौका मिलने पर 100 फीसदी करके नहीं देते. लोगों को चीजें आसानी से मिल जाएं तो वे उनका सम्मान नहीं करते. इसका मुझे अच्छा सबक मिला है.
आप तो शराब को हाथ भी नहीं लगाते. शूट के दौरान वैसा दिखाने के लिए क्या तरकीब निकाली गई?
ठीक ह्विस्की के जैसा रंग लाने के लिए ब्लैक टी को थोड़ा और पतला किया गया.
आपकी पसंदीदा रीमेक फिल्म कौन-सी है?
गजनी. ए.आर. मुरुगदास ने ही इसे मूल तमिल में बनाया था और हिंदी में भी. हिंदी वाली तमिल जितनी ही, कई मायनों में ज्यादा पसंद की गई.
ब्रेक-अप के बाद टूटे दिल के साथ आपने झल्लाहट में सबसे खराब काम क्या किया?
देखिए, इस तरह की हरकतों को मैं बढ़ावा नहीं देना चाहता. पर वह दौर था जब मैं बिस्तर पर पड़ा-पड़ा दर्द भरे गाने सुनता और कलेजा सहलाता रहता. लकी अली की आवाज उस माहौल के साथ एकदम फिट बैठती थी.
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