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हिंदुस्तान की हिम्मत नहीं है कि वह मुझे छू भी सके: हाफिज सईद

हाफिज सईद खुलकर स्वीकार करता है कि उसका संगठन 2002 से ही कश्मीर में हथियारबंद जंग को सहयोग दे रहा है और वह ऐसा करता रहेगा.

हाफिज सईद एक बैठक में
हाफिज सईद एक बैठक में
अपडेटेड 11 सितंबर , 2015

कसवर क्लासरा से एक खास मुलाकात में जमात-उद-दावा के मुखिया हाफिज सईद ने लश्करे तैयबा के साथ अपने संगठन के रिश्ते से इनकार किया है. वह प्रधानमंत्री नवाज शरीफ  से इस वजह से खफा है कि वे कश्मीर को “भारतीय कब्जे” से छुड़ाने की बजाए भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं. अपने भरोसेमंद सहयोगियों में एक और संगठन के प्रवक्ता याहिया मुजाहिदीन के साए में मौजूद भारत में सबसे वांछित शख्स सईद खुलकर स्वीकार करता है कि उसका संगठन 2002 से ही कश्मीर में हथियारबंद जंग को सहयोग दे रहा है और वह ऐसा करता रहेगा.

आपकी सभी तकरीरें कश्मीर और हिंदुस्तान के इर्दगिर्द होती हैं. ऐसा क्यों?
मैं पक्के तौर पर आपको बता देना चाहता हूं कि कश्मीर हमेशा से पाकिस्तान का हिस्सा रहा है और अब भी है. बदकिस्मती से यह काम पाकिस्तान के हुक्मरानों का था कि वे हिंदुस्तान के कब्जे से कश्मीर को आजाद कराने के लिए जंगी स्तर पर कदम उठाते. इसकी बजाए कश्मीर में पाकिस्तान की जंग हम लड़ रहे हैं (आतंकवाद के रास्ते) क्योंकि ऐसा लगता है कि हुकूमत ने कश्मीर के मसले को छोड़ दिया है. हम तब तक लड़ते रहेंगे जब तक हमारा मकसद पूरा नहीं हो जाता. हिंदुस्तान, पाकिस्तान का पक्का दुश्मन है जिसे अमेरिका और इज्राएल की मदद हासिल है. हम तब तक चैन से नहीं बैठ पाएंगे जब तक कि (हमारा) फिदायीन दिल्ली की संसद पर पाकिस्तान का झंडा नहीं फहरा देता.

आपने जिस लश्करे तैयबा की नींव रखी थी, क्या मुंबई में 26/11 के हमले में उसका हाथ था?
कोई और बात करते हैं...

लेकिन क्या आप लश्कर के मुखिया नहीं हैं?
मैं लश्कर का हिस्सा नहीं हूं. वह तो कश्मीर का एक समूह है जो भारतीय फौजों के खिलाफ  लड़ रहा है. लश्कर के मुखिया (लखवी) ने मुझे बताया है कि 26/11 के हमले में उनका हाथ नहीं था.

हिंदुस्तान के नेताओं ने पोशीदा ऑपरेशन की धमकी दी है, जैसा अमेरिका ने ओसामा को पकडऩे के लिए एबटाबाद में चलाया था. इन धमकियों पर आपका क्या कहना है.
(मुस्कराते हुए) मैंने कुछ हिंदुस्तानी मंत्रियों के बयान सुने हैं जिसमें वे अपनी हुकूमत को मुझे पकडऩे के लिए पोशीदा मुहिम की बात कह रहे हैं. उनके लिए मुझे कुछ कहना हैः उन्हें मेरे पांव छूने की बात भी नहीं सोचनी चाहिए. उसके लिए हिम्मत की जरूरत होती है. हिंदुस्तान मुझे क्यों चाहता है? मैंने हिंदुस्तानियों का क्या बिगाड़ा है? उनके पास अगर मेरे खिलाफ कुछ है, तो उन्हें आप अदालत का दरवाजा खटखटाने को कहें.

हिंदुस्तान मानता है कि आपकी जमात के पीछे आइएसआइ है और इसका अल कायदा से भी रिश्ता है. आपका क्या कहना है?
दूसरे मेरे बारे में और मेरे संगठन के बारे में क्या कहते हैं, उसकी मुझे कोई फिक्र नहीं है. मैं एक ऐसे चैरिटी संगठन का मुखिया हूं जो 140 स्कूल, दर्जनों मेडिकल डिस्पेंसरी, कॉलेज और छोटे अस्पताल चलाता है. हमारा आइएसआइ या अल कायदा के साथ किसी तरह का ताल्लुक नहीं है.

जमात-उद-दावा को पैसा कौन देता है?
मैं अल्लाह तआला का शुक्रगुजार हूं कि वह मेरी जमात के लिए पाकिस्तानियों के दिलों में रहम पैदा करता है. उन्हीं की मदद से हमारा काम चलता है.

क्या आप हिंदुस्तान आने की पेशकश मंजूर करेंगे?

मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं है. उनसे कहिए कि सही जरिए से न्योता भिजवाएं.

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