असम के पूर्व स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की कैबिनेट छोडऩे और गांधी परिवार के नेतृत्व से अपनी उम्मीदों के बारे में एसोसिएट एडिटर कौशिक डेका से बात की. साक्षात्कार के मुख्य अंशः
आप तरुण गोगोई का विरोध क्यों कर रहे हैं?
असम में 2001 के चुनावों में हमारी भारी जीत के बाद से ही कांग्रेस का लगातार पतन हो रहा है क्योंकि तरुण गोगोई ने तमाम जन विरोधी फैसले लिए हैं. नरेंद्र मोदी के बीजेपी का प्रधानमंत्री प्रत्याशी बनने से काफी पहले मैंने कांग्रेस हाइकमान को एक रिपोर्ट भेजी थी जिसमें पार्टी के लिए चार लोकसभा सीटों पर जीत की भविष्यवाणी की थी. हमें तीन सीटें मिलीं.
आपने गोगोई के मातहत 13 साल काम किया है और उनसे आपका करीबी रिश्ता था. गड़बड़ कहां हुई?
गोगोई 2001 से 2011 के बीच सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे क्योंकि उनका ध्यान अच्छे राज-काज पर था. 2011 के बाद जब उनका बेटा गौरव राजनीति में उतरा, तब से उनका असली एजेंडा अपने बेटे को राजनीति में आगे बढ़ाने का हो गया. सुशासन में उनकी दिलचस्पी कम हो गई. राज्य की राजनीति उनका बेटा तय करने लगा. सभी मंत्रियों को निर्देश दिए गए कि उनका बेटा जहां जाए, वे साथ जाएं. मैंने ऐसा करने से इनकार किया क्योंकि मैं संविधान के तहत मुख्यमंत्री के प्रति जवाबदेह हूं, अन्य किसी के प्रति नहीं.
क्या आप कहना चाहते हैं कि व्यवहार में असली मुख्यमंत्री गौरव गोगोई हैं?
वे रोजमर्रा के प्रशासनिक मामलों मंग दखल नहीं देते, लेकिन सारे राजनैतिक फैसले वे ही लेते हैं. यह तो कांग्रेस के लिए एक देशव्यापी मर्ज बन गया है. कई कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के कान्वेंट में पढ़े अंग्रेजी बोलने वाले बच्चे आगे बढ़ रहे हैं क्योंकि दिल्ली की सत्ता तक उनकी पहुंच है. उन्हें जनता के मुद्दों और जमीनी राजनीति का रत्ती भर भी अनुभव नहीं. गोगोई जैसे क्षत्रप, जिनका गांधी परिवार के साथ लंबा रिश्ता रहा है, राज्य की असली तस्वीर हाइकमान के सामने पेश नहीं करते.
आपने असली तस्वीर दिखाने की कोशिश क्यों नहीं की?
मैंने सोनिया गांधी को लिखा था और बात भी की थी. राहुल गांधी के उपाध्यक्ष बनने के बाद मैंने उनसे मुलाकात का समय मांगा लेकिन मिल नहीं सका. मैं फिर से वक्त मांगूंगा. अगर मुझे वक्त नहीं दिया गया, तो मेल लिखूंगा. वे अगर मेरी बात सुन लें या मेरी मेल पढ़ लें, तो उन्हें शायद मेरा पक्ष समझ में आएगा.
सोनिया गांधी ने गोगोई को बनाए रखने का फैसला किया है. आपका समर्थन कर रहे दो मंत्रियों को निलंबित कर दिया गया है.
मंत्रियों को निलंबित करके हाइकमान ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि हमें भी उसकी बात मान लेनी चाहिए. सवाल है कि क्या असम की जनता भी इस आदेश को मानेगी? वे तो तभी मानेंगे जब उन्हें सुशासन मुहैया कराया जाएगा.
अटकलें लगाई जा रही हैं कि आप सरकार को गिराने के फेर में हैं और बीजेपी आलाकमान ने आपको संदेश भेजे हैं.
अगर मुझे सरकार गिरानी होती तो मैं अब तक ऐसा कर चुका होता. मैं फिलहाल आराम करना चाहता हूं. किसी बीजेपी नेता का मेरे पास कोई संदेश नहीं आया है.
आप तरुण गोगोई का विरोध क्यों कर रहे हैं?
असम में 2001 के चुनावों में हमारी भारी जीत के बाद से ही कांग्रेस का लगातार पतन हो रहा है क्योंकि तरुण गोगोई ने तमाम जन विरोधी फैसले लिए हैं. नरेंद्र मोदी के बीजेपी का प्रधानमंत्री प्रत्याशी बनने से काफी पहले मैंने कांग्रेस हाइकमान को एक रिपोर्ट भेजी थी जिसमें पार्टी के लिए चार लोकसभा सीटों पर जीत की भविष्यवाणी की थी. हमें तीन सीटें मिलीं.
आपने गोगोई के मातहत 13 साल काम किया है और उनसे आपका करीबी रिश्ता था. गड़बड़ कहां हुई?
गोगोई 2001 से 2011 के बीच सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे क्योंकि उनका ध्यान अच्छे राज-काज पर था. 2011 के बाद जब उनका बेटा गौरव राजनीति में उतरा, तब से उनका असली एजेंडा अपने बेटे को राजनीति में आगे बढ़ाने का हो गया. सुशासन में उनकी दिलचस्पी कम हो गई. राज्य की राजनीति उनका बेटा तय करने लगा. सभी मंत्रियों को निर्देश दिए गए कि उनका बेटा जहां जाए, वे साथ जाएं. मैंने ऐसा करने से इनकार किया क्योंकि मैं संविधान के तहत मुख्यमंत्री के प्रति जवाबदेह हूं, अन्य किसी के प्रति नहीं.
क्या आप कहना चाहते हैं कि व्यवहार में असली मुख्यमंत्री गौरव गोगोई हैं?
वे रोजमर्रा के प्रशासनिक मामलों मंग दखल नहीं देते, लेकिन सारे राजनैतिक फैसले वे ही लेते हैं. यह तो कांग्रेस के लिए एक देशव्यापी मर्ज बन गया है. कई कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के कान्वेंट में पढ़े अंग्रेजी बोलने वाले बच्चे आगे बढ़ रहे हैं क्योंकि दिल्ली की सत्ता तक उनकी पहुंच है. उन्हें जनता के मुद्दों और जमीनी राजनीति का रत्ती भर भी अनुभव नहीं. गोगोई जैसे क्षत्रप, जिनका गांधी परिवार के साथ लंबा रिश्ता रहा है, राज्य की असली तस्वीर हाइकमान के सामने पेश नहीं करते.
आपने असली तस्वीर दिखाने की कोशिश क्यों नहीं की?
मैंने सोनिया गांधी को लिखा था और बात भी की थी. राहुल गांधी के उपाध्यक्ष बनने के बाद मैंने उनसे मुलाकात का समय मांगा लेकिन मिल नहीं सका. मैं फिर से वक्त मांगूंगा. अगर मुझे वक्त नहीं दिया गया, तो मेल लिखूंगा. वे अगर मेरी बात सुन लें या मेरी मेल पढ़ लें, तो उन्हें शायद मेरा पक्ष समझ में आएगा.
सोनिया गांधी ने गोगोई को बनाए रखने का फैसला किया है. आपका समर्थन कर रहे दो मंत्रियों को निलंबित कर दिया गया है.
मंत्रियों को निलंबित करके हाइकमान ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि हमें भी उसकी बात मान लेनी चाहिए. सवाल है कि क्या असम की जनता भी इस आदेश को मानेगी? वे तो तभी मानेंगे जब उन्हें सुशासन मुहैया कराया जाएगा.
अटकलें लगाई जा रही हैं कि आप सरकार को गिराने के फेर में हैं और बीजेपी आलाकमान ने आपको संदेश भेजे हैं.
अगर मुझे सरकार गिरानी होती तो मैं अब तक ऐसा कर चुका होता. मैं फिलहाल आराम करना चाहता हूं. किसी बीजेपी नेता का मेरे पास कोई संदेश नहीं आया है.