खुद भारत सरकार कहती है कि मिलने वाली 100 नौकरियों में से 72 गुजरात की वजह से मिलती हैं. बीजेपी की उपाध्यक्ष स्मृति इरानी ने आजतक चैनल के सीधी बात कार्यक्रम में हेडलाइंस टुडे के मैनेजिंग एडिटर राहुल कंवल से बातचीत की. पेश हैं, बातचीत के प्रमुख अंश.
सूरत में 12 दिसंबर, 2004 को आपने बयान दिया था कि गुजरात दंगों का दोष वाजपेयी और आडवाणी पर आ रहा है जबकि आना चाहिए मोदी पर, जो अपनी कुर्सी नहीं छोड़ रहे. आठ साल में आपकी सोच काफी बदल गई है. ऐसा क्यों?
मैंने मीडिया में कई रिपोर्ट्स पढ़ी, सुनी थीं, जिनके आधार पर मैंने अंदाजा लगाया था. मेरा वह अंदाजा गलत था. मैं संगठन के माध्यम से संगठन और सरकार को ज्यादा समझूंगी. उसके बाद किसी निष्कर्ष पर पहुंचती हूं तो वह मैं संगठन की मर्यादा में रह कर करूंगी.
राजनीतिक मजबूरी हुई तो आपने सोच बदल दी. कोई उसूल नहीं है?
मैंने 2013 में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में भी बोला था कि मीडिया के कई दिग्गज कई बार मोदी के नाम का इस्तेमाल टीआरपी के लिए करते हैं.
नरेंद्र मोदी नए वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. क्या यह बेहतर नहीं होगा कि वे कहें, जो हुआ गलत था? इससे उन पर लोगों का विश्वास बढ़ेगा.
उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ एक भी तथ्य हो तो मुझे फांसी पर चढ़ा दो. एक इंटरव्यू में कहा कि गोधरा में जो हुआ, वह दुख की बात है पर यह कानून को अपने हाथ में लेने का बहाना नहीं है.
जेडीयू को नरेंद्र मोदी के नाम से परहेज है. उसे दूर करने के लिए क्या करेंगी?
मेरी जिम्मेदारी का दायरा बीजेपी तक सीमित है. एलाइज से जो चर्चा करनी होगी वह हम आमने-सामने बैठकर करेंगे.
मोदी देशभर में प्रचार कर रहे हैं. वहीं पार्टी में कई ऐसे लोग हैं जो लगातार कहते रहते हैं कि वे किसी और को पसंद करते हैं और अगली सरकार लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में बनेगी. मोदी को लेकर कब तक असमंजस की स्थिति बनी रहेगी?
कोई असमंजस नहीं है. हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का फैसला पार्लियामेंटरी बोर्ड करेगा.
वाइब्रेंट गुजरात की हकीकत यह है कि जो दावे किए जाते हैं और जो असली निवेश आता है उसमें बहुत फर्क है. ऐसा क्यों?
भारत सरकार कहती है कि जो 100 नौकरियां मिलती हैं उसमें से 72 गुजरात की वजह से मिलती है. यह भारत सरकार का आंकड़ा है.
मोदी से जब पूछा गया कि गुजरात में कुपोषण इतना ज्यादा क्यों है? तो उन्होंने कहा कि गुजरात की लड़कियां फैशन कांशियस बहुत हैं, इस वजह से खाना नहीं खातीं और इसीलिए कुपोषण है.
आइसीडीएस की रिपोर्ट में लिखा है कि कुपोषण की गंभीर समस्या से लडऩे में दिल्ली सरकार नाकाम रही है. उसमें गुजरात सरकार की सराहना की गई है.
राहुल बनाम मोदी पर आपकी राय?
एक तरफ अनुभवी नेता हैं, जिन्होंने विकास के वादों पर ताकत लगा कर काम किया, परिणाम दिया. दूसरी तरफ ऐसे व्यक्ति हैं, जो अभी भी अपने शब्दों और ख्यालों को तलाश रहे हैं.
राहुल की इमेज क्लीन है. कांग्रेस को इससे चुनाव में फायदा हो सकता है?
मैं पूछना चाहती हूं कि जब (दिल्ली गैंग रेप के वक्त) एंटी-लॉ डिसकस हो रहा था तब क्या राहुल गांधी लोकसभा में थे? डिबेट हुई तब भी नहीं थे. एक नेता के नेतृत्व का मापदंड क्या है?
पूरी बातचीत आप www.aajtak.in/smriti पर जाकर देख सकते हैं.