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न मैं डरी थी, न मेरी शशि: गौरी शिंदे

इंग्लिश विंग्लिश की कहानी मेरी मां से एंस्पायर्ड है. इंग्लिश को लेकर समस्या सिर्फ मेरी मां की नहीं है. देश के काफी लोगों की जिंदगी की यह बड़ी समस्या है. इसलिए यह मेरे मन की कहानी है.

गौरी शिंदे
गौरी शिंदे
अपडेटेड 17 अक्टूबर , 2012

श्रीदेवी अभिनीत इंग्लिश विंग्लिश को अप्रत्याशित सफल फिल्म कह सकते हैं. एक्जिक्यूटिव एडिटर दिलीप मंडल की फिल्म की राइटर-डायरेक्टर गौरी शिंदे से बातचीत के प्रमुख अंश:

आपके मन की कहानी है या दर्शकों के बाजार को ध्यान में रखकर लिखी कहानी?
यह कहानी मेरी मां से एंस्पायर्ड है. इंग्लिश को लेकर समस्या सिर्फ मेरी मां की नहीं है. देश के काफी लोगों की जिंदगी की यह बड़ी समस्या है. इसलिए यह मेरे मन की कहानी है.

शशि को आपने उसके उस परिवार में क्यों लौटाया, जहां उसकी कोई हैसियत नहीं थी?
शशि की समस्या उसका परिवार नहीं है. 15-20 साल की शादी के बाद उसका पति उसे ग्रांटेड लेता है. परिवार में उसकी इनसल्ट होती है. ऐसे समय में नए देश और नए माहौल में उसे एक फ्रेंच दोस्त मिलता है, जो उसके जीवन में कुछ जोड़ता है. उसे यह सब अच्छा लगता है. लेकिन शशि इस रिश्ते से जो लिया जा सकता है, वही लेती है. शशि की लड़ाई कॉन्फिडेंस गेन करने की लड़ाई है. यह लड़ाई वह परिवार के अंदर लड़ रही थी. इस रिश्ते से बाहर जाने की च्वाइस उसके लिए नहीं थी. 

शशि अपने फ्रेंच प्रेमी संग चली क्यों नहीं गई? ऐसा करते हुए शशि डरी या लेखिका गौरी शिंदे?
दोनों को अलग नहीं देखा जा सकता. राइटर ही शशि के माइंड में है. न मैं डरी थी, न मेरी शशि. शशि काफी आजाद है. उसके करेक्टर को देखिए. होमोसेक्सुअलिटी पर उसके विचार से लेकर बेटी से उसकी बातचीत को देखिए. जहां तक सवाल है कि वह अपने फ्रेंच सहपाठी संग क्यों नहीं चली जाती, तो इसका जवाब है कि वह अपनी जिंदगी में इस ऑप्शन की तलाश ही नहीं कर रही थी. 

औरत की आजादी का आपका कॉन्सेप्ट क्या है?
मेरे लिए इसका मतलब च्वाइस की आजादी है. सोच फ्री होनी चाहिए. हर आदमी या औरत अपनी फ्रीडम चुनते हैं. इसमें किसी और की राय हावी नहीं होनी चाहिए.

परिवार आपके लिए कितना पवित्र है. औरत को परिवार बचाने के लिए कुर्बानी देना जारी रखना चाहिए?
कुर्बानी का सवाल गलत है. हर किसी को कॉन्ट्रिब्यूट करना चाहिए. औरत ही कुर्बानी क्यों दे? सबको एक दूसरे को स्पेस देना चाहिए. इज्जत करनी चाहिए. टेकेन फॉर ग्रांटेड नहीं लेना चाहिए. 

यही कहानी हॉलीवुड के लिए लिखतीं तो कहानी का अंत इसी तरह होता?
यह भारतीय परिवेश में भारतीय किरदारों की कहानी है. हॉलीवुड के लिए लिखती तो शायद इसमें गाने कम होते. बाकी कहानी तो ऐसी ही रहती. यह फिल्म इसी रूप में विदेशों में भी सराही जा रही है.

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