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रोजगार से बिहार में कितनी बदलेगी सियासी बयार?

इस तरह बिहार सरकार ने 2024 के चुनाव से पहले सरकारी नौकरियों और प्रमोशन का पिटारा खोल दिया है और एक तरह से केंद्र सरकार को चुनौती दी है

पटना हाई स्कूल भवन में अपना ऑफर लेटर लेने के लिए जुटे युवा
पटना हाई स्कूल भवन में अपना ऑफर लेटर लेने के लिए जुटे युवा
अपडेटेड 10 नवंबर , 2023

महाअष्टमी का दिन है. लोग अपने-अपने घरों में मां दुर्गा की पूजा में व्यस्त हैं, मगर नालंदा की स्पर्शवर्धन अपने हाथ में ऑफर लेटर लेकर गर्दनीबाग के पटना हाई स्कूल भवन से निकली हैं. स्थाई सरकारी नौकरी पाने की खुशी उनके चेहरे पर साफ नजर आती है. कंकड़बाग में उनकी ट्रेनिंग भी जल्दी ही शुरू हो जाएगी. इसके लिए दशहरे की छुट्टी का इंतजार नहीं किया जा रहा है. 

इसी काउंसिलिंग सेंटर में स्पर्शवर्धन जैसे कई युवाओं को अष्टमी में भी ऑफर लेटर मिला है और नवमी और दशमी के दिन भी. यह दशहरा 1.22 लाख युवाओं के जीवन में खुशियों का मौका लेकर आया है. ऐसी खुशी जिसका असर उनके पूरे जीवन पर रहने वाला है. ये सभी लोग बिहार सरकार के बिहार पब्लिक सर्विस कमिशन (बीपीएससी) की ओर से आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफल हुए हैं. 

नवरात्र के मौके पर सिर्फ शिक्षक की नौकरी पाने वाले युवा ही खुश नहीं हैं, बिहार सरकार के तकरीबन 76 हजार से अधिक सरकारी सेवकों के चेहरे पर भी खुशी आई है. बिहार सरकार ने इन्हें अस्थाई प्रमोशन देने का फैसला कर लिया है. इसकी प्रक्रिया भी नवरात्र की छुट्टियों के बीच ही जारी है. सरकार शिक्षकों की नियुक्ति और कर्मचारियों के प्रमोशन की प्रक्रिया दीवाली से पहले हर हाल में पूरी कर लेना चाहती है, ताकि दीवाली के मौके पर दो लाख परिवारों को खुशियों की सौगात दे सके. 

1.22 लाख शिक्षकों की भर्ती के बारे में बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने ट्विटर अकाउंट पर जानकारी दी है कि यह पूरी प्रक्रिया 60 दिन से भी कम समय में पूरी हो गई है. दरअसल, बीपीएससी ने इन पदों के लिए 24 से 26 अगस्त के बीच परीक्षा ली थी. 17 अक्टूबर से इसके रिजल्ट आने शुरू हो गए. 

बिहार सरकार इसे हाल के वर्षों में हुई सबसे बड़ी सरकारी भर्ती प्रक्रिया बता रही है और इसे 'उत्सव' मनाने के लिए 2 नवंबर में पटना के गांधी मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के हाथों 25 हजार चुनिंदा नौकरी पाने वालों को नियुक्ति पत्र बांटे जाएंगे. इस बीच इनके ओरिएंटेशन के काम पूरे हो जाएंगे और इन्हें स्कूल दे दिए जाएंगे.

पिछले कुछ दिनों से तेजस्वी यादव अपने ट्विटर अकाउंट पर इस बात की सूचना बार-बार दे रहे हैं कि उन्होंने सत्ता में आने पर दस लाख सरकारी नौकरियों का वादा किया था. एक साल के भीतर इनमें से चार लाख नौकरियों की प्रक्रिया शुरू हो गई है. पहले चरण में 1.22 लाख लोगों को शिक्षकों की नौकरी देने का काम भी शुरू हो गया है. 

शिक्षा विभाग के अलावा वे स्वास्थ्य विभाग में डेढ़ लाख और पुलिस विभाग में 24 हजार नौकरियां देने की बात करते हैं. शिक्षा विभाग भी नवंबर में फिर से 1.18 लाख शिक्षकों के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है.

तेजस्वी यादव का दावा है कि 2025 से पहले वे राज्य में दस लाख नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया पूरी कर लेंगे. हालांकि उनकी पार्टी के प्रमुख प्रवक्ता चितरंजन गगन कहते हैं, ''तैयारी इस बात की है कि मार्च, 2024 तक यह प्रक्रिया शुरू हो जाए.''

भर्तियों के साथ-साथ सरकारी कर्मियों को प्रमोशन देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. 2019 से राज्य में सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन का मसला सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन में आरक्षण के मुकदमे की वजह से अटका हुआ था. अब बिहार सरकार ने बीच का रास्ता निकाला है. तय यह हुआ है कि अभी प्रमोशन अस्थाई होगा. जिन्हें प्रमोशन मिलेगा उसे प्रभारी या कार्यकारी का पद मिलेगा और वेतन भी बदले पद के हिसाब से मिलेगा. अगर अदालत कोई उल्टा आदेश देती है तो प्रमोशन वापस ले लिया जाएगा, हालांकि बढ़े हुए वेतन की रिकवरी नहीं की जाएगी.

ऐन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बिहार सरकार के इन फैसलों से ऐसा लग रहा है कि वह जाति गणना के बाद सरकारी नौकरियों के मसले पर भी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरना चाह रही है. लाखों नौकरियां और प्रमोशन बांटकर वह यह संदेश देना चाह रही है कि अगर सरकार चाहे तो युवाओं को नौकरी देना कोई मुश्किल काम नहीं है.

पिछले दिनों गोपालगंज में तेजस्वी यादव ने मीडिया से कहा, ''हम लोग युवाओं के हाथ में कलम देना चाहते हैं, यह बात कुछ लोगों को हजम नहीं हो रही. क्योंकि उनकी नीति तो युवाओं के हाथ में तलवार थमाने की है. धर्म के नाम पर वे उन्हें बांटते हैं. मैंने दस लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था. एक साल के भीतर चार लाख लोगों को नौकरी देने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. हम भाजपाइयों की तरह जुमलेबाज नहीं, जुबान के पक्के हैं. दिल से कहते हैं और पूरी लगन से वादा निभाते हैं.''

दरअसल, सरकारी नौकरियों का मसला तेजस्वी यादव के लिए काफी महत्वपूर्ण है. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने दस लाख युवाओं को 'पहली कलम' से सरकारी नौकरी देने का वादा किया था. यह वादा काफी असरदार रहा. भले ही उस चुनाव में महागठबंधन सत्ता में नहीं आ पाया, मगर वोटरों ने इस वादे को गंभीरता से लिया और उन्हें अच्छी जीत दिलाई. बाद में जब नीतीश के साथ वे सत्ता में आए तो नीतीश ने भी उनके इस वादे का समर्थन किया और कहा कि वे दस लाख नौकरियां तो देंगे ही, दस लाख युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था भी करेंगे.

शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया में डोमिसाइल की नीति को खत्म करके भी बिहार सरकार ने इस बात के संकेत दिए हैं. सरकार देश के दूसरे हिस्सों से भी युवाओं को नौकरी के लिए बिहार आमंत्रित करना चाह रही थी, ताकि नौकरियां देने का संदेश पूरे देश में जाए. इसका राज्य में खूब विरोध भी हुआ, खास तौर पर भाकपा-माले नेता संदीप सौरभ ने तो सरकार का समर्थन करने के बावजूद इस नीति की खुली मुखालफत की. मगर सरकार इसके बावजूद अपने फैसले पर अडिग रही. शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बड़ी संख्या में दूसरे राज्य, खास तौर पर पड़ोसी राज्य यूपी और झारखंड के लोगों को नौकरियां मिली हैं.

मीडिया में यूपी के युवा यह कहते नजर आए कि मंदिर-मस्जिद और बुलडोजर से ज्यादा जरूरी नौकरी देना है और बिहार सरकार ने यह अच्छा काम किया है. इस तरह से बिहार सरकार यूपी के 'विकास मॉडल' को भी चुनौती देने की कोशिश कर रही है. 

हालांकि विरोधी दल भाजपा ने बाहरी लोगों को बिहार में नौकरी देने के मसले को मुद्दा बनाने की कोशिश की. मगर चूंकि बड़ी संख्या में पद खाली रह गए थे, इसलिए यह मुद्दा बन नहीं पाया. पहले चरण की शिक्षक भर्ती में 1.70 लाख पदों पर नौकरी के आवेदन निकले थे, इनमें से 1.22 लाख पदों पर ही नियुक्ति हो पाई. 48 हजार पद खाली रह गए. 

इस परीक्षा में 93 फीसद उम्मीदवार परीक्षा पास कर गए थे. हालांकि अब इन 48 हजार खाली पदों को शामिल कर अगले चरण में 1.18 लाख पदों पर फिर से बहाली निकलने वाली है. पहले इस चरण में सिर्फ 70 हजार पदों के लिए ही आवेदन लिए जाने थे.

इनके अलावा भी बिहार सरकार ने नौकरियों को लेकर एक बड़ा फैसला यह किया है कि उसने राज्य के चार लाख नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनाने का रास्ता खोल दिया है. इसके लिए उन्हें सिर्फ विभागीय परीक्षा देनी होगी. उसमें भी उन्हें तीन मौके मिलेंगे. 

इस तरह बिहार सरकार ने 2024 के चुनाव से पहले सरकारी नौकरियों और प्रमोशन का पिटारा खोल दिया है और एक तरह से केंद्र सरकार को चुनौती दी है.

बिहार में रोजगार की बहार

  • 1.22 लाख पद भरे गए शिक्षक पहले चरण में
  • 1.18 लाख पद भरे जाने हैं शिक्षक भर्ती के दूसरे चरण में, प्रक्रिया नवंबर में शुरू होगी
  • 1.50 लाख पद स्वास्थ्य विभाग में निकाले जाने हैं, भर्ती जल्दी ही शुरू होगी
  • 21,391 पद कांस्टेबल के पुलिस विभाग में, भर्ती प्रक्रिया जारी
  • 1,275 पद सब-इंस्पेक्टर के भर्ती प्रक्रिया जारी
  • 24 हजार पद पुलिस विभाग में भरे जाएंगे, प्रक्रिया अगले साल शुरू होगी
  • 76,525 सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को मिला अस्थाई प्रमोशन
  • 4 लाख के करीब नियोजित शिक्षकों के लिए राज्यकर्मी बनने के लिए परीक्षाएं आयोजित होंगी.
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