
भावनात्मक लिहाज से बेहद प्रभावशाली साबित हुईं कपूर ऐंड संस और गहराइयां सरीखी फिल्में बनाने वाले लेखक-निर्देशक शकुन बत्रा उस तरह के फिल्मकार नहीं हैं जिनसे आप रोमांचक कार चेज की उम्मीद करें. धर्मा एंटरटेनमेंट के दफ्तर में बैठे बत्रा कहते हैं, ''लोग मुझे भावुक, रिश्तों को गहराई से उकेरने वाले फिल्मकार के तौर पर देखते हैं, इसलिए कोई मुझे वैसा (ऐक्शन सीक्वेंस) करने के लिए पैसे नहीं देगा.’’
मगर चैटजीपीटी, सोरा और गूगल वीओ सरीखे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स के साथ प्रयोग करके बत्रा ने वह कर दिखाया. उन्होंने मॉन्ट्रियल के सेट पर अपनी पहली जबरदस्त लघु फिल्म द गेटअवे कार का निर्माण किया. वे कहते हैं, ''अगर मैं इसे पारंपरिक तरीके से बनाता तो इसके लिए 50 लोगों की टीम, कारों और स्थानीय सरकार से सड़कें ब्लॉक करने की अनुमति, एक स्टंट टीम, सुरक्षा, कलाकारों को मॉन्ट्रियल ले जाकर होटलों में ठहराने की जरूरत पड़ती.’’
मगर उपयुक्त प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग (अपेक्षित और बेहतर नतीजों के लिए AI को सटीक निर्देश देना) का इस्तेमाल करके बत्रा अपने कन्फर्ट जोन से बाहर निकलकर और एक ऐसी शैली में फिल्म बनाने में सफल रहे जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं आजमाया था.
द गेटअवे कार AI के साथ काम करने का बत्रा का पहला अनुभव नहीं था. उन्होंने विज्ञापनों की शूटिंग में पहले ही उन्नत AI टूल्स का इस्तेमाल शुरू कर दिया था. वे बताते हैं, ''मैंने AI से एक शॉट बनाया था. मजेदार बात यह कि क्लाइंट ने सेट पर मेरे शूट किए शॉट की बजाय उसे ही चुना.’’

बहरहाल, इसने बत्रा को प्रेरित किया और उन्होंने जल्द ही इंस्टाग्राम पर AI से बना टीजर साझा करने शुरू कर दिए. अंतत: उन्होंने द गेटअवे कार बनाने के लिए गूगल जेमिनी का सहयोग लिया. आज वे झटपट स्क्रिप्ट के सारांश, चरित्र विश्लेषण और ''यहां तक कि किसी चरित्र के मनोवैज्ञानिक पहलुओं को समझने’’ के लिए चैटजीपीटी का इस्तेमाल करते हैं.
बत्रा उन क्रिएटरों की बढ़ती जमात में हैं जो उत्साह से AI अपना रहे हैं. गायक-संगीतकार शंकर महादेवन ने हाल ही रूबरू गीत के लिए गूगल के म्यूजिक AI सैंडबॉक्स और उसके जनरेटिव म्यूजिक मॉडल लिरिया का सहारा लिया. हाल ही संपन्न फिक्की फ्रेम्स में फिल्म निर्माता राम माधवानी ने प्राम्प्ट इंजीनियर्स को फिल्म जगत के नए नायक बताया और अश्विनी अय्यर तिवारी ने जिम्मेदारी के साथ तकनीक के प्रयोग पर जोर दिया.
AI तेजी से बढ़ते माइक्रोड्रामा उद्योग के लिए भी वरदान साबित हुआ है, जो कम समय और छोटे बजट पर चलता है. फीचर फिल्म निर्माण में यह प्री-विजुअलाइजेशन का प्रमुख साधन बन गया है, जिसे पहले स्टोरीबोर्डिंग, लुक डिजाइन और विजुअल इफेक्ट्स के तौर पर जाना जाता था. इसमें AI-संचालित बैकग्राउंड तेजी से नीली और हरी स्क्रीन की जगह ले रहा है. बत्रा कहते हैं, ''यह हमें ऐसे काम करने में मदद करेगा जो हमने पहले नहीं किए. कुछ लोग इसे नौकरियों के लिए खतरा मान सकते हैं मगर मेरे लिए यह जिंदगी को आसान बनाने में मददगार है.’’
लगता है भविष्य यही है. शेखर कपूर की AI से बनी वॉरलॉर्ड पहले से ही निर्माण प्रक्रिया में है, जबकि सनी लियोनी का AI अवतार कौर वरसेज कोर में मुख्य भूमिका निभाएगा, जिसे ''भारत की पहली पूर्ण AI सुपरहीरो फिल्म’’ और ''पूर्ण AI फीचर फिल्म’’ बताया जा रहा है. यह बात अलग है कि चिरंजीवी की हनुमान- जिसके अप्रैल, 2026 में हनुमान जयंती के समय रिलीज होने की संभावना है- अगर थिएटर में पहले आ गई तो कौर बनाम कोर का दावा बेमानी हो जाएगा.
कपूर के साथ वॉरलॉर्ड पर काम कर रहे और तीन अन्य AI-संचालित आइपी विकसित कर रहे स्टूडियो ब्लो के संस्थापक दीपंकर मुखर्जी कहते हैं कि AI ने बड़े पैमाने पर फिल्म निर्माण को किफायती बनाकर इसे लोगों की पहुंच में ला दिया है. वे कहते हैं, ''2025 AI के लिए शुरुआत का वर्ष है. हर कोई इसका मूल्यांकन कर रहा, सतर्क होने के साथ-साथ उत्सुक भी है.’’
सावधानी से आगे बढ़ना जरूरी
AI के नुक्सान को लेकर फिल्म जगत में उपजी आशंकाओं के पीछे एक दुर्भाग्यपूर्ण वाकया भी शामिल है. 1 अगस्त को आनंद एल. राय की त्रासद रोमांस वाली फिल्म रांझणा सिनेमाघरों में फिर से रिलीज हुई, मगर एकदम वैसी फिल्म नहीं थी जो राय ने 2013 में बनाई थी. निर्माता इरोज ने फिल्म का अंत सुखद बना दिया जिसका पता राय को सोशल मीडिया के जरिए चला. राय ने कहा, ''मुझे पूरा भरोसा है कि AI भविष्य है मगर इसका इस्तेमाल अतीत को बदलने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.’’
इस बदलाव ने उद्योग जगत में हलचल मचा दी और कई लोगों ने इसे तकनीक का दुरुपयोग करार दिया और कलाकारों के हकों की रक्षा के लिए कानूनी दिशा-निर्देशों की जरूरत बताई. राय के मुताबिक, ''कानूनी तौर पर हम जानते हैं कि यह स्टूडियो का है मगर इसका मतलब यह तो नहीं कि हम उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न करें. हम भविष्य में खुद को इस तरह की घटनाओं से बचाने के लिए अलग रास्ते तलाश रहे हैं.’’
व्यक्तित्व अधिकार (पर्सनालिटी राइट्स) एक और क्षेत्र है जहां AI चिंता का विषय बन रहा. अमिताभ बच्चन, अनिल कपूर और अरिजीत सिंह सरीखे कई कलाकारों ने AI के जरिए उनके नाम, आवाज, हाव-भाव या किसी अन्य व्यक्तिगत विशेषता के अनधिकृत इस्तेमाल को रोकने के लिए अदालतों का रुख किया.
ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन ने हाल ही AI निर्मित डीपफेक वीडियो के लिए यूट्यूब और गूगल के खिलाफ मुकदमा किया है. उन्होंने कहा कि यह ''उनके व्यक्तित्व और बौद्धिक संपदा अधिकारों’’ का उल्लंघन है. उन्होंने 4 करोड़ रुपए के हर्जाने की मांग की है. सुनील शेट्टी को भी अपनी और अपनी नातिन की एक डीपफेक तस्वीर वायरल होने के बाद अपने व्यक्तित्व अधिकारों के लिए कानूनी सुरक्षा की मांग करनी पड़ी.
अक्षय कुमार का एक पूरा AI-जनरेटेड फिल्म ट्रेलर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था जिसमें उन्हें महर्षि वाल्मीकि के रूप में दिखाया गया था. कुमार ने एक ऑनलाइन पोस्ट में लिखा, ''मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि ऐसे सभी वीडियो फर्जी हैं. आज हेरफेर करने वाले AI के जरिए भ्रामक सामग्री बड़ी तेजी से तैयार की जा रही है, मैं मीडिया घरानों से अनुरोध करता हूं कि वे जानकारी की पुष्टि के बाद ही उसे सत्यापित और रिपोर्ट करें.’’
AI की वजह से नौकरियां जाने की चिंता बढ़ रही है. हाल में हॉलीवुड में हलचल मच गई जब खबर आई कि टैलेंट मैनेजमेंट एजेंसियां AI-जनरेटेड अभिनेत्री टिली नॉरवुड के साथ जुड़ रही हैं. नॉरवुड की निर्माता और अभिनेत्री एलीन वैन डेर वेल्डेन ने कहा, ''मैं AI को लोगों के विकल्प के तौर पर नहीं, बल्कि एक नए टूल, नए पेंटब्रश के तौर पर देखती हूं. जिस तरह एनिमेशन, कठपुतली या सीजीआइ ने लाइव ऐक्टिंग से समझौता किए बिना संभावनाओं के नए द्वार खोले, उसी तरह एआइ कल्पनाओं की उड़ान भरने और कहानियां गढऩे का एक और तरीका देता है.’’

वहीं, वरुण धवन ने सनी संस्कारी की तुलसी कुमारी के ट्रेलर लॉन्च पर कलाकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाने की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा, ''ऐसा समय आ सकता है जब हमें कलाकारों की जरूरत नहीं होगी और हम बस उन्हें गढ़ेंगे.’’
यही कारण है कि दीपंकर मुखर्जी फेमस (एफएआइएमओयूएस) को अपनाने पर बड़ा दांव लगा रहे जिसे दुनिया का पहला एथिकल सेलेब क्लोनिंग प्लेटफॉर्म बताया जा रहा है. यह मशहूर हस्तियों या उनका कामकाज देखने वाली कंपनियों को अधिकृत तौर पर उनकी आवाज और चेहरे का क्लोन बनाने और फिर उन्हें किसी एजेंसी, ब्रान्ड या निर्माता को सीमित अवधि के लिए पट्टे पर देने की अनुमति देता है. मुखर्जी कहते हैं, ''ये क्लोन संपत्ति मशहूर हस्तियों की सहमति से तैयार होती हैं और एक विशिष्ट डिजिटल पहचान अनधिकृत इस्तेमाल को पकड़ने में मदद करती है.’’
बदलाव तय
उद्योग में कई लोग प्रासंगिक बने रहने के लिए इसे अपनाने और कौशल बढ़ाने की जरूरत को समझते हैं. 2025 की रोमांटिक ब्लॉकबस्टर सैयारा के लेखकों ने भी अंत को लेकर असमंजस में पड़ने पर विचारों के लिए चैटजीपीटी का सहारा लिया. वैसे, अंतत: उन्होंने अपनी सहज बुद्धि पर भरोसा किया और सुखद अंत चुना.
AI के सबसे उत्साही समर्थकों में कलेक्टिव आर्टिस्ट्स नेटवर्क (सीएएन) के संस्थापक और सीईओ विजय सुब्रमण्यम भी शामिल हैं. जुलाई 2024 में सीएएन ने अपने व्यवसाय के विस्तार के लिए बेंगलूरू स्थित एआइ-संचालित प्रभावशाली मार्केटिंग प्लेटफॉर्म गैलेरी-5 का अधिग्रहण किया.

अब इसमें AI-जनरेटेड इंफ्लूएंसर कबीर मंझा ऐशो-आराम की जिंदगी गुजारता एक करोड़पति; राधिका सुब्रमण्यम- भारत घूमने के लिए अपनी नौकरी छोड़ देने वाली एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर; और एक अपटाउन फैशनिस्टा काव्या मेहरा शामिल हैं. सुब्रमण्यम बताते हैं, ''ये कुछ ऐसे किरदार और कहानियां हैं जिन्हें हम गढ़ रहे हैं, और ब्रांड इनसे जुड़ रहे हैं.’’ इतना ही नहीं त्रिलोक नाम का एक एआइ-जनरेटेड आध्यात्मिक रॉक बैंड भी है.
सुब्रमण्यम यहीं नहीं रुके. उन्होंने हिस्ट्रीवर्स नाम का एक कंटेंट वर्टिकल शुरू किया है, जो भारतीय पौराणिक कथाओं और इतिहास से जुड़ी कहानियों को गढऩे के लिए एआइ का व्यापक इस्तेमाल करेगा. एबंडंटिया एंटरटेनमेंट के सहयोग से बनाई इसकी पहली एआइ फीचर चिरंजीवी हनुमान में गैलरी-5 के 50 से ज्यादा इंजीनियरों की टीम काम कर रही है.
वैसे फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप और विक्रमादित्य मोटवाणे उत्साहित नहीं हैं. कश्यप ने इंस्टाग्राम पर लिखा, ''अंतत: ये एजेंसियां सिर्फ आपसे पैसा कमाने में रुचि रखती हैं. वे आपके लिए एक के बाद एक अच्छी चीजें चुनती हैं और आप उनके लिए पर्याप्त नहीं कमा पा रहे, तो वे पूरी तरह AI पर निर्भर हो रही हैं.’’ नेटफ्लिक्स फिल्म कंट्रोल का निर्देशन करने वाले मोटवाणे ने भी निराशा जताई, ''जब 'मेड इन AI’ है तो भला किसे लेखकों और निर्देशकों की जरूरत पड़ी है.’’
सुब्रमण्यम आश्वस्त करते हैं कि कुछ चीजें कभी नहीं बदलेंगी. वे कहते हैं, ''स्टारडम कभी नहीं जाएगा. स्पर्श और अनुभूति को कभी खत्म नहीं किया जा सकता. AI के पास ऐसे ऑर्केस्ट्रेटर होंगे जो रचनाकार होंगे. इसकी वजह से ज्यादा कुशल लेखक उभरेंगे और वीडियो बनाने वालों के लिए एडिटिंग आसान हो जाएगी.
इससे कुछ बदलने नहीं जा रहा बल्कि बेहतर होने वाला है. AI आपका समय बचाएगा.’’ उनकी तरह ही राय रखने वाले लोगों का मानना है कि फिल्म निर्माण में AI के इस्तेमाल का सवाल 'अगर-मगर’ का नहीं, बल्कि 'कब’ का है. सुब्रमण्यम आने वाले समय के बारे में कहते हैं, ''इससे कोई बच नहीं सकता. यह नया इंटरनेट है. इसके जश्न में शामिल हो या बाहर हो जाओ. मगर आप इसे नकार नहीं सकते.’’
डिजिटल क्लोन की जंग
AI को लेकर कुछ पेशेवरों में काफी बेचैनी है, खासकर अभिनेताओं में. डीपफेक और डिजिटल नकल के बढ़ने के साथ कई मशहूर हस्तियां अपने चेहरे-मोहरे, आवाज, मशहूर संवादों और व्यक्तित्व को दुरुपयोग से बचाने के लिए फिक्रमंद हैं. उनके लिए नाइक नाइक ऐंड कंपनी सरीखी लॉ फर्म और प्रियंका खेमानी सरीखी बौद्धिक संपदा विशेषज्ञ वकील उनकी हॉटलाइन बन गई हैं. सख्त रुख अपनाने में अमिताभ बच्चन आगे रहे.
उन्होंने दिल्ली हाइकोर्ट का रुख किया और एक ज्वेलर को उनके ''सेलिब्रेटी दर्जे’’ को गलत ढंग से भुनाने से रोकने में कामयाबी हासिल की. उसके तुरंत बाद अनिल कपूर ने अपने पर्सनालिटी राइट्स को अनधिकृत व्यावसायिक इस्तेमाल से बचाने के लिए वैसा ही आदेश हासिल किया. यह चिंता सिर्फ यहीं तक नहीं है. वॉयस और डबिंग कलाकार भी कानूनी सलाह ले रहे हैं.
उन्हें डर है कि AI उनके काम की क्लोनिंग कर सकता है और उन्हें बिना श्रेय या भुगतान दिए नए परफॉर्मेंस रिक्रिएट कर सकता है. द एसोसिएशन ऑफ वॉयस आर्टिस्ट्स ने अपने करीब 1,000 सदस्यों को रॉयल्टी शर्तों के बारे में जागरूक करने के लिए वकील अक्षय शेठी को नियुक्त किया है.
शेठी कहते हैं, ''अगर AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए किसी आवाज का इस्तेमाल किया जाएगा तो उस आवाज से कोई नया उत्पाद तैयार किया जा सकता है. ऐसे में कलाकार को बाद वाले उत्पाद के लिए भी भुगतान मिलना चाहिए.’’ एसोसिएशन ने ऐसे AI प्रोजेक्ट के लिए मानक अनुबंध का मसौदा भी तैयार किया है.

