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कैसे कंटेंट की दुनिया का नया कल्चर बन गया 'माइक्रो ड्रामा'

अब जब लोगों का ध्यान किसी चीज पर बहुत ज्यादा देर तक नहीं टिकता, अधिकतम तीन मिनट के एपिसोड वाले छोटे-छोटे धारावाहिक यानी माइक्रो ड्रामा स्वाभाविक तौर पर तेजी से लोकप्रिय हो रहे

माइक्रो ड्रामा; छोटी-छोटी कहानियां
माइक्रो ड्रामा; छोटी-छोटी कहानियां
अपडेटेड 14 अक्टूबर , 2025

एक दिन अभिनेता चेतन हंसराज को शूटिंग के सिलसिले में वसई जाना था. उन्होंने अपनी कार छोड़कर मुंबई लोकल से सफर करने का फैसला किया. एक डिब्बे में उन्होंने जो देखा वह अप्रत्याशित लेकिन खासा उत्साहित करने वाला था. खासकर उनके आखिरी मकाम को देखते हुए. दरअसल, उस डिब्बे में यात्रियों का पूरा एक समूह अपने फोन से चिपका था और छोटे-छोटे नाटक देख रहा था.

हालांकि, वे खासे बेसिर-पैर वाले और नाटकीयता से भरे थे. जबरदस्त ऐक्शन से भरपूर दो मिनट से कम समय वाले ये एपिसोड एक चौंकाने वाले मोड़ पर समाप्त होते, जिससे अगला एपिसोड छोड़ना लगभग नामुमकिन हो जाता. बेशक, चेतन हंसराज इस प्रारूप से एकदम अनजान नहीं थे. बल्कि वसई में वे इसी तरह के एक नाटक की शूटिंग के लिए ही जा रहे थे.

ये नाटक किसी अन्य फॉर्मेट के बजाए धारावाहिकों के ज्यादा करीब हैं और इंडस्ट्री ने इन्हें माइक्रो ड्रामा कहना शुरू कर दिया है. चेतन पहले ही ऐसे चार माइक्रो ड्रामा का हिस्सा रह चुके हैं, जिनमें उन्होंने अक्सर दबंग मर्दों वाली भूमिकाएं निभाई हैं. इस तरह अपने संभावित दर्शकों को देखकर उन्हें यकीन हो गया कि भले ही इनमें थोड़ी-बहुत फूहड़ता परोसी जाती हो लेकिन ऑनलाइन स्टोरीटेलिंग की इस विधा का भविष्य सुनहरा है.

बहुत संभव है कि उनका अनुमान गलत साबित न हो. भारत माइक्रो ड्रामा की दुनिया में अभी कुछ समय पहले ही शामिल हुआ है लेकिन चीन, अमेरिका और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में ये वर्षों से लोकप्रिय हैं. मसलन, चीनी माइक्रो ड्रामा स्ट्रीमिंग ऐप ड्रामाबॉक्स पर सबसे लोकप्रिय श्रेणियों में आइ किस्ड अ सीईओ ऐंड ही लाइक्ड इट, डैडी डोमिनेंट्स गुड गर्ल और अ स्टॉर्मी मैरिज आदि शामिल हैं. पिछले साल चीन में ऐसे 5,000 माइक्रो ड्रामा तैयार किए गए और उन्होंने 50.44 अरब युआन (6.9 अरब डॉलर) की कमाई की, जो सिनेमाघरों से होने वाली कमाई से भी ज्यादा है. वैश्विक स्तर पर इस फॉर्मेट का बाजार 2030 तक 10 अरब डॉलर के पार पहुंच जाने का अनुमान है.

भारत में भी इनके प्रति लोगों की रुचि जबरदस्त तरीके से बढ़ रही है. हालांकि, उनके पास कई विदेशी ऐप्स उपलब्ध हैं, जिनमें अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं में डब शो प्रसारित होते हैं. स्वदेशी ऐप्स/स्टूडियो भी आ पहुंचे हैं, जो अपने शो बनाकर स्थानीय बाजार को भुना रहे हैं. हंसराज कहते हैं, ''फिल्मों से लेकर किराने का सामान तक, अब सब कुछ फोन पर उपलब्ध है. आपका फोन नया सिल्वर स्क्रीन है. तो आप इस पर क्यों नहीं रहना चाहेंगे?'' सारा खेल ज्यादा से ज्यादा संख्या में यूजर जुटाने का ही है. ऐसे में जब लोग ज्यादा देर किसी एक चीज पर टिककर नहीं रह पाते तो माइक्रो ड्रामा का लोकप्रिय होना स्वाभाविक ही है. इसने टिकटॉक, यूट्यूब शॉर्ट्स और इंस्टाग्राम रील्स की वजह से बने बाजार में एक बड़ी खाई को पाट दिया है. इसकी कहानियों में एक रोचकता होती है और हर मोड़ पर कुछ न कुछ हैरान करने वाला.

भारत भी होड़ में शामिल
मायानगरी मुंबई का अंधेरी जिस तरह अपने फिल्म स्टूडियो और कास्टिंग ऑफिस के साथ बॉलीवुड के लिए एक खास जगह रखता है, उसी तरह बेंगलूरू का एचएसआर लेआउट माइक्रो ड्रामा उद्योग का गढ़ बन चुका है. यह टेक क्षेत्र कुकू टीवी, वायरलो और डैशवर्स जैसे कई स्टार्ट-अप स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म का केंद्र है, जो तेजी से विकसित होते इस नए बाजार पर बड़ा दांव लगा रहे हैं. वेंचर कैपिटलिस्ट फंड की बदौलत वे लगातार पैसा लगाते रहते हैं और लेखन और शूटिंग जैसे काम मुंबई में होते हैं. इसमें आमतौर पर नए चेहरों को मौका मिलता है लेकिन टीवी के अनुभवी कलाकार भी पीछे नहीं. लगभग रोज वीडियो बनते हैं. एक मानक निर्माण प्रक्रिया की बात करें तो विचार के आकार लेने से लेकर रिलीज होने तक, अधिकतम तीन हफ्ते का समय लगता है. कलाकारों को शूटिंग के तुरंत बाद पैसे मिल जाते हैं. हंसराज कहते हैं, ''सब कुछ तुरत-फुरत होता है.''

नए स्टूडियो के लिए बेंगलूरू की ये जगहें ज्यादा आकर्षक हैं क्योंकि यहां भारत की तकनीकी प्रतिभाओं की भरमार है. ऐप्स पर सहज अनुभव के साथ सफल प्रदर्शन के लिए उनकी मदद लेना बेहद जरूरी है. अब यूपीआइ भुगतान दूरदराज तक के इलाकों में उपलब्ध है. सो ये प्लेटफॉर्म प्रति एपिसोड भुगतान या सब्सक्रिप्शन मॉडल पर चलते हैं. लक्ष्य यही है कि ऐप डाउनलोड करने से लेकर एपिसोड शुरू होने तक सारा काम तेजी से हो. माइक्रो ड्रामा के लिए एक भारतीय ऐप स्टोरीटीवी के संस्थापक और सीईओ सौरभ पांडे कहते हैं, ''एक माइक्रो ड्रामा त्वरित संतुष्टि देता है. जैसे आपको 10 मिनट में सामान आपके घर पहुंचना पसंद है, वैसे ही एक मिनट में कहानी में नया मोड़ खूब लुभाता है.''

पूरी प्रक्रिया में एआइ की भूमिका भी अहम है. एआइ संचालित मनोरंजन कंपनी डैशवर्स ने हाल में रफ्तार रिलीज की, जो पूरी तरह जनरेटिव एआइ की मदद से तैयार किया गया एक रेसिंग ड्रामा है. कंपनी इसी तकनीक के जरिए खेल, मिथक और विज्ञान-कथा से जुड़े कुछ और माइक्रो ड्रामा बनाने की तैयारी कर रही है. ये सभी ऐसी श्रेणियां हैं जिन्हें लाइव-ऐक्शन में शूट करना ज्यादा खर्चीला होता है. हंसराज ने भी हाल में एआइ आधारित दृश्यों और इंसानों की आवाज के साथ शूट क्राइम ड्रामा काल नगरी लॉन्च किया. डैशवर्स के सह-संस्थापक ललित गुडीपति कहते हैं, ''एआइ निर्माण में नई संभावनाएं बनाता है. हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग ऐसी कहानियां तैयार करें जो पहले कभी नहीं बनीं.''

रोचक और विस्मयकारी
हर क्षण कुछ न कुछ रोचक और विस्मयकारी मोड़ आना, मेलोड्रामा और किरदारों को फटाफट पेश करना माइक्रो ड्रामा की स्वाभाविक जरूरत है. इस वजह से आलोचकों की भी कमी नहीं. यह फॉर्मेट अमूमन उन दर्शकों को रुचता है, जिन्हें कहानियों में ज्यादा मीन-मेख निकालने की आदत नहीं. आलोचक इन ऐप्स पर मौजूद कंटेंट कैटलॉग को वाहियात बता सकते हैं लेकिन सचाई क्या है, यह आप इन तमाम शो के नीचे आने वाले कमेंट्स देखकर जान सकते हैं: ''बेहद घटिया पर मैं इसे देखना बंद नहीं कर सकता.'' यह टिप्पणी रीलशॉर्ट पर एक लोकप्रिय अमेरिकी माइक्रो ड्रामा द डबल लाइफ ऑफ माई बिलियनेयर हस्बैंड के संदर्भ में एक दर्शक ने की थी.

अब तक इस उद्योग में स्वतंत्र स्टूडियो का दबदबा है पर बड़ी कंपनियां भी मौके का लाभ उठाने से चूकना नहीं चाहतीं. ज़ी-5 पर पहले से ही एक माइक्रो ड्रामा वर्टिकल 'बुलेट' मौजूद है और अमेजन का 'एमएक्स फटाफट' जल्द ही लॉन्च होने को है. लेखक दर्शकों को बांधे रखने के लिए हर एपिसोड में ज्यादा से ज्यादा ट्विस्ट डालने में माहिर होते जा रहे हैं. कलाकार भी अलग-अलग तरीकों से खुद को वर्टिकल फॉर्मेट के अनुकूल ढाल रहे हैं. हालांकि, पॉकेट फिल्म्स के समीर मोदी को उम्मीद है कि माइक्रो ड्रामा ओटीटी की राह पर नहीं चलेंगे, जिसमें ''एक बार स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं के लिए रास्ते तो खुलें पर लोकप्रिय होने के बाद एकाधिकार मुख्यधारा की आवाजों का हो जाए.''

जैसे-जैसे सिनेमा देखना दिन-ब-दिन महंगा होता जा रहा है, घर पर फिल्में देखने की सुविधा बढ़ रही है, लगता यही है कि माइक्रो ड्रामा अपनी पकड़ बनाए रखेंगे. पांडे की राय में, भारत का तेजी से उभरता यह उद्योग राजस्व के मामले में बॉलीवुड को भी पीछे छोड़ दे तो बहुत आश्चर्य नहीं. वे कहते हैं, ''मुझे नहीं लगता यह 'अगर' का सवाल है, सवाल बस यह है कि ऐसा 'कब' होगा.''

माइक्रो ड्रामा आखिर है क्या?

यही खूबियां इसे बनाती हैं पारंपरिक धारावाहिकों से अलग

मोबाइल-फर्स्ट फॉर्मेट: यूट्यूब शॉर्ट्स या इंस्टाग्राम रील्स के जैसे फॉर्मेट में फिल्माई जाने वाली छोटी-छोटी कहानियां होती हैं.

चलते-फिरते मनोरंजन: हर एपिसोड केवल एक से तीन मिनट का होता है और एक रोमांचक मोड़ के साथ समाप्त होता है. माइक्रो-ड्रामा आम तौर पर 40-80 एपिसोड तक चलता है.

प्रोडक्शन पर ज्यादा खर्च नहीं: औसतन प्रोडक्शन बजट 20 लाख रुपए तक होता है, छोटी कंपनियां 10 लाख रुपए तक में एक माइक्रो ड्रामा बना लेती हैं.

कम समय में निर्माण: विचार के आकार लेने से लेकर शूटिंग और रिलीज तक में तीन हफ्ते से ज्यादा समय नहीं लगता.

लोकप्रिय श्रेणियां: रोमांस, गरीब से अमीर बनने वाली और प्रतिशोध वाली कहानियां इसकी लोकप्रिय श्रेणियों में शामिल हैं.

फटाफटा साइन-अप: फ्री ट्रायल के बाद आप 'क्वाइन' खरीदते हैं (लगभग 500 रुपए में 500) और आपको हर एपिसोड करीब 50 क्वाइन की कीमत पर उपलब्ध होता है.

'कहां देखें
माइक्रो-ड्रामा देखने का चस्का लगाने वाले ऐप-

ड्रामाबॉक्स
भारतीयों को माइक्रो-ड्रामा की दुनिया से रू-ब-रू कराने वाले शुरुआती ऐप्स में से एक. सिर्फ दो साल में इस चीनी कंपनी ने अपने शॉर्ट-फॉर्मेट शो की विशाल और आकर्षक लाइब्रेरी के साथ 20 करोड़ से ज्यादा रजिस्टर्ड यूजर जुटा लिए.

कुकू टीवी
कुकू एफएम का कुकू टीवी बाजार में एकदम शुरू में कदम रखने वाले प्लेटफॉर्मों में से एक है. इसकी लाइब्रेरी हिंदी, तेलुगु, कन्नड़ और बांग्ला में औसतन 50 से ज्यादा एपिसोड वाले शो से भरी पड़ी है, जो ऐक्शन, रोमांस और पौराणिक कथाओं जैसी विभिन्न श्रेणियों में उपलब्ध हैं.

स्टोरी टीवी
दो माह की अवधि में एलोएलो ग्रुप के स्टोरी टीवी ने विभिन्न श्रेणियों में 200 से ज्यादा माइक्रो ड्रामा रिलीज किए और इस दौरान 50 लाख से ज्यादा यूजर जोड़े. इसका लक्ष्य एक साल में 800 से ज्यादा माइक्रो ड्रामा लॉन्च करना और 10 करोड़ यूजर्स का आंकड़ा छूना है. सबसे ज्यादा देखे जाने वाले शो में डेथ क्लॉक शामिल है, जिसमें नायक लोगों का माथा देखकर उनकी मृत्यु का समय जानने की क्षमता रखता है.

रीलशॉर्ट
2,000 से ज्यादा माइक्रो ड्रामा के साथ उद्योग में शीर्ष पर चल रहे प्लेटफॉर्मों में से एक. इसके लोकप्रिय शो मिल्स ऐंड बून उपन्यासों के शीर्षक जैसे लगते हैं: द डबल लाइफ ऑफ माइ बिलियनेयर हस्बैंड, मैरिड ऐट फस्र्ट साइट, फेटेड टू माई फॉर्बिडन अल्फा, द सीईओज कॉन्ट्रैक्ट वाइफ आदि.

क्विक टीवी
2025 में लॉन्च लोकप्रिय ऐप शेयरचैट की सहायक कंपनी. इसे करीब एक करोड़ उपयोगकर्ता पहले ही डाउनलोड कर चुके हैं. हाइपरलोकल माइक्रो ड्रामा इसकी सबसे बड़ी खूबी है, जो टियर-2 और टियर-3 शहरों के दर्शकों को खूब लुभाते हैं. लोकप्रिय शीर्षकों में घर वापसी, फॉर्च्यून प्राइस और हीरो नंबर-1 आदि शामिल हैं.

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