
नागेश कुकुनूर का ताजातरीन शो 'द हंट' तीन महीने लंबी चली उस जांच को बयान करता है जिसकी वजह से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में शामिल में तीन अभियुक्तों को पकड़ा जा सका. इसमें किसी राजनैतिक टीका-टिप्पणी की उम्मीद मत कीजिए.
उस वक्त के प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को मामले की नवीनतम जानकारी देने से जुड़े कुछेक दृश्यों और अंत्येष्टि में गांधी परिवार के शामिल होने सरीखी डॉक्युमेंट्री फुटेज को छोड़कर ऐसा कुछ भी नहीं है जो किसी को ठेस पहुंचाए या उकसाए, लेकिन हत्यारों का पीछा करती उस जांच के बारे में ऐसा काफी कुछ है जो दर्शकों को बांधे रखता है.
कुकुनूर कहते हैं, ''मैं राजनीति और धर्म पर कोई वेब सीरीज या फिल्म कतई नहीं करना चाहता था.’’ उनकी पिछली कृति सिटी ऑफ ड्रीम्स राजनैतिक परिवार के इर्द-गिर्द बुना ड्रामा थी लेकिन हकीकत से इतनी दूर थी कि उसने कोई हलचल पैदा नहीं की.

हैदराबाद ब्लूज, रॉकफोर्ड, इकबाल और डोर सरीखी फिल्मों के लिए जाने गए कुकुनूर के लिए अनिरुध्य मित्रा की किताब नाइंटी डेज: द ट्रू स्टोरी ऑफ द हंट फॉर राजीव गांधीज एसेसिन्स को पर्दे पर उतारना इसलिए और भी रोमांचकारी था क्योंकि उन्होंने ''अब तक कोई सच्ची अपराध कथा नहीं की थी.’’ वे कहते हैं, ''शुरू से ही मेरा इरादा इसे पुलिस कार्रवाई, क्राइम थ्रिलर की तरह बनाने का था.
मुझे लगा कि हत्या के बारे में हर कोई मोटे तौर पर जानता है, लेकिन यह नहीं पता कि उसके बाद 90 दिनों में क्या हुआ.’’ कई किरदारों से बनी कहानी के केंद्र में हैं विशेष जांच दल (एसआइटी) के अगुआ कार्तिकेयन (प्रतिभाशाली अमित सियाल), दल के अन्य अधिकारी और खौफनाक हत्या के मास्टरमाइंड शिवरासन (डरावने शफीक मुस्तफा) समेत एलटीटीई के कार्यकर्ता.
एलटीटीई की मकसद के लिए आत्महत्या की रणनीति से प्रेरित होकर द टेररिस्ट, मद्रास कैफे और हाल ही में द फैमिली मैन के सीजन टू सरीखे कुछ अफसाने रचे गए हैं. द हंट का तरीका यह है कि श्रीलंका में आइपीकेएफ की तैनाती के गांधी के फैसले से एलटीटीई में उनके खिलाफ शत्रुता की भावना के भड़कने का संक्षेप में जिक्र किया गया है. लेखक ऐसी जानकारियां देने से भी कतराते नहीं कि तमिलनाडु में इस संगठन से हमदर्दी रखने वाले लोग थे लेकिन उन्हें समर्थन मिलने की वजहों की गहराई में नहीं जाते.
एक किरदार जांच अधिकारियों को समझाता है, ''तुम्हारी नजर में वे आतंकवादी हैं, उनकी नजर में वे स्वतंत्रता सेनानी हैं.’’ कुकुनूर कहते हैं, ''मैं अपने चरित्रों को अत्यधिक आत्मीयता और मानवता के साथ पेश करता हूं. नायकों को समझना आसान है; अपराधी इतनी आसानी से समझ नहीं आते.’’
द हंट के साथ स्ट्रीमिंग पर कुकुनूर का क्रिएटिव दौर जारी है, जहां उन्होंने सिटी ऑफ ड्रीम्स के दो सीजन (डिज्नी+ हॉटस्टार) दिए, हैदराबाद की पृष्ठभूमि पर बनी एंथॉलॉजी मॉडर्न लव (अमेजन प्राइम) रची और पाताल लोक (2025) के सीजन टू में सहायक किरदार निभाते हुए कैमरे के सामने आए.
इससे यह जानने की उत्सुकता भी जाग उठी कि वे स्वतंत्र फीचर फिल्म का निर्देशन करने की तरफ कब लौटेंगे. वे कहते हैं, ''स्वतंत्र सिनेमा के बारे में, मजबूत आवाज होने के बारे में बात करना अच्छा है, लेकिन स्वतंत्र सिनेमा बनाना अब बहुत मुश्किल है.’’ यह उनके और अप्लॉज एंटरटेनमेंट के समीर नायर के बीच काफी चर्चा का विषय रहा है. अप्लॉज ने ही उनकी दोनों वेब सीरीज प्रोड्यूस की हैं.
झल्लाने और चिड़चिड़ाने के बजाए कुकुनूर रास्ता तलाश रहे हैं. वे कहते हैं, ''मैं वही करता हूं जो मैं करता आया हूं. यह कहने से कि मैं असामान्य हूं, अहंकार की बू आती है. मैं अभी भी किसी अजीब धुंधलके में हूं.’’ बात पते की लगती है.
वे सोशल मीडिया से दूर रहते हैं—फख्र से बताते हैं कि इंस्टाग्राम पर उनकी आखिरी पोस्ट 2019 में आई थी. ध्यान-भटकाऊ चीजों से आजादी का मतलब यह है कि वे अपना दिन चार घंटे तक लगातार लिखकर शुरू कर सकें और खूब लिखते रहें. अप्लॉज के साथ उन्होंने एक और वेब सीरीज पूरी की है.
वे यह भी कहते हैं, ''मैं 27 साल बाद भी यहां काम कर रहा हूं, यह सबूत है कि मैं वही करता हूं जो मैं चाहता हूं. पिछले छह से सात साल में मैंने जो किया, वह रचनात्मक रूप से संतुष्ट होना है.’’