
गाजियाबाद के रहने वाले 21 वर्षीय कुशाग्र तिवारी फिल्म निर्माण में स्नातक हैं. वे 1 से 4 मई तक मुंबई में आयोजित वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंटरटेनमेंट समिट (वेव्ज) में शामिल होने के लिए पहली बार विमान में सवार हुए तब उन्हें कतई अंदाजा नहीं था कि यह कार्यक्रम उनके जीवन का सबसे शानदार अनुभव साबित होने वाला है.
कुशाग्र कंटेट क्रिएटर हैं और अभिनेता बनना चाहते हैं. रील-मेकिंग की ट्रैवल इंडिया श्रेणी में क्रिएट इन इंडिया चैलेंज (सीआइसी) पुरस्कार जीतकर वे काफी खुश हैं. अपनी उपलब्धि से उत्साहित कुशाग्र ने आमिर खान के हाथों पुरस्कार पाने के दौरान कहा कि पांच साल बाद वे उनके साथ ही फिल्म में काम करेंगे.
कुशाग्र कहते हैं, ''मैंने अपना यह सपना साकार करने की ठान ली है.’’ कुशाग्र के आत्मविश्वास से आमिर इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने कहा कि वे उनका नाम और फिल्म में साथ काम करने की उनकी इस बात को याद रखेंगे.
कुशाग्र कहते हैं, ''सीआइसी पुरस्कारों में यह बात सबसे अच्छी लगी कि यह विशुद्ध रूप से कंटेंट पर आधारित था. इसका कोई मायना ही नहीं है कि सोशल मीडिया पर आपके कितने फॉलोअर्स हैं. मेरे सिर्फ 4,500 फॉलोअर्स हैं लेकिन इस पुरस्कार ने मेरा आत्मविश्वास बढ़ा दिया.’’ पुरस्कार जीतने से उनके माता-पिता भी आश्वस्त हो गए हैं कि उनका बेटा सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. वे अभी तक कुशाग्र के काम को ठीक से समझ नहीं पा रहे थे और उनके भविष्य को लेकर चिंतित थे. कुशाग्र कहते हैं, ''अब उन्होंने सवाल करना छोड़ दिया है.’’
कुशाग्र उन सैकड़ों लोगों में से एक हैं, जिन्हें केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय की तरफ से आयोजित वेव्ज की अहम पहल सीआइसी के जरिए अपनी प्रतिभा को दुनिया के सामने लाने का मौका मिला. अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े ये किएटर्स विभिन्न आयु वर्ग के हैं और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से ताल्लुक रखते हैं.
सीआइसी का दायरा काफी व्यापक रहे, यह पक्का करने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इंडिया सेल्युलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आइसीईए), ईस्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन डिजिटल गेमिंग सोसाइटी (आइडीजीएस), इंडियन म्यूजिक इंडस्ट्री (आइएमआइ), इंडियन कॉमिक्स एसोसिएशन (आइसीए), एडवरटाइजिंग एजेंसीज एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएएआइ) और मीडिया ऐंड एंटरटेनमेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमईएआइ) जैसे प्रमुख उद्योग संगठनों को इस पहल से जोड़ा ताकि 32 'चुनौतियों’ (चैलेंज) या प्रतियोगिताओं में व्यापक भागीदारी हो.
इसमें एनिमेशन और गेमिंग से लेकर वीएफएक्स, डिजिटल म्यूजिक, कॉमिक्स और फिल्मों तक एक विस्तृत शृंखला थी. नतीजा, 47 श्रेणियों के लिए 60 देशों से 1,00,000 से अधिक प्रविष्टियां हासिल हुईं. 750 प्रतिभागियों को फाइनलिस्ट घोषित किया गया, जिसमें 135 स्वर्ण, रजत और कांस्य पुरस्कार विजेता बने. चार दिवसीय शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 12 से 66 वर्ष आयु के फाइनलिस्ट मुंबई पहुंचे जहां उद्घाटन समारोह के मौके पर उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संक्षिप्त मुलाकात का मौका मिला. क्रिएटर्स ने शिखर सम्मेलन के इनोवेशन जोन क्रिएटोस्फेयर में प्रतिभा दिखाई. उन्हें यहां इंडस्ट्री से जुड़े पेशेवरों के साथ मिलने-जुलने का मौका भी मिला.
दो मई को जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में सितारों से सजी इस महफिल में आमिर खान, मिथुन चक्रवर्ती, नागार्जुन, विक्रांत मैसी, अनुपम खेर और प्रसून जोशी जैसी हस्तियां शामिल हुईं और 135 विजेताओं को ट्रॉफी और पुरस्कार राशि देकर सम्मानित करने की गवाह बनीं.
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कार्यक्रम में मौजूद क्रिएटर्स को संबोधित करते हुए कहा, ''यह तो एक यात्रा की शुरुआत भर है. इस पहल के साथ आप नए अवसरों की विशाल दुनिया में कदम रख रहे हैं.’’ वैष्णव ने उन्हें यह भी बताया कि सरकार 'इनोवेशन और अभिव्यक्ति का एक मंच इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिव टेक्नोलॉजी (आइआइसीटी) स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है.
राजनैतिक हस्तियों में वैष्णव के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे, जिन्होंने आइआइसीटी के लिए भूमि का आवंटन भी किया है. फडणवीस ने इस मौके पर कहा, ''आप सबको यहां देखकर मुझे भारत को क्रिएटर इकोनॉमी के शीर्ष पर पहुंचाने का प्रधानमंत्री का सपना साकार होता नजर आ रहा है. वेव्ज का आयोजन भले ही चार दिनों के लिए हो लेकिन मुझे लगता है कि इसकी शुरुआत तभी हो गई थी जब आप सभी ने इस (क्रिएट इन इंडिया) चुनौती को स्वीकारा और प्रविष्टियां भेज कर इसमें सफलता हासिल की. उम्मीद है कि आपकी रचनात्मकता निखरेगी, आपको और प्रेरणा मिलेगी और इस रचनात्मक पारिस्थितिकी तंत्र में नई ऊंचाइयों को छुएंगे.’’
पहचान की थी दरकार
एक विजेता ऐसा भी था जिसने माना कि इस मंच से मिले प्रोत्साहन (एक लाख रुपए के पुरस्कार के साथ) ने उसे वह पहचान और मान्यता दी, जिसकी उसे सख्त दरकार थी. नोएडा के 38 वर्षीय गौतम पाहवा ने गोताखोरी प्रशिक्षक से लेकर क्रूज पर काम करने और बढ़ईगीरी से लेकर गोवा में एयरबीएनबी चलाने तक कई तरह के पेशों में हाथ आजमाया है. उन्होंने पहला ड्रोन करीब तीन साल पहले खरीदा और तबसे उन्हें पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी. पाहवा कहते हैं, ''मैं हमेशा इस काम से जुड़ा रहना चाहता हूं. यह मेरी रचनात्मकता और सोच को आगे बढ़ाने का मौका देता है.’’
उन्होंने न केवल खुद ड्रोन बनाए हैं बल्कि इंटरनेट का इस्तेमाल कर उन्हें संचालित करना भी सीखा है. एरियल सिनेमैटिक्स श्रेणी में पाहवा की प्रविष्टि 'इंडिया: अ बर्ड्स आई व्यू’ ड्रोन के जरिए ही शूट की गई थी. इसमें पाहवा ने खासकर तटीय क्षेत्रों की कई यात्राओं के जरिए भारत के शानदार स्थलों को दिखाया है. वे कहते हैं, ''कंटेंट क्रिएटर के तौर पर आपके भीतर एक अकुलाहट होती है. ड्रोन का इस्तेमाल खिलौनों के साथ खेलने और उन्हें समझने की कोशिश करने जैसा है. यह जीत उन लोगों के लिए मददगार साबित होगी जो जो बहुत कुछ करना चाहते हैं.’’
वेव्ज में अवार्ड जीतने वाली अधिकांश उभरती प्रतिभाएं थीं. समीर शेख महाराष्ट्र के लातूर के रहने वाले हैं और समारोह में आने के बाद ही उन्हें पता चला कि कॉस्प्ले चैंपियनशिप विजेता हैं. चैलेंज के लिए शेख ने गेम स्माइट के एक चरित्र ओडिन इन्फर्नल फादर की पोशाक बनाई थी, जिसे उन्होंने ईवीए फोम, कपड़े और 3डी प्रिंीटेड तकनीक का इस्तेमाल करके तैयार किया. मैन्युफैक्चरिंग उद्योग से जुड़े परिवार के शेख के लिए तो कॉस्प्ले यानी कॉस्ट्यूम प्ले चैलेंज कला और शिल्प के प्रति नैसनैर्सिगक रुझान को पूरा करने वाला साबित हुआ, जिसमें उन्हें विभिन्न चीजों से सरल और कल्पनाशील पोशाक बनाने का मौका मिला.

उन्होंने यह सब करना 2018 में शुरू किया था और वे अब तक 15 पोशाकें बना चुके हैं. शेख कहते हैं, ''यह इस कला के प्रति मेरे जुनून को दिखाने का शानदार मौका था. इतने सितारों की मौजूदगी अभिभूत कर देने वाली थीं. मुझे तो यही लग रहा था आखिर हो क्या रहा है. मेरा परिवार भी मुझे इतने बड़े मंच पर देखकर उत्साहित था. मेरे लिए यह बेहद खास पल था.’’
कॉसप्ले, एनिमे, मैंगा और ईडीएम (इलेक्ट्रॉनिक डांस म्यूजिक) जैसी श्रेणियां दर्शाती हैं कि मंत्रालय युवा भारत की उभरती अभिरुचियों पर ध्यान दे रहा है, जो मूलत: विदेशों से जुड़ी हैं. श्रीकांत वेमुला इससे काफी खुश थे कि ईडीएम मंच पर स्पॉटलाइट में रहा. आइएफएस अधिकारी और डॉक्टर के बेटे वेमुला ने तीव्र साउंड इफेक्ट के कारण ईडीम को चुना है. हैदराबाद में जन्मे और मुंबई में रहने वाले म्यूजिक प्रोड्यूसर और डीजे के तैयार किए ट्रैक 'विद यू’ ने रेजोनेट: द ईडीएम चैलेंज में स्वर्ण पदक जीता.
करीब तीन महीने की मेहनत के बाद तैयार यह ट्रैक अभी तक रिलीज नहीं हुआ है, जो इस चैलेंज की एक जरूरी शर्त भी थी. यह उत्साहवर्धक धुनें तैयार करने की वेमुला की रुचि को भी दर्शाता है. वेमुला कहते हैं, ''मेरे संगीत की शैली इलेक्ट्रॉनिक ध्वनियों की तबला-सितार जैसे भारतीय वाद्ययंत्रों के साथ जुगलबंदी पर केंद्रित है, जिससे अलग तरह के संगीत का माहौल उत्पन्न किया जा सके और जो मेरे श्रोताओं को खास अनुभव कराए. वेव्ज के साथ यह समझने का मौका मिलता है कि आपकी रचना में क्या खास या अनोखा है.’’
एनिमेशन चैलेंज में महिलाओं की भागीदारी अच्छी-खासी रही, जिसमें बाली, नाइजीरिया और यूके से आईं फाइनलिस्ट शामिल थीं. कम से कम छह महिला फिल्म निर्माताओं ने ट्रॉफी जीती. भारतीयों में सबसे ज्यादा चमक श्रीया पोरे ने बिखेरी, जिनकी एनिमेटेड शॉर्ट फिल्म कली में युवा लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान अलग-थलग पडऩे जैसी वर्जनाओं से जूझते दिखाया गया है. इसने सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड फिल्म श्रेणी में पुरस्कार जीता. एनिमेशन फिल्म निर्माण में संभावनाएं तलाश रहीं पुणे की 21 वर्षीया पोरे ने हाल में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है.

उन्होंने ऐक्शन, साउंड, बैकग्राउंड विजुअल और साधारण एडिटिंग के साथ अपनी शॉर्ट फिल्म का एनिमेटिक्स वर्जन दुनिया के सामने रखा. पोरे कहती हैं, ''मैं चाहती थी कि इसे ज्यादा से ज्यादा लोग देखें और इसे वेव्ज जैसे बड़े मंच पर दिखाया जाए.’’ पोरे के लिए यह सम्मेलन पेशेवर सफर की शुरुआत में मनोरऌंजन उद्योग के बारे में गहरा अनुभव और जरूरी जानकारियां प्रदान करने वाला रहा. वे कहती हैं, ''एएसआइएफए (एसोसिएशन इंटरनेशनल डु फिल्म डी एनिमेशन) और एनआइडी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन) के एनिमेटर्स से जुड़ना अद्भुत था.
उनके विचारों से मुझे अपने काम को नए नजरिए से देखने की प्रेरणा मिली. अलग-अलग पृष्ठभूमि वाले इतने सारे उत्साही क्रिएटर्स सामने थे, हम सभी का एक मंच पर आना अद्भुत था.’’ पोरे को फिलहाल यह इंतजार है कि उनका कॉलेज यूनाइटेडवर्ल्ड इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन कली का आकलन किस तरह करता है. जीत ने उन्हें बता दिया है कि उनके अंदर बेहतरीन रचनाकार छिपा है.
यह एक ऐसा एहसास है जो मुंबई पहुंचे क्रिएटर्स साथ लेकर ही घर लौटे हैं. वेव्ज में क्रिएट इन इंडिया चैलेंज ने उनके सपनों को नए पंख दे दिए हैं.