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विजय माल्या की किंगफिशर ने कैसे बीयर को एक आम पार्टी ड्रिंक बना दिया?

यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं

किंगफिशर ड्रॉट बीयर के लॉन्च के दौरान किंगफिशर के चेयरमैन और सीईओ विजय माल्या (बिजनेस, न्यूज पोर्ट्रेट)
किंगफिशर ड्रॉट बीयर के लॉन्च के दौरान किंगफिशर के चेयरमैन और सीईओ विजय माल्या (बिजनेस, न्यूज पोर्ट्रेट)
अपडेटेड 17 जनवरी , 2025

"ऊला ला ल ला लेयो!" कोई भी विज्ञापन जिंगल 1996 की इस कैरिबियाई कैलिप्सो धुन से ज्यादा दिलकश नहीं हो सकता था, जो उस साल देश में खेल के सबसे बड़े आयोजन—क्रिकेट विश्व कप—के दौरान प्रसारित किया गया. इसी थीम को भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली बीयर किंगफिशर प्रीमियम ने चतुराई से सरोगेट एडवर्टाइजिंग के जरिए भुनाया और खुद को कूल, स्टाइलिश, आकांक्षी ब्रान्ड के रूप में स्थापित कर लिया. वह भी उस वक्त जब दुनियाभर की बीयर की बड़ी कंपनियां भारत पर नजरें गड़ाए थीं.

खुद किंगफिशर लेबल पुरानी बोतलों में नई बीयर था क्योंकि यह 1857 से मौजूद थी. यूनाइटेड ब्रूअरीज (यूबी) की मिल्कियत वाले इस बंद हो चुके लेबल को कंपनी के अभिलेखागार से खोजकर निकालने और 1978 में नए सिरे से लॉन्च करने का श्रेय विजय माल्या को जाता है, जो तब 23 वर्ष के थे और अपने पिता की बीयर कंपनी में मेंटोरशिप के तहत सीख रहे थे. इस मायने में यह वह ब्रान्ड था जिसकी उत्पत्ति भारत के पहले पब शहर बेंगलूरू से हुई.

मगर बीयर या लैगर, उस देश का पसंदीदा पेय नहीं था जहां शराब, खासकर व्हिस्की का बोलबाला था. वहीं अपना बाजार बनाने की खातिर ब्रान्ड एंबेसडर की तलाश कर रही किंगफिशर के लिए उसके बॉस माल्या से बेहतर कोई और नहीं मिल सकता था, जो ब्रान्ड के सूत्रवाक्य ''किंग ऑफ गुड टाइम्स" के पर्याय बन गए थे.

यूबी में 21 साल और उनमें पांच साल मैनेजिंग डायरेक्टर रहे एवं अब मुंबई के एलायड ब्लेंडर्स ऐंड डिस्टिलर्स प्रा. लि. में एग्जीक्यूटिव डिप्टी चेयरमैन शेखर राममूर्ति याद करते हैं, "1990 के दशक के मध्य से बीयर का प्रचलन शुरू हुआ." तब 1991 के आर्थिक उदारीकरण के निर्णायक असर दिखने लगे थे. वे कहते हैं, "ब्रान्ड किंगफिशर ने इसी का लाभ उठाया. यह ब्रान्ड आपको गोवा की किसी झोंपड़ी से लेकर ताज या मैरियट के बार में मिल जाएगा."

भारतीय शराब उद्योग के कायापलट की यह कहानी अब भी जारी है. भारत में बनी व्हिस्कियों को ही लीजिए—ये अमूमन स्थानीय स्तर पर डिस्टिल की गई (आम तौर पर खांड या शीरे से) और फिर स्कॉच व्हिस्की के साथ ब्लेंडेड शराब होती हैं. 2000 के दशक के मध्य तक अमृत डिस्टिलरीज के दिवंगत नीलकांत राव आर. जगदाले बेंगलूरू में डिस्टिल की गई सिंगल माल्ट व्हिस्की यूरोप को निर्यात कर रहे थे.

खास यह कि देश की उष्ण जलवायु को धता बताकर वे इन्हें बेंगलूरू में डिस्टिल कर रहे थे, जहां व्हिस्की का परिपक्व होना मुश्किल होता है. ब्रिटिश क्रिटिक जिम मरे ने अपनी 2010 की व्हिस्की बाइबल में इनमें से एक अमृत फ्यूजन को दुनिया की तीसरी सबसे अच्छी व्हिस्की आंका, जिससे राव को तुरंत शोहरत मिली और प्रीमियम शराबों की नई लहर शुरू हो गई.

अब पॉल जॉन, रामपुर और इंद्री सरीखी भारत में बनी कई सिंगल माल्ट व्हिस्कियां वैश्विक बाजार में अपने दम टिकी हैं. इनमें क्राफ्ट जिन भी जोड़ लीजिए—हापुस, संसार और जैसलमेर को देखिए—जो स्टार्ट-अप के सच्चे जोश के साथ भारतीय पौधों और वनस्पतियों के साथ प्रयोग करते हुए नई राह बना रही हैं. इसी जुनून ने बीते दशक के दौरान देश के बड़े शहरों में कुकुरमुत्तों की तरह उग आई छोटी-छोटी ब्रूअरीज के साथ इंडिया पेल एल से लेकर जर्मन शैली की व्हीट बीयर तक हर चीज की प्यास बुझाते हुए भारतीय क्राफ्ट बीयर उद्योग को लबालब झाग से भर दिया.

—अजय सुकुमारन

इंडिया टुडे के पन्नों से 
अंक: 24 अप्रैल, 2002
कारोबार/बीयर: बढ़ते चस्के का चमत्कार

इंडिया टुडे पन्नों से

● बीयर को सामाजिक रूप से ज्यादा स्वीकार्यता भी मिली. पेबल स्ट्रीट के आशीष आहूजा कहते हैं, ''यह सॉफ्ट ड्रिंक की तरह कैजुअल है." बंगलौर के बीएआईटी (बीयर ड्रिंकर्स एसोसिएशन ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) क्लब की तर्ज पर, प्रदीप कर (माइक्रोलैंड) और नंदन नीलेकणि (इन्फोसिस) कभी जिसके सदस्य थे, आहूजा दिल्ली में केवल बीयर पीने वालों के क्लब की योजना बना रहे हैं.

● भारत की पहली बीयर सिटी बंगलौर के 24 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर वी. हरिनाथ जैसे कुछ लोग बीयर को 'हेल्थ ड्रिंक' तक कहते हैं. दूसरे उपनाम भी हैं: एपेरिटिफ, वार्म-अप लिक्विड, सोशल आइस-ब्रेकर, थर्स्ट क्वेंचर...
ऑल इंडिया ब्रूअर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष जीनिया लॉयर इसे 'शराब नहीं, हल्का, अल्कोहलिक पेय’ कहती हैं.—मेथिल रेणुका
क्या आप जानते हैं?

● स्कॉच व्हिस्की का ब्रान्ड ड्यावोल, जिसके साझा मालिक बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान और उनके बेटे आर्यन हैं, 2024 न्यूयॉर्क वर्ल्ड स्पिरिट्स कंपीटिशन में स्वर्ण पदक विजेताओं में था.

19.11 करोड़

बीयर की पेटियां यूनाइटेड ब्रूअरीज ने वित्तवर्ष 24 में बेचीं. पहले विजय माल्या की शराब साम्राज्य की रत्न, अब डच एमएनसी हेनकेन एनवी के हाथों में चली गई भारत की इस सबसे बड़ी शराब निर्माता कंपनी के पास 50% से ज्यादा बाजार हिस्सेदारी है.

एक और दौर?

● किंगफिशर ने ’90 के दशक में बीयर को जवां, मजेदार, आकांक्षी पेय के रूप में स्थापित करने में मदद की, जिसकी वजह से घरेलू ब्रूअरीज में उछाल आया.

● भारत के शराब ब्रान्डों ने हाल में विश्वस्तरीय एल, व्हिस्कियों और जिन का उत्पादन करके अपने खेल को ऊंचा उठा दिया.

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