scorecardresearch

आजादी की त्रासद कहानी को कैसे सामने ला रही निखिल आडवाणी की सीरीज 'फ्रीडम ऐट मिडनाइट'?

निखिल आडवाणी की 'फ्रीडम ऐट मिडनाइट' देश के अशांत अतीत पर केंद्रित है. दो सीजन वाली यह सीरीज 13 महीने की उस अवधि के बारे में बताती है जब नेता और आम लोग दोनों ही एक गहरे भंवर में फंसे थे

निखिल आडवाणी, बॉलीवुड डायरेक्टर
निखिल आडवाणी, बॉलीवुड डायरेक्टर
अपडेटेड 28 नवंबर , 2024

अप्रैल की एक सुबह अच्छी-खासी गर्मी में सड़क किनारे बैठकर अपने बाल और दाढ़ी सेट कराते फिल्म निर्माता निखिल आडवाणी पुरानी लकड़ी से मढ़े शीशे में चेहरा निहार रहे हैं. यह सड़क आडवाणी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'फ्रीडम ऐट मिडनाइट' के लिए तैयार किए गए भव्य सेट का हिस्सा है.

सोनीलिव के लिए बनाई गई यह सीरीज 15 नवंबर को रिलीज हुई. लैरी कॉलिन्स और डोमिनिक लैपियर की इसी शीर्षक वाली किताब पर आधारित यह सीरीज 1946 में सीधी कार्रवाई यानी डायरेक्ट ऐक्शन डे से शुरू होकर महात्मा गांधी की हत्या तक भारत को आजादी मिलने के दौरान की उथल-पुथल भरी प्रमुख घटनाओं को दर्शाती है.

सुबह के 7.30 बजे हैं लेकिन आडवाणी काफी पहले ही जाग चुके थे और सेट का मुआयना कर रहे थे कि विभाजन के बाद दंगों की विभीषका को फिल्माने के लिए यह उपयुक्त है या नहीं. आडवाणी कहते हैं, "केवल एक नक्शे पर खींच दी गई रेखा ने दो करोड़ लोगों को उनकी जड़ों से उखाड़ दिया, उन्हें सीमाओं के इधर-उधर जाने को बाध्य होना पड़ा. यह बेहद त्रासद था."

हालांकि, 'फ्रीडम ऐट मिडनाइट' अशांत अतीत पर केंद्रित है लेकिन आडवाणी की नजर में यह महान कृति बेहद मौजूं है. उनके शब्दों में, "मेरा मानना है कि गांधी के बारे में कोई दूसरा नजरिया नहीं हो सकता. निश्चित तौर पर उनकी अपनी विलक्षण क्षमताएं थीं. उन्होंने तब अपनी एक आवाज पर 34 करोड़ लोगों को शांत रहने को प्रेरित किया, जब इंटरनेट और सोशल मीडिया नहीं होता था."

फ्रीडम ऐट मिडनाइट का एक सीन

दो सीजन वाली यह सीरीज 13 महीने की उस अवधि के बारे में बताती है जब नेता और आम लोग दोनों ही एक गहरे भंवर में फंसे थे. वे कहते हैं, "यह समझना जरूरी है कि उन्हें (नेताओं को) नहीं पता था कि क्या होने वाला है, लोगों पर इस कदर जुनून सवार हो जाएगा. बहुत-सी गलतफहमियों और गलत सूचनाओं ने स्थिति और बिगाड़ दी. लेकिन सब कुछ खत्म नहीं हुआ. जबरदस्त आघात और हिंसा के बीच उम्मीदें भी बची थीं."

उन्होंने आगे कहा, "हिंदुओं ने मुसलमानों की रक्षा की, मुसलमानों ने सिखों की रक्षा की...मौलाना आजाद ने अपने घर पर हमले के बाद भी यहीं रहने का विकल्प चुना. यही बात इन लोगों को अलग करती है. मैं दिखाना चाहता हूं कि वे कितने महान थे." यह पहली बार नहीं है कि वे अतीत के सुपरहीरो पर सीरीज बना रहे हैं, उनके एम्मे एंटरटेनमेंट ने ही वैज्ञानिक विक्रम साराभाई और होमी भाभा के जीवन पर सोनीलिव के लिए सीरीज रॉकेट बॉएज का निर्माण किया था.

'फ्रीडम ऐट मिडनाइट' को बनाने में चार साल लगे. टीम ने 2024 में करीब 120 दिन शूटिंग की. इसका काफी हिस्सा विजुअल इफेक्ट्सा से जुड़ा था. आडवाणी ने इसमें जो कुछ रीक्रिएट किया है, उसे कई असली फुटेज के साथ जोड़ा गया. यह सीरीज कुछ मायनों में आडवाणी की सिंध के अपने पूर्वजों को एक श्रद्धांजलि भी है, जिनमें उनकी दादी और पिता शामिल हैं.

आडवाणी के पिता महज छह माह के ही थे जब उनका परिवार पाकिस्तान के सिंध स्थित हैदराबाद को छोड़कर बंबई के वन रूम फ्लैट में रहने आ गया. आडवाणी बताते हैं, "मेरी दादी बताया करती थीं कि हमारा परिवार कराची में क्लिफ्टन के सबसे अमीर परिवारों में शुमार था. दादी के पिता फोर्ड कार रखने वाले पहले व्यक्ति थे."

वे बताते हैं कि विभाजन की त्रासदी ने जो निशान छोड़े, वे अब भी बरकरार हैं. समय के साथ उनकी दादी ने मुसलमानों के प्रति अविश्वास को दूर करना सीखा और परिवार में एक मुस्लिम दामाद का स्वागत भी किया.

Advertisement
Advertisement