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नीरू यादव : कैसे यूएन तक परचम लहरा रही हैं राजस्थान की ये 'हॉकी वाली सरपंच'

राजस्थान की सरपंच नीरू यादव की कहानी जिन्होंने अलग सोच, हौसले और मेहनत के बलबूते खेत से संयुक्त राष्ट्र तक लहराया परचम

गांव के मैदान में हॉकी खिलाड़ियों के साथ सरपंच नीरू यादव
गांव के मैदान में हॉकी खिलाड़ियों के साथ सरपंच नीरू यादव
अपडेटेड 7 जून , 2024

तारीख 3 मई, 2024. जगह थी अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र (यूएन) का मुख्यालय जहां आत्मविश्वास से लबरेज एक ग्रामीण महिला को फर्राटेदार अंग्रेजी और अन्य भाषाएं बोलते देखकर वहां बैठी संस्था की एक प्रतिनिधि खुद को रोक नहीं पाईं. जैसे ही भाषण समाप्त हुआ, वे आकर उनसे लिपट गईं.

संयुक्त राष्ट्र के सीपीडी (सतत व्यावसायिक विकास) सत्र को संबोधित करने वाली वह महिला थीं राजस्थान के झुंझुनू जिले के लांबी अहीर गांव की सरपंच नीरू यादव और उन्हें गले लगाने गई थीं यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) की स्थानीय प्रतिनिधि (भारत) एंड्रिया वोजनार.

एंड्रिया को नीरू यादव का संबोधन और उनकी ओर से गांव में किए गए नवाचार इतने पसंद आए कि उन्होंने उनके सामने संयुक्त राष्ट्र में काम करने का प्रस्ताव रख दिया. लेकिन नीरू ने शांत भाव से कहा, ''मुझे अभी तो अपने गांव में बहुत-से बदलाव लाने हैं, इसलिए मेरी जरूरत यहां से ज्यादा मेरे गांव को है.'' नीरू की यह बात सुनकर एंड्रिया ने कहा, ''मैं जल्द भारत आकर आपका गांव देखूंगी.'' नीरू का वह भाषण संयुक्त राष्ट्र ही नहीं बल्कि देशभर में चर्चा का विषय बन गया.

यूएन में नीरू यादव के भाषण के बाद उन्हें गले लगातीं यूएनएफपीए की एंड्रिया वोजनार

काबिलेगौर है कि नीरू के सरपंच चुने जाने से पहले तक शायद ही किसी ने बुहाना तहसील के लांबी अहीर गांव का नाम सुना होगा. लेकिन नीरू की ओर से किए गए अलग-अलग तरह के नए प्रयोगों के कारण आज राजस्थान और भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में इसकी गूंज है. बुहाना तहसील के अधीन आने वाली 25 ग्राम पंचायतों में एमएड के साथ डॉक्टरेट (पीएचडी) की उपाधि पाने वाली एकमात्र सरपंच हैं नीरू. अब उन नवाचारों के बारे में जानते हैं जिसके कारण इस पंचायत ने अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी छाप छोड़ी है.

3 अक्तूबर, 2020 को नीरू लांबी अहीर पंचायत की तीसरी महिला सरपंच चुनी गईं. उस वक्त यह गांव विकास की दृष्टि से बेहद पिछड़ा हुआ था. गांव की गलियों में हर वक्त गंदा पानी भरा रहता था और गांव की अधिकांश सरकारी जमीन अतिक्रमण का शिकार थी. न खेल मैदान था न ही खेल का माहौल. नीरू ने सरपंच बनते ही ठान लिया था कि उन्हें पंचायत में ऐसे काम करने हैं जिसके कारण उनकी पंचायत का भी देश-दुनिया में नाम हो.

सरपंच चुने जाने के पांच महीने बाद ही उन्होंने गांव में लड़कियों की हॉकी टीम तैयार करने का फैसला किया. यह प्रेरणा उन्हें अपने बचपन के बारे में सोचने से मिली. नीरू खुद हॉकी खेलना चाहती थीं, हॉकी स्टिक भी थामी, लेकिन परिजन उन्हें अफसर बनाना चाहते थे, इसलिए स्टिक छीनकर किताबें थमा दी गईं. अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए नीरू ने घर-घर जाकर लड़कियों को हॉकी खेलने के लिए तैयार किया.

लड़कियां हॉकी खेलने के लिए तैयार तो हो गईं, लेकिन उनके सामने चुनौतियों का अंबार खड़ा था. पहली चुनौती ड्रेस की थी. सलवार-कुर्ता और लहंगा-लूगड़ी में तो हॉकी खेलना संभव था नहीं. इसलिए टी-शर्ट और शॉट्र्स खरीदे गए, लेकिन लड़कियों के परिजनों ने अपनी बच्चियों को वह ड्रेस पहनाने से इनकार कर दिया. कई दिनों तक मान-मनौवल के बाद परिजन तैयार हुए तो हॉकी खेलने के लिए मैदान की समस्या सामने आन खड़ी हुई.

करीब एक साल तक नीरू अपने खर्च पर लड़कियों को आठ किलोमीटर दूर पचेरी गांव में सिंघानिया यूनिवर्सिटी के मैदान पर हॉकी खिलाने ले गईं. लेकिन रोज इतनी दूर जाना संभव नहीं था. ऐसे में उन्होंने गांव में ही मैदान बनाने की ठानी. इसके लिए गांव के बाहर अतिक्रमण का शिकार हो चुकी 46 बीघा जमीन को मुक्त कराने का फैसला किया. काफी जद्दोजहद के बाद यह जमीन मुक्त हुई और उस ऊबड़-खाबड़ जमीन को समतल कर हॉकी का मैदान तैयार किया गया.

लड़कियों को हॉकी की बारीकियां सिखाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके सोमवीर राठी को हॉकी कोच नियुक्त किया गया. कोच के रहने, ठहरने और वेतन का खर्चा नीरू उठाती हैं. लड़कियों की हॉकी टीम के प्रति इसी समर्पण के कारण उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हॉकी वाली सरपंच के तौर पर पहचान मिली है.

गांव में हॉकी ग्राउंड और कोच की तो व्यवस्था हो गई, लेकिन ग्राउंड अभी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर का नहीं था. इसी के मद्देनजर नीरू ने पुश्तैनी जमीन पर एक अत्याधुनिक हॉकी ग्राउंड, हॉस्टल और हॉकी एकेडमी तैयार करने का फैसला किया. नीरू कहती हैं, ''अब यहां लांबी अहीर गांव की ही नहीं बल्कि राजस्थान और देश के किसी भी हिस्से से आने वाली हर लड़की को मुफ्त हॉकी ट्रेनिंग मिलेगी. रहने और खाने का खर्चा भी उनका अदित्री फाउंडेशन वहन करेगा.''

सीमित संसाधनों के बावजूद लांबी अहीर गांव की हॉकी टीम की तीन लड़कियां राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं. पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में हुए राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक खेलों में इसी गांव की लड़कियों की हॉकी टीम विजेता रही है.

ग्वालियर में राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी खेलकर लौटी लांबी अहीर गांव की हॉकी टीम की खिलाड़ी पूजा यादव कहती हैं, ''अगर नीरू यादव सरपंच नहीं बनतीं तो आज हम लोग घर में चूल्हा-चौका और झाड़ू-पोछा कर रहे होते. नीरू यादव ने हमारे हाथ में हॉकी स्टिक थमाकर हमारी जिंदगी बदल दी.''

नीरू यादव और उनकी टीम की ओर से एक अन्य नवाचार जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है वह है बर्तन बैंक. विश्व को 2030 तक प्लास्टिक मुक्त करने की संयुक्त राष्ट्र की सतत विकास लक्ष्य मुहिम से प्रेरणा लेते हुए नीरू ने अपनी पंचायत को प्लास्टिक मुक्त करने की ठानी और महज तीन साल में पूरे गांव को प्लास्टिक मुक्त बना दिया. इसके लिए उन्होंने गांव में 30,000 बर्तनों का एक बैंक बनाया है जो हर शादी समारोह में निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है. नीरू कहती हैं, ''हमारे गांव में हर साल औसतन 50 शादियां होती हैं. इन शादियों में हर साल पांच टन प्लास्टिक का उपयोग होता है. बर्तन बैंक बनने से गांव हर साल सैकड़ों टन प्लास्टिक कचरे से मुक्त हो गया है.''

गांव में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की एक कैटरिंग टीम भी तैयार की जा रही है जो शादी-विवाह में भोजन परोसने का काम करेगी. नीरू मानती हैं कि महिलाएं अगर खाना परोसेंगी तो भोजन की बर्बादी रुकेगी और कैटरिंग के जरिए होने वाली आमदनी से महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी. वे समाजसेवा के लिए अपना धन खर्च करती हैं. इनके कारोबार भी हैं, जिनसे होने वाली आय का हिस्सा ये गांव के कामों में खर्च करती हैं. नीरू के पति सरकारी विभाग में इंजीनियर हैं.   

गांव के ही दूसरे स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्लास्टिक उपयोग रोकने के लिए पुराने कपड़ों के बैग तैयार करने का जिम्मा दिया गया है. ये बैग दिल्ली और राजस्थान के बड़े शॉपिंग मॉल्स में भेजे जाते हैं और इससे होने वाली आमदनी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मिलती है. वे देश की पहली महिला सरपंच हैं जो सच्ची सहेली महिला एग्रो के नाम से किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) चलाती हैं. इसके जरिए ग्राम पंचायत के किसानों को खाद/बीज और अन्य सामग्री कम दामों में मुहैया कराई जाती है. उन्होंने पीएमकेवीवाइ के तहत गांव की 10 लड़कियों को प्रशिक्षित किया और उन्हें बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी पाने में मदद की.

गांव के विकास और वहां की जरूरतों को पूरा करने के लिए नीरू कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) के 15वें सीजन में नजर आईं. शेखावाटी से हॉट सीट पर पहुंचने वाली वे पहली महिला हैं. 11 सितंबर, 2023 की रात 9 बजे केबीसी में अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर बैठकर उन्होंने गांव की लड़कियों और महिलाओं के विषय पर बात की.

नीरू के हौसले और निश्चय की इस कहानी ने न केवल लांबी अहीर गांव की तस्वीर बदली बल्कि उन अनगिनत सरपंचों के लिए प्रेरणादायक भी साबित हो रही है जो कुछ नया और अलग करने की चाह रखते हैं. 

मेरा पेड़-मेरा दोस्त अभियान

संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम से प्रभावित होकर नीरू यादव ने अपनी पंचायत में 'मेरा पेड़—मेरा दोस्त' मुहिम शुरू की. इसके तहत बुहाना और सिंघाना तहसील के 160 सरकारी विद्यालयों में 21,000 पेड़ लगवाए. इन स्कूलों में पढ़ने वाले हर छात्र से ये पेड़ लगवाए गए हैं जिनकी देखभाल की जिम्मेदारी भी उसी छात्र की होती है. इसके अलावा गांव में हर साल होने वाली शादियों में नवदंपती को कन्यादान के तौर पर दो पेड़ दिए जाते हैं जिन्हें लगाने से लेकर उनकी देखभाल की जिम्मेदारी उन्हीं की होती है.

पंचायत की ओर से मैरिज सर्टिफिकेट भी उसी सूरत में जारी किया जाता है जब नवदंपती ने दो पेड़ लगा दिए हों. पेड़ नहीं लगाने वालों को सर्टिफिकेट जारी नहीं किए जाते. नीरू ने इस साल गांव की 500 बीघा सरकारी भूमि पर एक लाख पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा है. मानसून में बुहाना पंचायत समिति के सभी सरकारी विद्यालयों के बच्चों के हाथों ये एक लाख पेड़ लगवाए जाएंगे.

वर्षा जल संरक्षण और ग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिए नीरू 'गांव का पानी गांव में, घर का पानी घर में' मुहिम चलाती हैं. इसमें गांव की सड़कों के नीचे सीवर लाइन डालकर सड़कों को पक्का किया गया. पहले जो पानी व्यर्थ बह जाता था उसे अब गांव के बाहर बने कुएं में डालकर रिचार्ज किया जाता है, जिसका पानी पूरा गांव पीता है.  

लांबी अहीर पंचायत के कानसिंहपुरा गांव में नीरू ने कौन बनेगा करोड़पति से जीती हुई राशि से अत्याधुनिक प्ले स्कूल बनाया है. प्ले स्कूल तक बच्चों को लाने के लिए उन्होंने अपने खर्च पर वाहन की व्यवस्था की है. राजस्थान के किसी भी सरकारी स्कूल में इस तरह की व्यवस्था नहीं है. शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों के कारण नीरू यादव को शिक्षाश्री अवार्ड से नवाजा गया है. गांव में सरपंच सीरीज चलाकर वे जनता को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करती हैं. इसके अलावा पंचायत आपके द्वार कार्यक्रम के तहत वृद्धों और विकलांगों की पेंशन, राशन संबंधी जरूरतों को उनके घर जाकर पूरा करती हैं.

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