घोड़े चिरकाल से कलाकारों को आकर्षित करते रहे हैं. इनमें पुरापाषाण युग के अनाम चित्रकारों से लेकर यूजीन डेलाक्रोइक्स और जॉर्ज स्टब्ज सरीखे पश्चिमी कलाकार और हमारे देश के एम.एफ. हुसेन और सुनील दास भी शामिल हैं. मांसल और गठीले अश्वों की कदकाठी में कुछ तो है जो कलाकारों के लिए खुशगवार—और सम्मोहक—तकनीकी चुनौती लेकर आता है.
इंडिया टुडे के ग्रुप क्रिएटिव एडिटर नीलांजन दास ने सैवेज ब्यूटी के लिए कालातीत माध्यम चुना—चारकोल स्टिक या लकड़ी के कोयले से बनी पेंसिल, जो पूर्णतावादी कलाकार होने के नाते बड़ी मेहनत से उन्होंने खुद तैयार की. दास कहते हैं, "इस प्रदर्शनी के लिए कैनवस पर चारकोल का विकल्प इसकी कालातीत और बहुमुखी प्रकृति से उपजा है.
घोड़ों के दिव्य रूपों की वजह से प्रकाश और छाया की अंत:क्रीड़ा को इस माध्यम में बखूबी पकड़ा जा सकता है. यह शक्ति और लालित्य का ऐसा बोध उत्पन्न करता है जो दर्शक के मन में आध्यात्मिक गूंज पैदा करता है."
घोड़ों के चित्र उकेरना उस तकनीकी चुनौती के साथ आया जिसका ऊपर जिक्र है और जिससे उलझना कलाकारों को बेहद प्रिय है. दास के शब्दों में, "चारकोल की अंतर्निहित धूसरित करने वाली प्रकृति का ख्याल रखते हुए घोड़े की जटिल शारीरिक रचना के बारीक और सटीक ब्योरे उकेरना ‘‘एक बड़ी चुनौती थी." वे कहते हैं, "माध्यम की अभिव्यंजनात्मक खूबियों को पकड़ने और अश्वों की खासियत को सटीकता से उकेरने के बीच संतुलन ला पाना कूची चलाने, छायांकन करने और मिटाने पर सावधानी के साथ नियंत्रण की मांग करता है."
नीलांजन दास की 26 कलाकृतियों की प्रदर्शनी नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर की विजुअल आर्ट्स गैलरी में होगी. 'सैवेज ब्यूटी' नामक यह प्रदर्शनी 14 से 19 दिसंबर तक चलने वाली है
प्रदर्शनी में रखी जाने वालीं 26 बड़े आकार की कलाकृतियों को रचने की खातिर दास ने दो साल समर्पित अध्ययन और अनुसंधान में और चार साल इन चित्रों को उकेरते हुए बिताए. कलाकार के तौर पर दास अपनी सृजनात्मक यात्रा के बेहद अहम मोड़ पर हैं, जहां वे "कैनवस पर पारंपरिक एक्रीलिक और तैल रंगों से डिजिटल पेंटिंग की तरफ जा रहे हैं."
वे कहते हैं, "फिलहाल मैं एक बिल्कुल नए प्रोजेक्ट में मसरूफ हूं जो एआइ आधारित कला सृजन से जुड़ा हुआ है...आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस और कलात्मक सूझ-बूझ के चौराहे की पड़ताल करते हुए मैं रचनात्मकता की सीमाओं का विस्तार करने में जुटा हूं."
—अमित दीक्षित