अक्तूबर की 2 तारीख को अयोध्या में सरयू नदी का तट 'जय श्री राम’ के उद्घोष और शंख तथा डमरूओं की आवाज से गुंजायमान हो उठा. मौका था 2023 की सबसे बड़ी और बहुप्रतीक्षित फिल्मों में से एक आदिपुरुष के टीजर के अनावरण का. भव्य राम की पैड़ी का घाट रामायण पर बनी इस फिल्म के 50 फुट ऊंचे विशाल पोस्टरों से सुशोभित था और टीजर की क्लिप हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम में उत्सुक दर्शकों को दिखाई जा रही थी.
ट्रेलर की रिलीज से पहले जिस तरह की धूमधाम और उम्मीदों का उफान था, उसे देखते हुए यह कल्पना कर पाना मुश्किल था कि फिल्म जल्द ही सोशल मीडिया पर बहिष्कार की अपील का शिकार हो जाएगी, जैसा कि हाल में कई दूसरी फिल्मों के साथ हो चुका था.
25 अक्तूबर को रिलीज हुई फैंटेसी-कॉमेडी फिल्म थैंक गॉड (2022) को भी तल्ख प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा. कारण? वही कि इसने कथित तौर पर हिंदू भावनाएं आहत की; लोगों के कर्मों का हिसाब रखने और उसी अनुरूप पुरस्कार या दंड देने वाले हिंदू देवता चित्रगुप्त का मजाक उड़ाया.
वीएफएक्स या विजुअल इफेक्ट से भरपूर और 500 करोड़ रुपए के भारी-भरकम बजट से बनी आदिपुरुष में राघव के किरदार में बाहुबली के अभिनेता प्रभाष, लंकेश के किरदार में सैफ अली खान और जानकी के किरदार में कृति सैनन की स्टार मौजूदगी है, तो थैंक गॉड में अजय देवगन ने छैल-छबीले चित्रगुप्त का किरदार अदा किया है, जो काला सूट और धूप का चश्मा पहनता है, सस्ते किस्म के लतीफे सुनाता है और उसके दरबार में औरतें मिनी-स्कर्ट पहनती हैं.
दोनों फिल्मों के 'बहिष्कार’ का हंगामा मच गया. आदिपुरुष का ट्रेलर रावण के चित्रण को लेकर विवादों से घिर गया. कई लोगों को लगा कि वह शारीरिक तौर पर संजय लीला भंसाली की पद्मावत (2018) के अलाउद्दीन खिलजी की याद दिलाता है. भाजपा नेता और मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र ने हनुमान के चमड़ा पहनने पर ऐतराज किया, जो उनके मुताबिक हिंदू धर्मग्रंथों के खिलाफ है. जल्द ही विश्व हिंदू परिषद भी हो-हल्ले में शरीक हो गई.
अयोध्या स्थित राम मंदिर के मुख्य पुरोहित सत्येंद्र दास इस हद तक चले गए कि उन्होंने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर डाली. थैंक गॉड को भी सुप्रीम कोर्ट में फिल्म पर पाबंदी की मांग करने वाली याचिका का सामना करना पड़ा. साथ ही रिलीज से एक हफ्ते पहले फिल्मकारों को देवगन के किरदार का नाम बदलकर 'सीजी’ करना पड़ा और उन संवादों पर नए सिरे से काम करना पड़ा जिनमें 'चित्रगुप्त’ शब्द का जिक्र था. यह सब केवल इसलिए ताकि फिल्म को और ज्यादा आक्रोश से बचाया जा सके.
ऐसे में फिल्मकार भौचक्के हैं. थैंक गॉड के डायरेक्टर इंद्र कुमार कहते हैं, ''इनसान बदलेगा तो चलेगा, भगवान कैसे बदल गया. भगवान को इजाजत नहीं है बदलने की. हम इनसान तय करते हैं कि वे बदल सकते हैं या नहीं.’’ इंद्र कुमार 32 साल से फिल्में बना रहे हैं, जिनमें मस्ती सीरीज (2004, 2013, 2016) की लोकप्रिय फिल्में भी हैं.
मगर कभी उन्होंने अपने काम पर इतना जहर उगले जाते हुए नहीं देखा. वे कहते हैं, ''मेरी फिल्म धर्म के बारे में नहीं है, यह कर्म के बारे में है. आपने धर्म जबरन फिल्म में घुसेड़ दिया. मैं दिखाना चाहता हूं कि भगवान भी कूल है. फिल्म दिखाती है कि आप खुद को सात पापों से कैसे बचा सकते हैं.’’
हिंदू देवी-देवताओं पर आधारित मिथकीय ड्रामे और कहानियां लंबे वक्त से भारतीय टेलीविजन पर राज करती आई हैं. दूरदर्शन को सबसे ज्यादा दर्शक हासिल हुए जब उसने 2020 में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान अपने दो सबसे ज्यादा लोकप्रिय शो महाभारत (1988-1990) और रामायण (1987-1988) का फिर से प्रसारण किया.
बॉलीवुड भी अब धीरे-धीरे उसके नक्शेकदमों पर चलते हुए भारतीय महाकाव्यों का रुख कर रहा है. बताते हैं दंगल (2016) और छिछोरे (2019) से मशहूर नीतेश तिवारी रामायण का निर्देशन करने का मनसूबा बना रहे हैं, जिसमें ह्रितिक रोशन और रणबीर कपूर मुख्य भूमिकाओं में होंगे. शेखर कपूर भी शिव पर लेखक अमीश त्रिपाठी की तीन किताबों पर आधारित सीरीज बना रहे हैं.
अक्षय कुमार ओह माइ गॉड के दूसरे भाग में भगवान शिव का किरदार निभा रहे हैं. अक्षय 25 अक्तूबर को रिलीज हुई फिल्म राम सेतु में भी पुरातत्वविद् का किरदार निभा रहे हैं जिसे न केवल पुल का वजूद साबित करना बल्कि विनाशकारी शक्तियों से इसे बचाना भी है.
बात यहीं खत्म नहीं होती. दीपिका पादुकोण ने कहा है कि वे द्रौपदी पर फीचर फिल्म बनाना चाहती हैं, तो उरी के फिल्मकार आदित्य धर के जुनूनी प्रोजेक्ट द इम्मोर्टल अश्वत्थामा पर भी काम चल रहा है. मगर समाज के कुछ तबके 'अनुचित’ चरित्र चित्रण और धर्म की 'रक्षा’ की जरूरत को लेकर गरज और गुर्रा रहे हैं. ऐसे में फिल्म उद्योग के भीतर खासी बेचैनी का आलम पैदा हो गया है. इंद्र कुमार कहते हैं, ''इससे होगा यह कि फिल्मकार डरने लगेंगे और कतराने लगेंगे. हद दर्जे का हल्ला काटा जा रहा है. ऐसे में रचनात्मकता क्या ही बचेगी भला!’’
वह जमाना और था?
वैसे मिथकीय या धर्म से जुड़े कथानकों को लेकर भारतीय दर्शकों की संवेदनाएं इतनी छुईमुई किस्म की पहले तो नहीं थीं. 1995 में आई तकदीरवाला में कादर खान और असरानी ने क्रमश: यमराज और चित्रगुप्त के ऐसे किरदार अदा किए, जो एक किताब की तलाश में धरती पर आते हैं और आइसक्रीम के शौकीन बन जाते हैं.
ज्यादा वक्त नहीं हुआ जब गॉड तुस्सी ग्रेट हो (2008), ओएमजी—ओह माइ गॉड! (2012) और पीके (2014) सरीखी कॉमेडी फिल्में आईं. पीके में आमिर खान ने भगवान की तलाश कर रहे एलियन की भूमिका निभाई और बदले में ढोंगी पंडे-पुजारियों को बेपरदा किया. सारे विरोध के बावजूद पीके बॉक्स ऑफिस पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक बनी.
विडंबना यह है कि थैंक गॉड और आदिपुरुष का निर्माण उसी टी-सीरीज ने किया है, जिसने दशकों पहले अपनी कमाई के मुख्य स्रोत के तौर पर भक्ति गीतों की समृद्ध फेहरिस्त के साथ ऑडियो कैसेट कंपनी की शक्ल में शुरुआत की थी. अब उस पर हिंदू धर्म का अपमान करने का आरोप लगाया जा रहा है.
टी-सीरीज के मालिक भूषण कुमार कहते हैं, ''कोई भी निर्माता या फिल्मकार धार्मिक या सांस्कृतिक भावनाओं को चोट पहुंचाने के इरादे से तो कुछ शुरू नहीं करता, इसके उलटे नतीजे होंगे. इरादा हमारे समृद्ध इतिहास को नए सिरे से टटोलने, इन किरदारों को लार्जर दैन लाइफ बनाने और फिर भी उन्हें मानवीय ढंग से पेश करने का है. सिनेमा रचनात्मक स्वतंत्रता के साथ चलता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए ही इसे देखना चाहिए.’’
लेखक अमीश त्रिपाठी की ताजातरीन किताब वॉर ऑफ लंका राम और रावण की लड़ाई की पड़ताल करती है. उन्होंने भी हाल के एक इंटरव्यू में ऐसी ही राय जाहिर की. इंडिया टुडे टीवी से बात करते हुए उन्होंने बताया कि वाल्मीकि रामायण किस तरह रावण के बारे में रामचरितमानस और पुराणों के मुकाबले ''ज्यादा बारीक और अलहदा नजरिया’’ पेश करती है.
उनके शब्दों में, ''कहानियों में उस जमाने की झलक मिलती है जिसमें वे लिखी गई थीं और व्याख्याएं युग के साथ बदलती जाती हैं. भारत स्वतंत्र देश है और आपको असहमत होने तथा अपना नजरिया सामने रखने का हक है. बहस हिंसक ढंग से नहीं बल्कि एक-दूसरे की गरिमा का ध्यान रखते हुए सम्मानजनक ढंग से होती है.’’
इस सबके बावजूद भूषण कुमार आलोचना और कानूनी नोटिसों से भयभीत नहीं हैं. उन्हें पक्का यकीन है कि भारतीय सिनेदर्शक और खासकर देश के युवा दर्शक बड़े पैमाने पर रची गई महाकाव्यात्मक फिल्मों का रस लेंगे. राउत भी मानते हैं कि आदिपुरुष सरीखी फिल्में दूसरों को भी रचनात्मक प्रेरणा के लिए भारतीय महाकाव्यों की तरफ देखने के लिए प्रेरित करेंगी.
बकौल राउत, ''आदिपुरुष बनाने के पीछे इरादा कहानी को इस तरीके से कहने का है जिससे इसे युवतर पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके, जो डीसी, मार्वल, हैरी पॉटर और लॉर्ड ऑफ द रिंग्स देखते हुए दुनिया भर का कंटेट ग्रहण कर रही है. मेरा इरादा ऐसा कंटेट रचना है जो न केवल भारत बल्कि बाकी दुनिया के युवाओं को हमारे राष्ट्र के महान इतिहास के बारे में बताए.’’
भारत की सबसे महंगी फिल्मों में से एक को सिनेमाघरों में लाने के लिए लालायित वीएफएक्स कलाकारों की विशाल टीम के साथ राउत को उम्मीद है कि आदिपुरुष दर्शकों को संतुष्ट करेगी, आहत नहीं. भारतीय फिल्मकार हिंदू देवी-देवताओं और मिथकों से प्रेरणा ग्रहण कर रहे हैं, पर यह देखना अभी बाकी है कि क्या फिल्म उद्योग नफरत और असहिष्णुता के ऊंचे उठते ज्वार के खिलाफ रचनात्मकता का बचाव कर पाएगा.
‘‘मेरी फिल्म धर्म के बारे में नहीं बल्कि कर्म के बारे में है. आप लोगों (जो इसका विरोध कर रहे हैं) ने इसमें जबरदस्ती आस्था का पहलू घुसेड़ दिया है’’
—इंद्र कुमार, डायरेक्टर: थैंक गॉड (2022)
अभी आने को हैं जो
आदिपुरुष
डायरेक्टर: ओम राउत
करीब 500 करोड़ रु. बजट वाली इस फिल्म में राघव बने प्रभाष लंकेश से लोहा लेते हैं, किरदार सैफ अली खान ने निभाया है
जिसका
शाकुंतलम
डायरेक्टर: गुणशेखर
कालिदास के चर्चित नाटक पर आधारित इस फिल्म में सामंथा नायिका शकुंतला की और और देव मोहन पुरु वंश के राजा दुष्यंत की भूमिका निभा रहे हैं
रामायण
डायरेक्टर: नितेश तिवारी
दंगल बनाने वाले तिवारी रामायण को नए ढंग से रचने जा रहे हैं. बताते हैं उसमें मुख्य भूमिकाएं ह्रितिक रोशन और रणबीर कपूर करने वाले हैं.